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केएसके महानदी पावर प्लांट में बर्खास्त मजदूरों की बहाली, कर्मचारियों में खुशी

केएसके महानदी पावर प्लांट के बर्खास्त मजदूरों की बहाली हो गई है. इसे लेकर कर्मचारी बेहद खुश हैं. कर्मचारियों का कहना है कि महीनों से चल रहा संघर्ष अब पूरा हुआ.

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भू-विस्थापित कर्मियों की बहाली
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Published : Sep 2, 2020, 12:42 AM IST

जांजगीर-चांपा: अकलतरा क्षेत्र में स्थापित केएसके महानदी पावर प्लांट से पिछले 12 महीने से बर्खास्त चल रहे भू-विस्थापित कर्मियों (मजदूरों) की बहाली मंगलवार को हो गई. पावर प्लांट प्रबंधन के इस फैसले से कर्मचारी काफी खुश नजर आ रहे हैं.

भू-विस्थापित कर्मियों की बहाली

केएसके महानदी पावर प्लांट की शुरूआत साल 2007-08 में हुई थी. 2011 मे पहली बार भू-विस्थापितो को पुनर्वास नीति का फायदा देने की मांग उठी. ठेकेदारी में काम कर रहे करीब 1 हजार से ज्यादा भू-विस्थातिप कर्मचारियों की लंबी लड़ाई के बाद, सितंबर 2019 में वन टाईम प्रमोशन और 17 हजार का वेतनमान की मांग कंपनी ने मान ली. लेकिन इस मांग को पूरा करने मे आनाकानी जारी रही. जिसके बाद प्लांट में बड़ा आंदोलन शुरू हो गया. प्लांट प्रबंधन ने कई आरोप मढ़ कर 20 भू-विस्थातिप कर्मचारियों को आंदोलन की अगुवाई का दोषारोपण करते हुए बर्खास्त कर दिया. इस बीच प्रशासन ने कई समझौता बैठकें की. लेकिन पावर प्लांट प्रबंधन किसी न किसी बहाने बैठकों से गायब रहता या असहमति जताकर समझौते से पीछे हट जाता था.

केएसके महानदी पावर प्लांट में बर्खास्त मजदूरों की बहाली

8 गांवों की ली गई थी जमीन

कर्मचारियों के इस संघर्ष में राजनीतिक दलों ने भी अपना समर्थन दिया. गौरतलब है कि केएसके महानदी पावर प्लांट ने साल 2007-08 में जमीन खरीदी की शुरूआत की थी. इसमें नरियरा, रोगदा, तरौद, नवापारा, अमोरा, मुरलीडीह, लटिया और पकरिया सहित 8 गांवों के 1 हजार 842 किसानों के 2 हजार एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदकर उस पर प्लांट स्थपित किया. केएसके महानदी पावर प्लांट का नाम एशिया के सबसे बड़े पावर प्लांट मे शुमार है. यहां 18 सौ मंगावाट बिजली का उत्पदान हो रहा है. जबकि कंपनी की स्थापना 36 सौ मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य लेकर की गई थी.

जांजगीर-चांपा: अकलतरा क्षेत्र में स्थापित केएसके महानदी पावर प्लांट से पिछले 12 महीने से बर्खास्त चल रहे भू-विस्थापित कर्मियों (मजदूरों) की बहाली मंगलवार को हो गई. पावर प्लांट प्रबंधन के इस फैसले से कर्मचारी काफी खुश नजर आ रहे हैं.

भू-विस्थापित कर्मियों की बहाली

केएसके महानदी पावर प्लांट की शुरूआत साल 2007-08 में हुई थी. 2011 मे पहली बार भू-विस्थापितो को पुनर्वास नीति का फायदा देने की मांग उठी. ठेकेदारी में काम कर रहे करीब 1 हजार से ज्यादा भू-विस्थातिप कर्मचारियों की लंबी लड़ाई के बाद, सितंबर 2019 में वन टाईम प्रमोशन और 17 हजार का वेतनमान की मांग कंपनी ने मान ली. लेकिन इस मांग को पूरा करने मे आनाकानी जारी रही. जिसके बाद प्लांट में बड़ा आंदोलन शुरू हो गया. प्लांट प्रबंधन ने कई आरोप मढ़ कर 20 भू-विस्थातिप कर्मचारियों को आंदोलन की अगुवाई का दोषारोपण करते हुए बर्खास्त कर दिया. इस बीच प्रशासन ने कई समझौता बैठकें की. लेकिन पावर प्लांट प्रबंधन किसी न किसी बहाने बैठकों से गायब रहता या असहमति जताकर समझौते से पीछे हट जाता था.

केएसके महानदी पावर प्लांट में बर्खास्त मजदूरों की बहाली

8 गांवों की ली गई थी जमीन

कर्मचारियों के इस संघर्ष में राजनीतिक दलों ने भी अपना समर्थन दिया. गौरतलब है कि केएसके महानदी पावर प्लांट ने साल 2007-08 में जमीन खरीदी की शुरूआत की थी. इसमें नरियरा, रोगदा, तरौद, नवापारा, अमोरा, मुरलीडीह, लटिया और पकरिया सहित 8 गांवों के 1 हजार 842 किसानों के 2 हजार एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदकर उस पर प्लांट स्थपित किया. केएसके महानदी पावर प्लांट का नाम एशिया के सबसे बड़े पावर प्लांट मे शुमार है. यहां 18 सौ मंगावाट बिजली का उत्पदान हो रहा है. जबकि कंपनी की स्थापना 36 सौ मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य लेकर की गई थी.

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