जांजगीर चाम्पा : जांजगीर के नवागढ़ ब्लॉक में महानदी, जोक नदी और शिवनाथ नदी के त्रिवेणी संगम में बसा शिवरीनारायण का धार्मिक महत्व आज भी है. तीन नदियों के संगम में कारण शिवरीनारायण को गुप्त प्रयाग भी कहते हैं.आस्था, प्रेम और विश्वास की नगरी को माता शबरी और राम चंद्र के जूठे बेर खिलाने से भी जोड़ कर देखा जाता है.
नर नारायण मंदिर की महिमा : धार्मिक नगरी शिवरी नारायण प्राचीन मंदिरों की श्रृंखला है. यहां नर नारायण भगवान के मंदिर को बड़ा मंदिर के नाम से जाना जाता है.वहीं मंदिर के सामने माता शबरी का प्राचीन मंदिर विद्यमान है.जहां लोग आस्था के साथ आते है और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए दर्शन करते हैं. मठ मंदिर के मुख्तियार सुखराम दास जी बताते है कि '' राम लक्ष्मण का वनवास का कुछ समय शिवरीनारायण में बीता है. इसी स्थान में माता शबरी ने अपने जूठे बेर राम चंद्र जी को खिलाये थे. यहां मंदिर के सामने अक्षय कृष्ण वट वृक्ष है,जिसका हर पत्ता दोना आकृति में बना है. मान्यता ऐसी है कि इसी दोने में माता शबरी ने अपने जूठे बेर राम चंद्र जी को खिलाए. इसके अलावा जल प्रलय को भगवान कृष्ण ने इसी दोनादार पत्ते में बाल रूप लेकर देखा.''
द्वापर से त्रेता तक शबरी ने की प्रतीक्षा : पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण ने जिस कुबड़ी महिला को मथुरा में सुंदरी कहकर आवाज लगाई थी और उसे कुबड़ से मुक्ति दिलाई थी. उसी देव कन्या ने अपना प्रेम प्रकट करने के लिए कृष्ण जी से फिर मिलने की इच्छा जताई थी. जिसे भगवान कृष्ण ने राम अवतार में मिलने का वादा किया था. त्रेता युग में माता शबरी अपने अंत काल तक राम का इंतजार करती रही और राम वन गमन में माता शबरी ने अपने जूठे बेर खिलाये. राम के प्रति माता शबरी की आस्था, राम के प्रति प्रेम और समर्पण का भाव राम के आने का विश्वास और इंतजार आज भी यहां देखा जाता है.
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शिवरीनारायण को संवारने का काम : शिवरीनारायण में हर साल माघी पूर्णिमा से 15 दिनों का मेला लगता है,मान्यता के अनुसार भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान यही है. माघी पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ अपने मूल स्थान आते हैं,जिसके कारण भगवान नर नारायण के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. लोगो की भीड़ और उत्साह को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ शासन ने 3 दिनों तक शबरी महोत्सव का आयोजन किया है. साथ ही महानदी के घाट को सुन्दर बनाने का काम भी शुरू कर दिया है. शासन राम वन पथ गमन के प्रथम चरण में शामिल कर शिवरीनारायण को पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा दे रही है.