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मुठभेड़ में मारे गए ग्रामीणों को मुआवजे का ऐलान, गोली लगने से हुई थी मौत

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Published : Jun 13, 2019, 10:50 PM IST

धुर नक्सली इलाका साल्हेभाट गांव के जंगल में बीते महीने पुलिस-नक्सली मुठभेड हुई थी, जिसमें दो ग्रामीण मारे गए थे. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार ने मारे गए ग्रामीणों के परिवार को 5 लाख रुपये, किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का फैसला लिया गया है.

मुठभेड़ में मारे गए ग्रामीणों को मुआवजे का ऐलान

धमतरी: छत्तीसगढ़ के धुर नक्सली इलाका साल्हेभाट गांव के जंगल में बीते महीने पुलिस-नक्सली मुठभेड हुई थी, जिसमें दो ग्रामीण मारे गए थे. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार ने मारे गए ग्रामीणों के परिवार को 5 लाख रुपये, किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का फैसला लिया गया है, जिसकी एलान जिला प्रशासन की ओर से किया गया.

मुठभेड़ में मारे गए ग्रामीणों को मुआवजे का ऐलान

गोलियों की बौछार से हुई थी मौत
बता दें कि 5 अप्रैल को सिहावा थाना क्षेत्र के साल्हेभाट के जंगल में पुलिस और नक्सलियों की मुठभेड़ हुई थी. इस मुठभेड़ में ओडिशा के दो ग्रामीण गोलियों की बौछार के बीच फंस गए थे, गोली लगने से उनकी मौत हो गई थी. मारे गए ग्रामीणों की लाश 7 अप्रैल को बरामद हुई थी, लेकिन ग्रामीणों के बरामद शव ने सवाल खड़ा कर दिया था.

ओडिशा के कुंदई गांव के थे ग्रामीण
पूरे मामले को लेकर दंडाधिकारी जांच का फैसला लिया गया और कलेक्टर की निगरानी में नगरी एसडीएम को जिम्मा सौंपा गया. 2 महीने बाद ये साफ हो पाया कि मारे गये लोग नक्सली नहीं थे. इनकी पहचान ओडिशा के कुंदई थाना इलाके के सेमरडीह निवासी सहदेव गोड़ और बुधेसिंग कमार के रूप में हुई थी. जांच में ये बात भी सामने आई कि दोनों ग्रामीण शहद निकालने के इरादे से जंगल में गए हुए थे, लेकिन मुठभेड़ में फंस गये.

अभी भी जांच जारी है
ये जांच फिलहाल खत्म नहीं हुई है एक सवाल अब भी बाकी है कि दोनों निर्दोष ग्रामीणों की मौत पुलिस की गोली लगने से हुई है या नक्सलियों की गोली लगने से. धमतरी कलेक्टर और जिला दंडाधिकारी रजत बंसल के मुताबिक इसकी जांच के बाद जो भी दोषी होगा उस पर भी कार्रवाई की जाएगी.

धमतरी: छत्तीसगढ़ के धुर नक्सली इलाका साल्हेभाट गांव के जंगल में बीते महीने पुलिस-नक्सली मुठभेड हुई थी, जिसमें दो ग्रामीण मारे गए थे. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार ने मारे गए ग्रामीणों के परिवार को 5 लाख रुपये, किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का फैसला लिया गया है, जिसकी एलान जिला प्रशासन की ओर से किया गया.

मुठभेड़ में मारे गए ग्रामीणों को मुआवजे का ऐलान

गोलियों की बौछार से हुई थी मौत
बता दें कि 5 अप्रैल को सिहावा थाना क्षेत्र के साल्हेभाट के जंगल में पुलिस और नक्सलियों की मुठभेड़ हुई थी. इस मुठभेड़ में ओडिशा के दो ग्रामीण गोलियों की बौछार के बीच फंस गए थे, गोली लगने से उनकी मौत हो गई थी. मारे गए ग्रामीणों की लाश 7 अप्रैल को बरामद हुई थी, लेकिन ग्रामीणों के बरामद शव ने सवाल खड़ा कर दिया था.

ओडिशा के कुंदई गांव के थे ग्रामीण
पूरे मामले को लेकर दंडाधिकारी जांच का फैसला लिया गया और कलेक्टर की निगरानी में नगरी एसडीएम को जिम्मा सौंपा गया. 2 महीने बाद ये साफ हो पाया कि मारे गये लोग नक्सली नहीं थे. इनकी पहचान ओडिशा के कुंदई थाना इलाके के सेमरडीह निवासी सहदेव गोड़ और बुधेसिंग कमार के रूप में हुई थी. जांच में ये बात भी सामने आई कि दोनों ग्रामीण शहद निकालने के इरादे से जंगल में गए हुए थे, लेकिन मुठभेड़ में फंस गये.

अभी भी जांच जारी है
ये जांच फिलहाल खत्म नहीं हुई है एक सवाल अब भी बाकी है कि दोनों निर्दोष ग्रामीणों की मौत पुलिस की गोली लगने से हुई है या नक्सलियों की गोली लगने से. धमतरी कलेक्टर और जिला दंडाधिकारी रजत बंसल के मुताबिक इसकी जांच के बाद जो भी दोषी होगा उस पर भी कार्रवाई की जाएगी.

Intro:पुलिस नक्सली मुठभेड में जो दो ग्रामीण मारे गये थे उनके परिवार को अब छग शासन की ओर 5 लाख रुपये बतौर मुआवजा दिया जायेगा साथ ही परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी दी जायेगी.यह ऐलान धमतरी जिला प्रशासन की ओर से किया गया है.Body:बीते 5 अप्रेल को सिहावा थाना क्षेत्र के साल्हेभाट के जंगल में पुलिस और नक्सलियों की मुठभेड़ हुई थी.ये ईलाका उड़ीसा राज्य की सीमा से लगता है.इस मुठभेड़ में उड़ीसा के दो ग्रामीण गोलियों की बौछार के बीच फंस गये और उनकी गोली लगने से मौत हो गई...7 अप्रेल को इनके शव बरामद किये गए.तब यह सवाल था कि ये शव नक्सलियों के है या किसी ग्रामीण के.एैसे में पुरे मामले कि दंडाधिकारी जांच का फैसला लिया गया और कलेक्टर की निगरानी में नगरी एसडीएम को जिम्मा सौपा गया.दो महिने बाद ये साफ हो पाया कि मारे गये ये लोग नक्सली नही थे इनकी पहचान उड़ीसा के कुंदई थाना ईलाके के सेमरडीह निवासी सहदेव गोड़ और बुधेसिंग कमार के रूप में हुई थी.जांच में ये बात भी सामने आई कि दोनो ग्रामीण शहद निकालने के इरादे जंगल में गये हुए थे.और मुठभेड़ में फंस गये.ये जांच फिलहाल खत्म नही हुई है एक सवाल अभी बाकी है कि दोनो निर्दाेश ग्रामीणों की मौत पुलिस गोली लगने से हुई है या नक्सलियों की गोली लगने से.धमतरी कलेक्टर और जिला दंडाधिकारी रजत बंसल के मुताबित इसकी जांच के बाद जो भी दोषी होगा उस पर भी कार्रवाई की जायेगी.

बाईट...रजत बंसल,कलेक्टर धमतरी

रामेश्वर मरकाम धमतरीConclusion:
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