जांजगीर चांपा: जांजगीर चांपा जिला के मालखरौदा ब्लाक के मोहतरा गांव में 3 दिवसीय राम नामी मेला का आयोजन किया गया मेले की शुरुआत जैत खम्भ में सफेद ध्वज चढ़ा कर की गई. तीन दिनों तक आयोजित इस मेला में रात की ठिठुरन और सर्द मौसम में सिर्फ राम नाम का ही जाप हो रहा है. इस खास रिपोर्ट में...राम नाम का महत्व जानते हैं...
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वहीं, सामाजिक व्यवस्था को कायम रखने में भी लोग जागरूक है और शादी में दहेज लेन-देन और अधिक खर्च करने पर भी प्रतिबंध लगाया है. राम के प्रति समाज के लोगों का आस्था ही है, जिसके कारण 109 वर्षों से समाज के लोग खुले आसमान के नीचे रह कर 3 दिनों तक भजन मेला में शामिल होते हैं. मेला के समापन अवसर पर भोज प्रसाद के बाद अगले वर्ष होने वाले मेला स्थल का भी निर्णय कर लेते हैं.
लोगों ने शरीर में किया राम को धारण
हीरा मोती मैं न मांग मैं तो मांगू साथ तेरा... जी हां राम की निराकर रूप को अपने अंग में धारण कर राम पर आस्था रखने वाले ये है रामनामी समाज, जो छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा, रायगढ़, ओडिसा के साथ महानदी के किनारे निवास करने वाले लोग है. जिन्होंने आजादी से पहले अपने समाज को एक नई पहचान दिलाने का अभियान शुरू की और मंदिर के मूर्ति की पूजा करने के बजाय राम को अपने शरीर में ही धारण कर लिया. अमिट स्याही गोदना से अपने सर से लेकर पाव तक राम राम धारण कर किया.
राम के निराकार रूप की होती है पूजा
राम नामी समाज वैसे तो राम के निराकार रूप की पूजा करते है, लेकिन राम चरित्र मानस का गायन भी करते है. राम नामी समाज राम के प्रति इस आस्था को बड़े भजन मेला के रूप में हर साल महानदी के दोनों किनारे बसे गांव में करते है और मेला स्थल में राम नाम का मंच बना कर रामनाम का खंभा बनाते है, जहां बैठ कर भजन कर पूरे क्षेत्र को राम राम मय कर देते है.
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राम नामी समाज के लोग नशे से होते दूर
राम नामी समाज के लोगों राम नाम को अपने जीवन में इस कदर बसा लिए है कि पहली बार मिलने वालो से राम-राम का अभिवादन कर अपनी बात की शुरुवात करते हैं. राम नामी समाज के लोग सादा जीवन उच्च विचार की भावना को अपने अंदर समाहित कर लिए है और खानपान में भी सात्विक आहार लेते हुए, मांस-मदिरा और नशा से दूर रहते हैं.