जशपुर : छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार अपने घोषणा पत्र के मुताबिक प्रदेश के हजारों शिक्षकों को आगामी कुछ महीनों में संविलियन करने की तैयारी कर रही है, लेकिन संविलियन में क्रमोन्नति और उच्चतर वेतनमान संबंधी किसी भी आदेश का जिक्र नहीं है. जबकि घोषणा पत्र में कांग्रेस ने इसे शामिल किया था. क्रमोन्नति नहीं मिलने से सबसे ज्यादा नुकसान सहायक शिक्षकों को हुआ है. इसलिए उनकी मांग है कि संविलियन के साथ क्रमोन्नति और उच्चतर वेतनमान का भी आदेश सरकार जारी करे, ताकि सहायक शिक्षकों को इसका लाभ मिल सके.
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उन्हें घोषणापत्र की याद दिलाई है. छत्तीसगढ़ प्रदेश में आने वाले नवंबर में 16 हजार 278 शिक्षक संवर्गों का शिक्षा विभाग में संविलियन किया जाना है, लेकिन संविलियन के साथ शिक्षकों ने क्रमोन्नती और उच्चतर वेतनमान की मांग भी की थी. विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने इसे अपने घोषणा पत्र में भी शामिल किया था, लेकिन नवंबर में होने वाले संविलियन में इसका कहीं कोई जिक्र नहीं है, जिससे शिक्षक मायूस है.
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छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के शिक्षकों ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय से मिलकर उन्हें इसका लाभ दिलाने की मांग की है. शिक्षकों ने अपने किए गए मांग में कहा है कि उनकी नियुक्ति की तारीख से ही उन्हें क्रमोन्नति दी जाए. साथ ही उनके वेतन संबंधी समस्याओं को दूर किया जाए. वहीं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर उन्हें उनके घोषणापत्र का जिक्र करते हुए शिक्षकों के प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना करने की बात कही है. विष्णुदेव साय का कहना है कि अगर प्रथम नियुक्ति तिथि से शिक्षकों की सेवा गणना की जाती है तो क्रमोन्नती और उच्चतर वेतनमान का लाभ उन्हें अपने आप मिलने लगेगा.
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बता दें कि कैबिनेट के फैसले के बाद शिक्षा विभाग ने संविलियन का आदेश जारी कर दिया था. राज्य सरकार ने चार अलग-अलग बिंदुओं में आदेश जारी किया था, जिसमें 2 साल की सेवा पूरी कर चुके शिक्षाकर्मियों का संविलियन नवंबर में होने के साथ-साथ 1 जुलाई 2020 को 8 साल की सेवा पूरी कर चुके शिक्षाकर्मियों को भी 1 नवंबर से संविलियन शिक्षा विभाग में करने का आदेश जारी किया गया था.
रमन सिंह ने किया था ऐलान
साल 2018 के आंदोलन में शिक्षाकर्मी प्रदेश सरकार से अपनी बात मनवाने में कामयाब हुए थे, लेकिन ऐलान के बाद भी उनकी मांग पूरी नहीं हो सकी और अब प्रदेश में सरकार भी बदल चुकी है. 2018 में शिक्षाकर्मियों ने स्कूल से निकल कर जमीन की लड़ाई लड़ी थी. आंदोलन के खत्म होने के बाद सोशल मीडिया में जंग जारी रही. जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह को मंच से शिक्षाकर्मियों के संविलियन का ऐलान करना पड़ा था, लेकिन अब सरकार बदल चुकी है और शिक्षाकर्मियों की मांग अबतक पूरी नहीं हुई है.