जांजगीर-चांपा: केएसके महानदी पावर प्लांट में बर्खास्त भूविस्थापितों की 12 महीनों बाद बहाली हो गई है. एशिया के सबसे बड़े पावर प्लांट में शुमार केएसके महानदी पवार प्लांट में हक की लड़ाई लड़ रहे मजदूर और आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवारों को बड़ी राहत मिली है.
बहाली के बाद भूविस्थापितों ने हर कदम पर खबरों को प्रमुखता से प्रसारित करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया और आभार जताया है. जांजगीर-चांपा जिले के अकलतरा क्षेत्र में स्थापित केएसके महानदी पावर प्लांट की स्थापना साल 2007-08 में हो हुई थी. साल 2011 में पहली बार भूविस्थापितों को पुनर्वास नीति का लाभ देने की मांग उठी. वहीं 2014 में प्रोडक्शन शुरू होने तक भूविस्थापित का कोई भविष्य तय नहीं था. जिसके बाद से लगातार गतिरोध जारी रहा.
ठेकेदारी में काम कर रहे लगभग 1 हजार से ज्यादा भूविस्थापित कर्मचारियों की लंबी लड़ाई के बाद सितंबर 2019 मे वन टाइम प्रमोशन और 17 हजार के वेतनमान की मांग को कंपनी ने माना लेकिन पूरा करने में आनाकानी करती रही. जिसके बाद प्लांट में बड़ा आंदोलन शुरू हो गया. प्लांट प्रबंधन ने कई आरोप मढ़ कर 20 भूविस्थापित कर्मचारियों को आंदोलन की अगुआई करने के मामले में बर्खास्त कर दिया.
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इस बीच प्रशासन ने कई समझौता बैठकों का आयोजन किया. लेकिन प्रबंधन किसी ना किसी बहाने बैठकों से गायब रहता या असहमति जताकर समझौते से पीछे हट जाता था. अब आखिरकार 1 सितबंर को बर्खास्त भूविस्थापित कर्मियों के लिए वह सुनहरा दिन भी आ गया जब उनकी बहाली हुई और अंधकार में डूबा उनका भविष्य एकबार फिर से उजाले की ओर बढ़ सकेगा.
करीब 8 गांवों के किसानों से ली गई थी जमीन
गौरतलब है कि, केएसके महानदी पावर प्लांट ने साल 2007-08 में जमीन खरीदी की शुरुआत की थी और नरियरा, रोगदा, तरौद, नवापारा, अमोरा, मुरलीडीह, लटिया और पकरिया सहित 8 गांवों के 1842 किसानों के 2 हजार एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदकर उस पर प्लांट स्थापित किया. केएसके महानदी पावर प्लांट का नाम है. यहं 18 सौ मेगावाट बिजली का उत्पदान हो रहा है जबकि 36 सौ मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य लेकर कंपनी की स्थापना की गई है.