जांजगीर चांपा: janjgir champa news जांजगीर चांपा जिला मुख्यालय में 2018 से निर्माणाधीन स्विमिंग पूल नगर वासियों के लिए सफेद हाथी साबित होने लगा है. 2014 से 2016 तक बनने वाला स्विमिंग पूल आज भी अधूरा है. स्विमिंग पूल के गुणवत्ताहीन निर्माण और ठेकेदार पर अधिकारियों की कार्रवाई नही करने से शहरवासियों में भारी गुस्सा है. इस मामले में कलेक्टर से शिकायत के बाद आखिरकार नगर पालिका सीएमओ ने कबाड़ में तब्दील हो रहे मशीनों की जांच और स्विमिंग पूल के गुणवत्ता जांचने की कारवाई शुरू कर दी है. शीघ्र ही स्विमिंग पूल को पूरा कराने का दावा कर रहे है.
जांजगीर में स्विमिंग पूल का निर्माण अधूरा करोड़ों का अधूरा काम पूरा कराना पहली प्राथमिकता: जांजगीर चांपा नगर पालिका ने स्विमिंग पूल बनाने के लिए राज्य सरकार ने 182.61 लाख रुपए की स्वीकृति दी थी. वर्ष 2014 में स्वीकृत कार्य को समय बढ़ाकर 2020 तक पूरा कराने के समय तय किया गया था. लेकिन तय समय के 2 साल बाद भी ठेकेदार ने स्विमिंग पूल का कार्य पूरा नहीं किया है. स्विमिंग पूल के निर्माण को लेकर कई नगर पालिका सीएमओ और कलेक्टर भी बदल गए. लेकिन स्विमिंग पूल को पूरा नहीं कर सके. इस बार भी कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा ने नगर वासियों की भावना और शासन की राशि का दुरुपयोग होता देख ठेकेदार के साथ नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारियों को स्विमिंग पूल का कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए थे. अब जाकर नगर पालिका सीएमओ ने स्विमिंग पूल की गुणवत्ता परखने के टेस्टिंग का कार्य शुरू कराया है. लेकिन लंबे समय से बंद और बिना मापदंड के बने स्विमिंग पूल कबाड़ में बदल गया है.
नेता प्रतिपक्ष ने अधिकारियों पर फोड़ा ठीकरा: इस मामले में नगर पालिका के नेता प्रतिपक्ष ने स्विमिंग पूल निर्माण में हुए लापरवाही के लिए ठेकेदार और नगर पालिका के तत्कालीन अधिकारियो को दोषी बताया. करोड़ों की लागत से बनाए जा रहे स्विमिंग पूल की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए माप दंड के अनुरूप निर्माण नही होने का आरोप लगाया. उनहोंने आनन फानन में कराए जा रहे टेस्टिंग से दुर्घटना की आशंका जताई है.
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कछुआ चाल से किया जा रहा काम: स्विमिंग पूल निर्माण कार्य पूरा करने के लिए कलेक्टर और नगर पालिका सीएमओ के निर्देश के बाद भी ठेकदार द्वारा कछुआ चाल से काम किया जा रहा है. इसके बाद भी ठेकेदार पर अब तक कोई कारवाई नहीं हो सकी. काम नगर पालिका द्वारा बार बार मौका देने पर अधिकारियों के कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगा है.