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सावन स्पेशल: लक्ष्मणेश्वर शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां

छत्तीसगढ़ का काशी कहे जाने वाले लक्ष्मणेश्वर शिव मंदिर में सोमवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. कोरोना काल में भोलेनाथ के भक्त व्रत और पूजा-पाठ करके भगवान शिव को प्रसन्न करने में लगे हुए हैं. इस दौरान लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई है.

laxmaneshwar shiva temple
लक्ष्मणेश्वर शिव मंदिर
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Published : Jul 13, 2020, 9:53 PM IST

जांजगीर-चांपा: सावन माह में श्रावण का देवता शिव की भिन्न-भिन्न रूपों में पूजा होती है. सावन मास के दूसरे सोमवार को छत्तीसगढ़ का काशी कहे जाने वाले लक्ष्मणेश्वर शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. कोरोना काल में भोलेबाबा के भक्त व्रत और पूजा-पाठ करके भगवान शिव को प्रसन्न करने में लगे हुए हैं. इस दौरान लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई है.

सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां

श्रद्धालु बगैर मास्क के मंदिर में पहुंच पूजा कर रहे हैं. कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मंदिर में खास इंतेजाम तो किए गए थे. मंदिर प्रबंधन ने मास्क भी बांटे गए, बावजूद इसके श्रद्धालु बिना मास्क पहने पूजा करते रहे. मंदिर प्रशासन ने भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया.

पढ़ें: SPECIAL: सावन के दूसरे सोमवार पर करिए भगवान विश्वकर्मा के बनाए शिव मंदिर के दर्शन

लक्ष्मणेश्वर शिव मंदिर की कहानी

आठवीं शताब्दी का यह मंदिर पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है. यहां अद्भुत शिवलिंग के दर्शन होते हैं. जिसमें एक कुंड भी मौजूद है. इस कुंड में 12 महीने पानी भरा रहता है. पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्री राम के अनुज लक्ष्मण क्षय रोग से पीड़ित हो गए थे, जिसके बाद उन्होंने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी और इसी वजह से इस मंदिर का नाम लक्ष्मणेश्वर पड़ा.

मंदिर के विकास को लेकर भक्त नाराज

लक्ष्मणेश्वर शिव मंदिर के विकास को लेकर स्थानीय लोग नाराज हैं. उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ का काशी कहे जाने वाले खरौद शिव मंदिर के विकास को लेकर राज्य सरकार उदासीन है. लोगों का कहना है कि भगवान श्री राम वन गमन मार्ग को लेकर छत्तीसगढ़ शासन जितनी गंभीर है उतना खरौद के विकास को लेकर नहीं है.

पढ़ें: डोंगरगांव: सावन का पहला सोमवार और बंद रहे मंदिर के पट

मंदिर का विकास जरूरी

स्थानीय लोगों का कहना है कि लगातार कोशिशों के बाद भी मंदिर के विकास के लिए कुछ नहीं किया गया है. मंदिर परिसर में सौंदर्यकरण और पर्यटकों की सुविधा के लिए विकास किया जाना जरूरी है.

जांजगीर-चांपा: सावन माह में श्रावण का देवता शिव की भिन्न-भिन्न रूपों में पूजा होती है. सावन मास के दूसरे सोमवार को छत्तीसगढ़ का काशी कहे जाने वाले लक्ष्मणेश्वर शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. कोरोना काल में भोलेबाबा के भक्त व्रत और पूजा-पाठ करके भगवान शिव को प्रसन्न करने में लगे हुए हैं. इस दौरान लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई है.

सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां

श्रद्धालु बगैर मास्क के मंदिर में पहुंच पूजा कर रहे हैं. कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मंदिर में खास इंतेजाम तो किए गए थे. मंदिर प्रबंधन ने मास्क भी बांटे गए, बावजूद इसके श्रद्धालु बिना मास्क पहने पूजा करते रहे. मंदिर प्रशासन ने भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया.

पढ़ें: SPECIAL: सावन के दूसरे सोमवार पर करिए भगवान विश्वकर्मा के बनाए शिव मंदिर के दर्शन

लक्ष्मणेश्वर शिव मंदिर की कहानी

आठवीं शताब्दी का यह मंदिर पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है. यहां अद्भुत शिवलिंग के दर्शन होते हैं. जिसमें एक कुंड भी मौजूद है. इस कुंड में 12 महीने पानी भरा रहता है. पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्री राम के अनुज लक्ष्मण क्षय रोग से पीड़ित हो गए थे, जिसके बाद उन्होंने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी और इसी वजह से इस मंदिर का नाम लक्ष्मणेश्वर पड़ा.

मंदिर के विकास को लेकर भक्त नाराज

लक्ष्मणेश्वर शिव मंदिर के विकास को लेकर स्थानीय लोग नाराज हैं. उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ का काशी कहे जाने वाले खरौद शिव मंदिर के विकास को लेकर राज्य सरकार उदासीन है. लोगों का कहना है कि भगवान श्री राम वन गमन मार्ग को लेकर छत्तीसगढ़ शासन जितनी गंभीर है उतना खरौद के विकास को लेकर नहीं है.

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मंदिर का विकास जरूरी

स्थानीय लोगों का कहना है कि लगातार कोशिशों के बाद भी मंदिर के विकास के लिए कुछ नहीं किया गया है. मंदिर परिसर में सौंदर्यकरण और पर्यटकों की सुविधा के लिए विकास किया जाना जरूरी है.

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