जांजगीर-चांपा: धान खरीदी में हो रही देरी से किसान परेशान हैं. किसानों को धान बेचने के लिए 1 महीने का और इंतजार करना पड़ सकता है. धान खरीदी के दौरान इस बार भी भारी भीड़ की आशंका जताई जा रही है. जिससे किसानों का धान बेचना और भी मुश्किल हो सकता है.
छत्तीसगढ़ में बीजेपी कार्यकाल के दौरान धान खरीदी अक्टूबर महीने में शुरू हो जाती थी. लेकिन पिछले साल नई सरकार गठन के बाद धान खरीदी में देरी हुई थी, वह इस साल और भी बढ़ गई है. धान खरीदी में देरी का खामियाजा किसान उठा रहे हैं. यह चुनौती से कम नहीं है. क्योंकि धान की फसल कटाई होने और मिसाई के बाद अनाज घर पर आ चुका है. ऐसे में इसकी रखवाली करने के साथ-साथ कई तरह की दिक्कतों का सामना किसानों को करना पड़ रहा है.
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नवंबर के बीच में खरीफ सीजन के धान की फसल की मिसाई का काम पूरा हो जाता है. पहले अक्टूबर में धान खरीदी शुरू हो जाती थी और किसान धान की मिसाई के बाद सीधे मंडी पहुंच जाते थे. लेकिन भूपेश सरकार में धान की खरीदी में देरी के कारण किसानों को ना केवल परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही नुकसान भी उठाना पड़ रहा है.
फसल चोरी होने की भी संभावना
एक तरफ जहां धान की फसल घर में लाने के बाद उसकी देखरेख में किसानों का समय जाया हो रहा है. वहीं धान के सूखने से उसका वजन कम हो जाएगा. इसके अलावा चूहे भी फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं. किसानों का कहना है कि धान के चोरी होने की भी आशंका बनी रहती है.
किसानों को करना पड़ सकता है लंबा इंतजार
धान बेचने के लिए कूपन की आवश्यकता होती है. वह भी तुरंत नहीं मिल पाएगा. क्योंकि सभी किसान धान बेचने के लिए तैयार हैं. ऐसे में नवंबर में एक साथ सभी किसान कूपन की मांग करेंगे. ताकि मंडी में तुरंत धान बेचने का मौका मिल जाए. लेकिन एक साथ धान खरीदी संभव नहीं है. ऐसे में बारी-बारी से धान खरीदी के लिए कूपन किसानों को देना होगा. किसानों के धान कब बिकेंगे यह कह पाना भी मुश्किल है.
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किसानों की मुसीबतों का अंत नहीं
किसानों का मानना है कि धान बेचने में कम से कम 1 महीने का समय लग सकता है.धान खरीदी में देरी को लेकर किसान परेशान दिखाई दे रहे हैं. अगर बरसात हो जाती है, तो जो धान खुले आसमान के नीचे रखे हैं वह भीग जाएंगे. किसानों की परेशानियों का अंत होता दिखाई नहीं दे रहा है.