जांजगीर चांपा: जांजगीर चांपा के मड़वा पावर प्लांट में पुलिस और विस्थपितों के बीच पथराव के बाद मामला शांत हो गया है. प्लांट में बंधक अधिकारियों को पुलिस ने देर रात मुक्त करा लिया है. इससे पहले देर रात कलेक्टर ने बयान दिया था कि समझाने से नहीं माने आंदोलन कारी. बीमार कर्मचारियों को प्लांट से निकलने पर पानी का छिड़काव किया जा रहा था. विस्थापितों में उपद्रवी भी शामिल थे. इस दौरान 20 पुलिस कर्मियों को चोटें आई है. साथ ही बस, कार में आग और शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है.
इससे पहले मड़वा पावर प्लांट के विस्थापितों (Clashes between land displaced contractual employees) संविदा कर्मचारियों का 28 दिनों से चल रहा आंदोलन उग्र चल रहा था. पुलिस ने आंदोलन को समाप्त करने के लिए सख्ती दिखाई थी. उसके बाद प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और (Uproar in Janjgir Madwa plant) भड़क गया था. आंदोलनकारियों ने बल प्रयोग कर रहे पुलिसकर्मियों पर पथराव किया था. प्लांट के भवन, सरकारी वाहनों में जमकर तोड़ फोड़ की थी और कार को आग के हवाले कर दिया था. प्रदर्शनकारियों ने ग्रामीणों के बीच फंसे पुलिसकर्मियों पर भी हमला कर दिया था. प्लांट के सामने अब स्थिति सामान्य है. प्लांट के अंदर आला अधिकारी बंधक बनाए गए थे जिन्हें रिहा करा लिया गया है.
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प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर किया था पथराव
जांजगीर चांपा के मड़वा पावर प्लांट के 400 विस्थापितों और संविदा कर्मचारी लगातार 28 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. आंदोलन को समाप्त कराने के लिए जिला प्रशासन ने कंपनी प्रबंधन और आंदोलनकारियों के बीच वीडियो कांफ्रेंसिंग से वार्ता तय की थी. शाम 4 बजे वार्ता के लिए 10 भू विस्थापित लोगों से प्लांट के अंदर बातचीत हुई थी. जिसके बाद पुलिस ने अन्य विस्थापितों की गिरफ्तारी शुरू कर दी थी. जिससे माहौल और तनावपूर्व हो गया था. लोगों ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी. जिसके बाद तनाव खुलकर सामने आ गया था. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर फायर ब्रिगेड की मदद से पानी की बौछार की थी. पुलिस के इस एक्शन का रिएक्शन दिखा लोगों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया थी. इस पथराव के बाद पुलिसकर्मी भागने लगे थे.
इस दौरान पुलिसकर्मियों पर महिलाओं के साथ भी बदसलूकी के आरोप थे. ग्रामीणों के उग्र रूप के बाद एसपी और कलेक्टर रेस्ट हाउस में बंधक बनाए गए थे. इतना ही नहीं भीड़ ने प्लांट के गेट में जमकर तोड़फोड़ की और कार को आग हवाले कर दिया था. प्लांट के अंदर बंधक बने अधिकारियों को बाहर निकालने और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस लाइन से फोर्स बुलाई गई थी. जिसके बाद भी हालातों पर काबू पाया गया.
विस्थापितों की क्या हैं मांगें
मड़वा पावर प्लांट छत्तीसगढ़ शासन के अधीन है. जमीन खरीदते समय शासन ने विस्थापितों को नियमित नौकरी देने का वादा किया था. लेकिन 6 साल बाद भी नियमित नौकरी उन्हें नहीं मिल पाई. यही वजह है कि करीब 400 विस्थापित संविदा कर्मियों ने नौकरी की मांग को लेकर 28 दिन पहले से आंदोलन शुरू कर दिया. आज आंदोलन ने उग्र रूप धारण कर लिया. अब देखना होगा की प्रबंधन और जिला प्रशासन इस मामले में आगे क्या एक्शन लेता है.