जांजगीर-चांपा: दुनिया को परिवार मानने वाली धरती के लोगों ने अमानवीयता की हद पार कर दी. अंतरजातीय विवाह करने से खफा समाज वालों ने व्यक्ति के अंतिम संस्कार से पहले अर्थदंड के रूप में 30 हजार रुपए की मांग रखी. परिजनों ने जब इतने पैसे देने में असमर्थता जताई, तो समाज के लोगों ने अर्थी उठाने तक से इनकार कर दिया.
कचंदा में रहने वाले समाज के ठेकेदारों ने घर में रखे शव को उसके अंतिम अधिकार के लिए इंतजार कराया. मालखरौदा के पास कचंदा गांव में रहने वाले लखनलाल चौहान के बड़े बेटे सीआर चौहान की 17 नवंबर को सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. अंतिम संस्कार के लिए जब उसका शव गांव लाया गया तो समाज वालों ने इस वजह से अर्थी को कंधा देने से इनकार कर दिया क्योंकि उसने अंतरजातीय विवाह किया था.
एक तरफ घर के लोग अर्थी के उठने का इंतजार कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ घर में समाज के लोगों की मीटिंग चल रही थी. समाज के लोगों ने लखनलाल और उसके छोटे बेटे से 30 हजार के अर्थदंड की मांग की, जिसे देने में परिवार ने असमर्थता जताई. पैसे न मिलने पर समाज के लोगों ने अर्थी को कंधा देने से इनकार कर दिया.