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Raksha Bandhan 2022: जांजगीर चांपा में फूल और सब्जियों के रेशे से तैयार हो रही अनोखी राखी

जांजगीर चांपा में स्व-सहायता समूह की महिलाएं इस बार वेस्ट से बेस्ट राखी बना रहीं (Unique Rakhi being prepared from flower and vegetable fiber in Janjgir Champa ) हैं. ये महिलाएं कमल के फूल और सब्जियों के रेशे से अनोखी राखी तैयार कर रही हैं.

Raksha Bandhan 2022
फूल और सब्जियों के रेशे से तैयार राखी
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Published : Jul 31, 2022, 7:08 PM IST

Updated : Jul 31, 2022, 8:04 PM IST

जांजगीर चांपा: जांजगीर चांपा जिला के छोटे से गांव बेहराडीह की महिला स्व-सहायता समूह ने राखी बनाने का अनूठा तरीका अपनाया (Rakhi being prepared from flower and vegetable fiber in Janjgir Champa) है. ये महिलाएं वेस्ट मटेरियल को बेस्ट बनाने में जुटी हैं. भाई-बहन के पवित्र राखी के त्यौहार में अपने प्रेम और संदेश को पिरो कर खास राखी तैयार की है. ये महिलायें राखी रेशमी धागों से नहीं बल्कि कमल, केला, भिंडी और अमारी भाजी के डंटल के रेशों से तैयार करने में जुटी है. प्राकृतिक रंगों से बने रंग बिरंगी राखियां बेहद आकर्षक और हर कलाई में सजने के लिए किफायती भी है. महिलाओं ने इस तकनीक से राखियां तैयार की है. कुछ राखी ऑर्डर पर देश के अलग-अलग स्थानों में भेजा जाएगा. वहीं, सी-मार्ट में भी स्टॉल लगा कर ये खास राखियां बेची भी जाएगी.

रक्षाबंधन 2022

80 महिलाएं मिल कर बना रही राखी: जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर पर स्थित ग्राम बेहराडीह की स्व-सहायता समूह की महिलाएं रेशेदार फल, फूल और सब्जियों के रेसा निकल कर जैकेट और अन्य सजावटी सामान बना कर लोंगो को अपनी कला से परिचित कराया और अब कमल, केला, भिंडी, भाजी के डंठल से रेशा निकाल कर उसमें मोती पिरो कर सुंदर रखी बनाना इन महिलाओं ने शुरू कर दिया है. सभी 8 स्व-सहयाता समूह की 80 महिलाएं मिल कर राखी बना कर उसे बेचने की तैयारी मेें है.

फूल और सब्जियों के रेशे से होता है तैयार: बता दें कि ये कमल फूल के डंठल, केला, भिंडी, अमारी भाजी के रेशे से बने राखी बाजार में बिकने वाली चाइनीज राखियों के कम नहीं है. महिला समूह की सदस्य इस काम को सीख कर घर बैठे पैसा कमाने लगी है. इस तरह घर बैठे अपने परिवार के साथ परिश्रम कर महिलाएं पैसा कमाने में जुट गई है.

ये भी पढ़ें: Raksha Bandhan 2022: कब है रक्षाबंधन? क्या है राखी पूर्णिमा का महत्व

कैसे निकलता है रेशा: इस विषय में ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान स्व-सहायता समूह के सदस्य ने बताया कि इस बार कमल के रेसा को भी राखी का धागा बनाने में उपयोग में लाया जा रहा है. पटवा भाजी, अमारी भाजी के रेशे को निकालने के लिए स्टील के ग्लास से हल्का छिला जाता है. रेशे को एक-एक कर धागा के रूप में एकत्र किया जाता है.

आवश्यकता ही आविष्कार की जननी: कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है. जाटा ग्राम पंचायत की महिला समूह ने चार साल पहले इसी तरह केला के रेशा से जैकेट बना कर प्रदेश के नेताओं को भेंट किया था. इस काम की सराहना की गई थी. साथ ही उसकी अच्छी बिक्री होने से महिलाओं के हौसला बुलंद हो गये हैं. अब इस बार राखी त्यौहार पर साग-सब्जियों के डंठल के रेशे से बने राखी से अपने गांव की महिलाओं को प्रेरित कर स्व-रोजगार से जोड़ा गया है. बाजार में रंग-बिरंगे राखियों को सजा कर भाई की सुनी कलाई को सजाने के लिए कम से कम कीमत में ये राखी उपलब्ध कराने की तैयारी है.

जांजगीर चांपा: जांजगीर चांपा जिला के छोटे से गांव बेहराडीह की महिला स्व-सहायता समूह ने राखी बनाने का अनूठा तरीका अपनाया (Rakhi being prepared from flower and vegetable fiber in Janjgir Champa) है. ये महिलाएं वेस्ट मटेरियल को बेस्ट बनाने में जुटी हैं. भाई-बहन के पवित्र राखी के त्यौहार में अपने प्रेम और संदेश को पिरो कर खास राखी तैयार की है. ये महिलायें राखी रेशमी धागों से नहीं बल्कि कमल, केला, भिंडी और अमारी भाजी के डंटल के रेशों से तैयार करने में जुटी है. प्राकृतिक रंगों से बने रंग बिरंगी राखियां बेहद आकर्षक और हर कलाई में सजने के लिए किफायती भी है. महिलाओं ने इस तकनीक से राखियां तैयार की है. कुछ राखी ऑर्डर पर देश के अलग-अलग स्थानों में भेजा जाएगा. वहीं, सी-मार्ट में भी स्टॉल लगा कर ये खास राखियां बेची भी जाएगी.

रक्षाबंधन 2022

80 महिलाएं मिल कर बना रही राखी: जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर पर स्थित ग्राम बेहराडीह की स्व-सहायता समूह की महिलाएं रेशेदार फल, फूल और सब्जियों के रेसा निकल कर जैकेट और अन्य सजावटी सामान बना कर लोंगो को अपनी कला से परिचित कराया और अब कमल, केला, भिंडी, भाजी के डंठल से रेशा निकाल कर उसमें मोती पिरो कर सुंदर रखी बनाना इन महिलाओं ने शुरू कर दिया है. सभी 8 स्व-सहयाता समूह की 80 महिलाएं मिल कर राखी बना कर उसे बेचने की तैयारी मेें है.

फूल और सब्जियों के रेशे से होता है तैयार: बता दें कि ये कमल फूल के डंठल, केला, भिंडी, अमारी भाजी के रेशे से बने राखी बाजार में बिकने वाली चाइनीज राखियों के कम नहीं है. महिला समूह की सदस्य इस काम को सीख कर घर बैठे पैसा कमाने लगी है. इस तरह घर बैठे अपने परिवार के साथ परिश्रम कर महिलाएं पैसा कमाने में जुट गई है.

ये भी पढ़ें: Raksha Bandhan 2022: कब है रक्षाबंधन? क्या है राखी पूर्णिमा का महत्व

कैसे निकलता है रेशा: इस विषय में ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान स्व-सहायता समूह के सदस्य ने बताया कि इस बार कमल के रेसा को भी राखी का धागा बनाने में उपयोग में लाया जा रहा है. पटवा भाजी, अमारी भाजी के रेशे को निकालने के लिए स्टील के ग्लास से हल्का छिला जाता है. रेशे को एक-एक कर धागा के रूप में एकत्र किया जाता है.

आवश्यकता ही आविष्कार की जननी: कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है. जाटा ग्राम पंचायत की महिला समूह ने चार साल पहले इसी तरह केला के रेशा से जैकेट बना कर प्रदेश के नेताओं को भेंट किया था. इस काम की सराहना की गई थी. साथ ही उसकी अच्छी बिक्री होने से महिलाओं के हौसला बुलंद हो गये हैं. अब इस बार राखी त्यौहार पर साग-सब्जियों के डंठल के रेशे से बने राखी से अपने गांव की महिलाओं को प्रेरित कर स्व-रोजगार से जोड़ा गया है. बाजार में रंग-बिरंगे राखियों को सजा कर भाई की सुनी कलाई को सजाने के लिए कम से कम कीमत में ये राखी उपलब्ध कराने की तैयारी है.

Last Updated : Jul 31, 2022, 8:04 PM IST
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