ETV Bharat / state

जांजगीर: निजी स्कूलों से भी बेहतर हैं इस सरकारी स्कूल के बच्चे, खास तरीके से होती है पढ़ाई

आम तौर पर यह धारणा रहती है कि, निजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे सरकारी स्कूल में शिक्षा ले रहे बच्चों की तुलना में बेहतर होते हैं. आपने कई बार इन बातों को सुना और महसूस किया होगा. आज हम आपको एक ऐसे स्कूल में लेकर चलेंगे जहां, पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को 20 और पच्चीस नहीं बल्कि पूरे 60 तक का पहाड़ा जुबानी याद है. ये होनहार विद्यार्थी गणित के साथ ही अंग्रेजी का ज्ञान भी बड़ी ही शिद्दत से लेते हैं.

author img

By

Published : Sep 6, 2019, 7:22 PM IST

Updated : Sep 7, 2019, 4:26 AM IST

डिजाइन इमेज

जांजगीर चांपा के बैजलपुर में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की प्रतिभा की चर्चा दूर-दूर तक हो रही है. इस स्कूल के टीचर रामस्वरूप साहू अंग्रेजी को फोनिक तरीके से पढ़ाते हैं, ताकि उन्हें अंग्रेजी के शब्दों का बेहतर ज्ञान हो सके और शायद इसी का नतीजा है कि, स्कूल के छात्र हिंदी और अंग्रेजी के अकबार में लिखे शब्दों का भी बिना किसी दिक्कत के बेहतर उच्चारण करते हैं.

ये स्कूल है जरा हटके

निजी स्कूल में पढ़ने नहीं जाता कोई बच्चा
इस स्कूल में 96 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. यहां पढ़ाई का माहौल कैसा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, इस गांव का कोई बच्चा प्राइवेट स्कूल में पढ़ने नहीं जाता.

निजी स्कूल से बेहतर होती है पढ़ाई
इस सरकारी स्कूल में सामूहिकता की भावना है, यहां गांव के लोग स्कूल को बेहतर करने सहयोग भी देते, वहीं स्कूल के शिक्षक भी अपनी तनख्वाह की कुछ राशि स्कूल को बेहतर करने में खर्च कर रहे हैं, ताकि बच्चों को पढ़ाई से लेकर खेल तक बेहतर माहौल मिल सके. शिक्षकों और अभिभावकों को सरकारी स्कूल के ये बच्चे निराश भी नहीं कर रहे हैं.

गरीब बच्चों को मिल रहा फायदा
बैजलपुर के इस सरकारी प्रायमरी स्कूल ने उन मिथकों को तोड़ने की कोशिश की है, कि, निजी स्कूल में सरकारी स्कूल से बेहतर पढ़ाई होती है. सलाम है उन शिक्षकों को जिन्होंने पढ़ाई के तरीके में प्रयोग कर सरकारी स्कूलों का स्तर उठाने की कोशिश की है, ताकि ज्ञान की रोशनी दूर-दराज इलाकों में रहने वाले गरीब बच्चों तक पहुंच सके.

जांजगीर चांपा के बैजलपुर में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की प्रतिभा की चर्चा दूर-दूर तक हो रही है. इस स्कूल के टीचर रामस्वरूप साहू अंग्रेजी को फोनिक तरीके से पढ़ाते हैं, ताकि उन्हें अंग्रेजी के शब्दों का बेहतर ज्ञान हो सके और शायद इसी का नतीजा है कि, स्कूल के छात्र हिंदी और अंग्रेजी के अकबार में लिखे शब्दों का भी बिना किसी दिक्कत के बेहतर उच्चारण करते हैं.

ये स्कूल है जरा हटके

निजी स्कूल में पढ़ने नहीं जाता कोई बच्चा
इस स्कूल में 96 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. यहां पढ़ाई का माहौल कैसा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, इस गांव का कोई बच्चा प्राइवेट स्कूल में पढ़ने नहीं जाता.

निजी स्कूल से बेहतर होती है पढ़ाई
इस सरकारी स्कूल में सामूहिकता की भावना है, यहां गांव के लोग स्कूल को बेहतर करने सहयोग भी देते, वहीं स्कूल के शिक्षक भी अपनी तनख्वाह की कुछ राशि स्कूल को बेहतर करने में खर्च कर रहे हैं, ताकि बच्चों को पढ़ाई से लेकर खेल तक बेहतर माहौल मिल सके. शिक्षकों और अभिभावकों को सरकारी स्कूल के ये बच्चे निराश भी नहीं कर रहे हैं.

गरीब बच्चों को मिल रहा फायदा
बैजलपुर के इस सरकारी प्रायमरी स्कूल ने उन मिथकों को तोड़ने की कोशिश की है, कि, निजी स्कूल में सरकारी स्कूल से बेहतर पढ़ाई होती है. सलाम है उन शिक्षकों को जिन्होंने पढ़ाई के तरीके में प्रयोग कर सरकारी स्कूलों का स्तर उठाने की कोशिश की है, ताकि ज्ञान की रोशनी दूर-दराज इलाकों में रहने वाले गरीब बच्चों तक पहुंच सके.

Intro:0एक सरकारी स्कूल जो प्राईवेट स्कूलों को दे रहा है मात, इस गांव के बच्चे नही जाते प्रवाईवेट स्कूल
0बलौदा ब्लाक के बैजलपुर प्रायमरी स्कूल के छात्रों की प्रतिभा ने सबको किया है प्रभावित
intro -सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं होती, सरकारी स्कूल के बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते हैं. इन बातों को आपने कई बार सुना होगा, महसूस किया होगा. सरकारी स्कूल की बदहाली की खबरें भी आपने बहुत देखी होगी, लेकिन आज हम आपको जांजगीर-चाम्पा जिले के एक ऐसे सरकारी स्कूल के बारे में बताएंगे, जहां के छात्रों को 60 तक पहाड़ा याद है. अंग्रेजी को बच्चे फर्राटेदार पढ़ते हैं. अखबार पढ़ने से लेकर खेल, बागवानी समेत सभी मामलों में इस सरकारी स्कूल के बच्चे आगे हैं.
Body:body ये तस्वीर है, जांजगीर-चाम्पा जिले के बलौदा ब्लाक के बैजलपुर प्रायमरी स्कूल की। छोटे से गांव में केवल प्रायमरी स्कूल है, लेकिन इस सरकारी स्कूल के बच्चों की प्रतिभाओं और अच्छे शैक्षणिक माहौल की चर्चा अब दूर-दूर तक होने लगी है. इस प्रायमरी स्कूल के छात्रांे को 60 तक का पहाड़ा याद है. स्कूल के शिक्षक रामस्वरूप साहू द्वारा अंग्रेजी को फोनिक तरीके से बच्चों को पढ़ाया जाता है, जिससे बच्चों को अंग्रेजी के शब्दों का बेहतर ज्ञान हो जाता है और बच्चे, अंग्रेजी को भी फर्राटेदार पढ़ते हैं. यहां के बच्चे, अखबार पढ़ने में भी तेज हैं. हिंदी शब्दों का बेहतर उच्चारण से अखबार को भी बच्चे फर्राटेदार पढ़ते हैं. सरकारी स्कूल के ये बच्चे अपने टैलेन्ट से सबको चौंका रहे हैं. आप भी सुनिए 60 तक पहाड़ा और फर्राटेदार अंग्रेजी. इस सरकारी प्रायमरी स्कूल में 96 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, जहां पढ़ाई का ऐसा बेहतर माहौल है कि इस गांव से कोई बच्चा बाहर के प्राइवेट प्रायमरी स्कूल में पढ़ने नहीं जाता। सभी बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाते हैं. इस सरकारी स्कूल में सामूहिकता की भावना है, यहां गांव के लोग स्कूल को बेहतर करने सहयोग भी देते, वहीं स्कूल के शिक्षक भी अपनी तनख्वाह की कुछ राशि स्कूल को बेहतर करने में खर्च कर रहे हैं, ताकि बच्चों को पढ़ाई से लेकर खेल तक बेहतर माहौल मिल सके. शिक्षकों और अभिभावकों को सरकारी स्कूल के ये बच्चे निराश भी नहीं कर रहे हैं।
बाईट 1 - साधना महंत, छात्रा
बाईट 2 - मुरली यादव, छात्र
बाईट 3 - रामस्वरूप साहू, शिक्षक
बाईट 4 - जवाहर बरेठ, प्रधानपाठक
Conclusion:बैजलपुर के इस सरकारी प्रायमरी स्कूल ने उन मिथकों को तोड़ने की कोशिश की है, जो सरकारी स्कूलों के प्रति बन गई है. बेहतर पढ़ाई और शिक्षकों की अलग कोशिश का नतीजा है कि इस सरकारी स्कूल में, प्राइवेट स्कूल को छोड़कर पढ़ाई कर रहे हैं. इस गांव से एक भी बच्चे, प्रायमरी स्कूल में बाहर पढ़ने नहीं जाते. बैजलपुर के प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों की कोशिश और बच्चों के टैलेन्ट ने इस स्कूल को मॉडल स्कूल के रूप मे पहचान दिलाया है।
Last Updated : Sep 7, 2019, 4:26 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.