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No Road No Vote In Pamgarh :रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा ग्रामीणों ने किया बुलंद, तहसीलदार के भी समझाने से नहीं बनीं बात

No Road No Vote In Pamgarh जांजगीर चांपा के पामगढ़ में एक गांव में ग्रामीणों ने मतदान बहिष्कार की चेतावनी दी है. ग्रामीण अपनी मांगों के पूरा नहीं होने पर नाराज है.ग्रामीणों को समझाने के लिए तहसीलदार प्रशासनिक टीम के साथ गांव में पहुंचे.लेकिन ग्रामीण टस से मस नहीं हुए. Janjgir Champa Election News

No Road No Vote In Pamgarh
रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा ग्रामीणों ने किया बुलंद
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 27, 2023, 2:30 PM IST

तहसीलदार के भी समझाने से नहीं बनीं बात

जांजगीर चांपा : एक कहावत काफी समय से चली आ रही है वो ये है कि नेता जीतने के बाद अक्सर अपने वादों से मुकरते हैं और पांच साल में एक बार ही चेहरा दिखाते हैं.लेकिन ये कहावत सच होती दिखी जांजगीर चांपा जिले में.जहां के पामगढ़ विधानसभा में आज भी कई गांव मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.आज हम बात उस गांव की करेंगे,जहां आजादी के बाद से ही सड़क नहीं बनीं.कई नेता आए और गए.लेकिन इस गांव में सड़क का लोकार्पण ना हो सका.लिहाजा अबकी बार गांव में रहने वाले ग्रामीणों ने तय कर लिया है कि वो वोट नहीं डालेंगे.क्योंकि जो वादे उनके किए गए वो अब तक पूरे नहीं हुए.और जब सरकार को ही जनता से कोई मतलब नहीं तो जनता सरकार बनाने में भागीदार क्यों बने.

गांव में रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा : पामगढ़ विधानसभा के अंतर्गत पनगांव आता है.इस गांव में रहने वालों का दुख चुनाव के वक्त फूट पड़ा है.गांव के अंदर रहने वाले लोग बिना सड़क के ही अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. ग्रामीणों की माने तो आजादी के बाद से ही गांव को मुख्यालय तक जोड़ने वाली सड़क की मांग होती आ रही है.लेकिन मजाल है किसी नेता या जनप्रतिनिधि की गांव की दुर्दशा की ओर थोड़ा ध्यान दे दे.अब चुनाव करीब है तो जिला प्रशासन शत प्रतिशत मतदान करने का राग अलाप रहा है.लेकिन इस राग से भी ग्रामीणों को कोई मतलब नहीं.इसलिए सभी ग्रामीणों ने तय किया है कि चाहे जो हो जाए बिना सड़क बने तो वोट नहीं डालेंगे.

'हमें पीडब्ल्यूडी ने एक किलोमीटर रोड बनने का कागज दिखाया है.लेकिन मांग तीन किलोमीटर तक की है.अधूरा रोड बनाने से क्या फायदा,इसलिए हम चुनाव बहिष्कार कर रहे हैं'-शत्रुध्न,ग्रामीण

तहसीलदार भी उलटे पांव लौटे : गांव के मतदान बहिष्कार की बात जब जिला प्रशासन तक पहुंची तो सभी के कान खड़े हो गए.तहसीलदार दल बल के साथ ग्रामीणों को समझाने के लिए पहुंचे.लेकिन तहसीलदार को देखते ही ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया.इस दौरान सभी के जुबान पर यही सवाल था कि सड़क क्यों नहीं बनीं.लेकिन जब तहसीलदार के पास से जवाब नहीं मिला तो ग्रामीणों ने भी अपनी बात सामने रख दी.आखिरकार तहसीलदार को भी उल्टे पाव वापस लौटना पड़ा.

'कुछ ग्रामीणों के चुनाव बहिष्कार की शिकायत मिली थी.जिसके बाद संबंधित विभाग के अधिकारियों से बात करके उन्हें समझाया गया है.लोकतंत्र है इसलिए चुनाव का हिस्सा बनें.'-विभोर यादव, तहसीलदार

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आपको बता दें कि पामगढ़ विधानसभा सभा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. इस सीट में दो महिला और एक पुरुष प्रत्याशी राष्ट्रीय दल से चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन पनगांव में अनुसूचित जाति वर्ग बाहुल्य गांव के मतदाताओं ने इस बार मतदान नहीं करने की चेतावनी दे दी है .जिन्हें मनाना प्रशासन के लिए चुनौती है.

तहसीलदार के भी समझाने से नहीं बनीं बात

जांजगीर चांपा : एक कहावत काफी समय से चली आ रही है वो ये है कि नेता जीतने के बाद अक्सर अपने वादों से मुकरते हैं और पांच साल में एक बार ही चेहरा दिखाते हैं.लेकिन ये कहावत सच होती दिखी जांजगीर चांपा जिले में.जहां के पामगढ़ विधानसभा में आज भी कई गांव मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.आज हम बात उस गांव की करेंगे,जहां आजादी के बाद से ही सड़क नहीं बनीं.कई नेता आए और गए.लेकिन इस गांव में सड़क का लोकार्पण ना हो सका.लिहाजा अबकी बार गांव में रहने वाले ग्रामीणों ने तय कर लिया है कि वो वोट नहीं डालेंगे.क्योंकि जो वादे उनके किए गए वो अब तक पूरे नहीं हुए.और जब सरकार को ही जनता से कोई मतलब नहीं तो जनता सरकार बनाने में भागीदार क्यों बने.

गांव में रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा : पामगढ़ विधानसभा के अंतर्गत पनगांव आता है.इस गांव में रहने वालों का दुख चुनाव के वक्त फूट पड़ा है.गांव के अंदर रहने वाले लोग बिना सड़क के ही अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. ग्रामीणों की माने तो आजादी के बाद से ही गांव को मुख्यालय तक जोड़ने वाली सड़क की मांग होती आ रही है.लेकिन मजाल है किसी नेता या जनप्रतिनिधि की गांव की दुर्दशा की ओर थोड़ा ध्यान दे दे.अब चुनाव करीब है तो जिला प्रशासन शत प्रतिशत मतदान करने का राग अलाप रहा है.लेकिन इस राग से भी ग्रामीणों को कोई मतलब नहीं.इसलिए सभी ग्रामीणों ने तय किया है कि चाहे जो हो जाए बिना सड़क बने तो वोट नहीं डालेंगे.

'हमें पीडब्ल्यूडी ने एक किलोमीटर रोड बनने का कागज दिखाया है.लेकिन मांग तीन किलोमीटर तक की है.अधूरा रोड बनाने से क्या फायदा,इसलिए हम चुनाव बहिष्कार कर रहे हैं'-शत्रुध्न,ग्रामीण

तहसीलदार भी उलटे पांव लौटे : गांव के मतदान बहिष्कार की बात जब जिला प्रशासन तक पहुंची तो सभी के कान खड़े हो गए.तहसीलदार दल बल के साथ ग्रामीणों को समझाने के लिए पहुंचे.लेकिन तहसीलदार को देखते ही ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया.इस दौरान सभी के जुबान पर यही सवाल था कि सड़क क्यों नहीं बनीं.लेकिन जब तहसीलदार के पास से जवाब नहीं मिला तो ग्रामीणों ने भी अपनी बात सामने रख दी.आखिरकार तहसीलदार को भी उल्टे पाव वापस लौटना पड़ा.

'कुछ ग्रामीणों के चुनाव बहिष्कार की शिकायत मिली थी.जिसके बाद संबंधित विभाग के अधिकारियों से बात करके उन्हें समझाया गया है.लोकतंत्र है इसलिए चुनाव का हिस्सा बनें.'-विभोर यादव, तहसीलदार

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आपको बता दें कि पामगढ़ विधानसभा सभा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. इस सीट में दो महिला और एक पुरुष प्रत्याशी राष्ट्रीय दल से चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन पनगांव में अनुसूचित जाति वर्ग बाहुल्य गांव के मतदाताओं ने इस बार मतदान नहीं करने की चेतावनी दे दी है .जिन्हें मनाना प्रशासन के लिए चुनौती है.

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