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जांजगीर चांपा में साल दर साल कम हो रही है बारिश, सूखे जैसे हालात - जांजगीर चांपा न्यूज

जांजगीर-चांपा में साल दर साल कम बारिश की वजह से जिले मेंं सूखे जैसे हालात बन गए हैं. पिछले साल के मुकाबले करीब 35 फीसदी कम बारिश हुई है. वैज्ञानिकों की मानें तो क्षेत्र में लगातार कम बारिश हो रही है, जिसकी वजह से भयंकर सूखे के हालात बन सकते हैं.

जांजगीर चांपा में सूखे जैसे हालात
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Published : Aug 21, 2019, 7:54 PM IST

जांजगीर-चांपा: एक तरफ जहां प्रदेश के कई इलाकों में बाढ़ के हालात हैं, तो कई इलाकों में किसान बारिश की राह ही देखते रह गए. छत्तीसगढ़ में सूखे की स्थिति एक तरह से गंभीर चेतावनी है. प्रदेश में साल दर साल कम वर्षा आंकी जा रही है.

जांजगीर चांपा में सूखे जैसे हालात

जांजगीर-चांपा जिले में पिछले 10 वर्षों की रिकार्ड पर नजर डालें तो लगातार बारिश कम होती जा रही है. इस साल भी पिछले साल के मुकाबले करीब 35 फीसद कम बारिश हुई है. ऐसे समय में जब देश के कई राज्य पानी-पानी हैं, तो सोचने वाली बात है कि छत्तीसगढ़ में कम बरसात के क्या कारण हैं.

जांजगीर जिले में भयंकर सूखे के हाल
मौसम विभाग के वैज्ञानिक इस संबंध में स्पष्ट रुप से कुछ नहीं कह पा रहे हैं, लेकिन राज्य में रैन सेडो एरिया का ग्राफ बढ़ने के खतरे अपनी जगह हैं. जांजगीर जिले के असिंचिंत क्षेत्रों में भयंकर सूखे की नौबत देखने को मिल मिल रही है.

लगातार कम हो रही है बारिश
ऐसे समय में जब हर राज्य में भारी बारिश हो रही है तो न केवल जांजगीर जिले में बल्कि अन्य जिलों में यही स्थिति को लेकर कृषि वैज्ञानिकों में बेचैनी है. जांजगीर के कृषि महाविद्यालय में अलग-अलग विषयों के जानकारों से बात करने से यह साफ पता चलता है कि पिछले 10-15 सालों में वर्षा लगातार कम होने से आगे चलकर बहुत परेशानियां आएंगी.

छत्तीसगढ़ में अब पहले जैसी बारिश नहीं
इस संबंध में वैज्ञानिकों ने खुलकर बात नहीं की लेकिन माना जा रहा है कि, विदर्भ का वृष्टि छाया क्षेत्र छत्तीसगढ़ की तरफ पांव न पसार रहा हो. दक्षिण पश्चिम मानसून और बंगाल की खाड़ी पर उठने वाले कम दबाव का क्षेत्र इन दो कारणों से राज्य में वर्षों होती है, लेकिन इन दोनों मानसूनी हवाओं से छत्तीसगढ़ में अब पहले जैसी प्रभावी वर्षा नहीं हो रही है.

  • वैज्ञानिकों ने माना कि क्षेत्र में लगातार बारिश कम होती जा रही है, जिससे किसानों को जल संचय के लिए तरीके अपनाने व फसलों को लेकर तौर-तरीके बदलने की बात कही.
  • जांजगीर-चांपा जिले सहित राज्य में 10 वर्ष पहले तक औसत वर्षा 12 सौ मिली मीटर थी, लेकिन इन वर्षों में एक बार भी 12 सौ मिली मीटर वर्षा नहीं हो पाई.
  • जिले में आज तक 537 मिली मीटर बारिश हुई है, जबकि यह पिछले साल के मुकाबले 793 मिली मीटर बारिश से काफी कम है.
  • औसत वर्षा में 35 फीसदी कम बारिश हुई है.
  • इस तरह से देखा जाए तो जांजगीर जिले की स्थिति अन्य जिलों से भिन्न नहीं है. ऐसे में यह राज्य के लिए गंभीर चुनौती है.

जांजगीर-चांपा: एक तरफ जहां प्रदेश के कई इलाकों में बाढ़ के हालात हैं, तो कई इलाकों में किसान बारिश की राह ही देखते रह गए. छत्तीसगढ़ में सूखे की स्थिति एक तरह से गंभीर चेतावनी है. प्रदेश में साल दर साल कम वर्षा आंकी जा रही है.

जांजगीर चांपा में सूखे जैसे हालात

जांजगीर-चांपा जिले में पिछले 10 वर्षों की रिकार्ड पर नजर डालें तो लगातार बारिश कम होती जा रही है. इस साल भी पिछले साल के मुकाबले करीब 35 फीसद कम बारिश हुई है. ऐसे समय में जब देश के कई राज्य पानी-पानी हैं, तो सोचने वाली बात है कि छत्तीसगढ़ में कम बरसात के क्या कारण हैं.

जांजगीर जिले में भयंकर सूखे के हाल
मौसम विभाग के वैज्ञानिक इस संबंध में स्पष्ट रुप से कुछ नहीं कह पा रहे हैं, लेकिन राज्य में रैन सेडो एरिया का ग्राफ बढ़ने के खतरे अपनी जगह हैं. जांजगीर जिले के असिंचिंत क्षेत्रों में भयंकर सूखे की नौबत देखने को मिल मिल रही है.

लगातार कम हो रही है बारिश
ऐसे समय में जब हर राज्य में भारी बारिश हो रही है तो न केवल जांजगीर जिले में बल्कि अन्य जिलों में यही स्थिति को लेकर कृषि वैज्ञानिकों में बेचैनी है. जांजगीर के कृषि महाविद्यालय में अलग-अलग विषयों के जानकारों से बात करने से यह साफ पता चलता है कि पिछले 10-15 सालों में वर्षा लगातार कम होने से आगे चलकर बहुत परेशानियां आएंगी.

छत्तीसगढ़ में अब पहले जैसी बारिश नहीं
इस संबंध में वैज्ञानिकों ने खुलकर बात नहीं की लेकिन माना जा रहा है कि, विदर्भ का वृष्टि छाया क्षेत्र छत्तीसगढ़ की तरफ पांव न पसार रहा हो. दक्षिण पश्चिम मानसून और बंगाल की खाड़ी पर उठने वाले कम दबाव का क्षेत्र इन दो कारणों से राज्य में वर्षों होती है, लेकिन इन दोनों मानसूनी हवाओं से छत्तीसगढ़ में अब पहले जैसी प्रभावी वर्षा नहीं हो रही है.

  • वैज्ञानिकों ने माना कि क्षेत्र में लगातार बारिश कम होती जा रही है, जिससे किसानों को जल संचय के लिए तरीके अपनाने व फसलों को लेकर तौर-तरीके बदलने की बात कही.
  • जांजगीर-चांपा जिले सहित राज्य में 10 वर्ष पहले तक औसत वर्षा 12 सौ मिली मीटर थी, लेकिन इन वर्षों में एक बार भी 12 सौ मिली मीटर वर्षा नहीं हो पाई.
  • जिले में आज तक 537 मिली मीटर बारिश हुई है, जबकि यह पिछले साल के मुकाबले 793 मिली मीटर बारिश से काफी कम है.
  • औसत वर्षा में 35 फीसदी कम बारिश हुई है.
  • इस तरह से देखा जाए तो जांजगीर जिले की स्थिति अन्य जिलों से भिन्न नहीं है. ऐसे में यह राज्य के लिए गंभीर चुनौती है.
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0 राज्य में लगातार हो रही कम बारिश कृषि वैज्ञानिकों के लिए चुनौती
0देश भर में भारी बारिश के बीच जिले में सूखे की आहट
0 क्या हम रैन सेडो एरिया की तरफ तो नहीं बढ़ रहे
इंट्रों-
पिछले कुछ दिनों से देश भर में भारी बारिश की खबरों के बीच छत्तीसगढ़ में सूखे की स्थिति एक तरह से गंभीर चेतावनी है। दरअसल, साल दर साल औसत वर्षा कम होती जा रही है। जांजगीर-चांपा जिले में पिछले 10 वर्षों की रिकार्ड पर नजर डालें तो लगातार बारिश कम होती जा रही है। इस साल भी पिछले साल के मुकाबले करीब 35 फीसद कम बारिश हुई है। ऐसे समय में जब देश भर मेें भारी वर्षा हो रही है। इस स्थिति में यह लाजमी है कि छत्तीसगढ़ में लगातार हो रही कम बारिश के क्या कारण है। मौसम विभाग के वैज्ञानिक इस संबंध में स्पष्ट रुप से कुछ नहीं कह पा रहे हैं, लेकिन राज्य में रैन सेडो एरिया का ग्राफ बढ़ने के खतरे अपने जगह में है।
Body:बॉडी-
जांजगीर जिले के असिंचिंत क्षेत्रों में भयंकर सूखे की नौबत देखने को मिल मिल रही है। ऐसे समय में जब हर राज्य में भारी बारिश हो रही है तो न केवल जांजगीर जिले में बल्कि अन्य जिलों में यही स्थिति को लेकर कृषि वैज्ञानिकों में बेचैनी है। जांजगीर के कृषि महाविद्यालय में अलग-अलग विषयों के जानकारों से बात करने से यह साफ पता चलता है कि पिछले 10-15 सालों में वर्षा वितरण लगातार कम होने से आगे चलकर कम वर्षा बड़ी चुनौती पेश करेगी। इस संबंध में वैज्ञानिकों ने खुलकर बात नहीं की लेकिन माना जा रहा है कि, विदर्भ का वृष्टि छाय़ा क्षेत्र छत्तीसगढ़ की तरफ पांव न पसार रहा हो। दरअसल, दक्षिण पश्चिम मानसून व बंगाल की खाड़ी पर उठने वाले कम दबाव का क्षेत्र इन दो कारणों से राज्य में वर्षों होती है, लेकिन इन दोनों मानसूनी हवाओं से छत्तीसगढ़ में अब पहले जैसी प्रभावी वर्षा नहीं हो रही है। इस कारण रैन सेडो एरिया का प्रभाव बढ़ने को लेकर चिंता सामने आ रही है। इस संबंध में कृषि वैज्ञानिकों ने माना की क्षेत्र में लगातार बारिश कम होती जा रही है, जिससे किसानों को जल संचय के लिए तरीके अपनाने व फसलों को लेकर तौर-तरीके बदलने की बात कही।
बाइट- 1 वाय के मेश्राम, प्रभारी प्रिंसिपल, कृषि महाविद्यालय जांजगीर
बाइट-2 मंजू टंडन, साहयक प्राध्यापक
बाइट-3 के एस खुसरो, मृदा विज्ञान विशेषज्ञ
Conclusion:कन्क्लूसन-
राज्य में लगातार कम बारिश न केवल किसानों बल्कि कृषि वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय है। जांजगीर-चांपा जिले सहित राज्य में 10 वर्ष पहले तक औसत वर्षा 12 सौ मिली मीटर थी, लेकिन इन वर्षों में एक बार भी 12 सौ मिली मीटर वर्षा नहीं हो पाई। जिले में आज तक 537 मिली मीटर बारिश हुई है, जबकि यह पिछले साल के मुकाबले 793 मिली मीटर बारिश से काफी कम है साथ ही औसत वर्षा में 35 फीसदी कम बारिश हुई है। इस तरह से देखा जाए तो जांजगीर जिले की स्थिति अन्य जिलों से भिन्न नहीं है। ऐसे में यह राज्य के लिए गंभीर चुनौती है।
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