जांजगीर चांपा के बैजलपुर में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की प्रतिभा की चर्चा दूर-दूर तक हो रही है. इस स्कूल के टीचर रामस्वरूप साहू अंग्रेजी को फोनिक तरीके से पढ़ाते हैं, ताकि उन्हें अंग्रेजी के शब्दों का बेहतर ज्ञान हो सके और शायद इसी का नतीजा है कि, स्कूल के छात्र हिंदी और अंग्रेजी के अकबार में लिखे शब्दों का भी बिना किसी दिक्कत के बेहतर उच्चारण करते हैं.
निजी स्कूल में पढ़ने नहीं जाता कोई बच्चा
इस स्कूल में 96 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. यहां पढ़ाई का माहौल कैसा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, इस गांव का कोई बच्चा प्राइवेट स्कूल में पढ़ने नहीं जाता.
निजी स्कूल से बेहतर होती है पढ़ाई
इस सरकारी स्कूल में सामूहिकता की भावना है, यहां गांव के लोग स्कूल को बेहतर करने सहयोग भी देते, वहीं स्कूल के शिक्षक भी अपनी तनख्वाह की कुछ राशि स्कूल को बेहतर करने में खर्च कर रहे हैं, ताकि बच्चों को पढ़ाई से लेकर खेल तक बेहतर माहौल मिल सके. शिक्षकों और अभिभावकों को सरकारी स्कूल के ये बच्चे निराश भी नहीं कर रहे हैं.
गरीब बच्चों को मिल रहा फायदा
बैजलपुर के इस सरकारी प्रायमरी स्कूल ने उन मिथकों को तोड़ने की कोशिश की है, कि, निजी स्कूल में सरकारी स्कूल से बेहतर पढ़ाई होती है. सलाम है उन शिक्षकों को जिन्होंने पढ़ाई के तरीके में प्रयोग कर सरकारी स्कूलों का स्तर उठाने की कोशिश की है, ताकि ज्ञान की रोशनी दूर-दराज इलाकों में रहने वाले गरीब बच्चों तक पहुंच सके.