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जांजगीर-चांपा: कहीं स्कूल का चोरी हो गया सामान, तो कहीं जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर हैं नौनिहाल - पामगढ़ तहसील के राहोद प्राथमिक स्कूल

जिले के सरकारी स्कूलों की हालत बेहद ही गंभीर है. कहीं बच्चे पढ़ने नहीं आते हैं, तो कहीं स्कूल भवन ही नहीं हैं. ऐसी स्थिती में बच्चों का भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है.

सरकारी स्कूल की बच्चे
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Published : Nov 16, 2019, 8:53 AM IST

Updated : Nov 16, 2019, 2:08 PM IST

जांजगीर-चांपा: जिले के सरकारी स्कूलों की हालत बेहद गंभीर है. यहां पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है. यहां के प्रधानाध्यापक को राज्य की राज्यपाल का नाम तक नहीं पता है. इससे आप सहज की अंदाजा लगा सकते हैं स्कूल में पढने वाले बच्चों का क्या हाल होगा.

स्कूल में नहीं हैं सुविधाएं

जानिए इस जिले की सरकारी स्कूलों की हालत

  • डबरा तहसील के अंदर फलियामुंडा स्कूल है, जहां स्कूल भवन की हलत इतनी जर्जर है कि यहां के बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने के लिए मजबूर हैं.
  • वहीं दूसरी ओर जिले का मालखरोदा ब्लॉक के नरियार स्कूल है, जहां बाल दिवस के 1 दिन पहले यहां धावा बोलकर बदमाश स्कूल में लगे सभी 22 पंखे और कंप्यूटर के पार्ट्स सहित अन्य उपकरणों को लेकर रफूचक्कर हो गए. इस बात की सूचना हसौद थाने में दी गई है.
  • पामगढ़ तहसील के राहोद प्राथमिक स्कूल के राहुल नगर पंचायत में आने वाले इस प्राइमरी स्कूल में 15-20 बच्चे ही पढ़ते हैं, जिनमें से आधे स्कूल आते ही नहीं.
    सरकारी स्कूल की शिकायत
    सरकारी स्कूल की शिकायत

इसके साथ ही पामगढ़ ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से पूरे ब्लॉक में प्राइमरी, मिडिल, हाई और हायर सेकेंडरी स्कूल के बच्चों के आंकड़ें लिए तो पता चला कि, लगभग 80 गांवों और तीन नगर पंचायत क्षेत्र वाले इस ब्लॉक में सरकारी स्कूलों में दर्ज संख्या की स्थिति बहुत ही गंभीर है. प्राइमरी स्कूल में जहां दो हजार के करीब बच्चे पढ़ते हैं, तो वहीं 12वीं कक्षा में केवल 900 के आसपास बच्चे पढाई करते हैं.

जिले के सरकारी स्कूल
जिले के सरकारी स्कूल

पढ़ें- जांजगीर चांपा: नहीं मिली किसान सम्मान निधि की राशि, बढ़ी अन्नदाता की चिंता

इससे साफ पता चलता है कि, सरकारी स्कूल की शिक्षा व्यवस्था एक तरह से गरीब घरों के बच्चों के लिए मजबूरी जैसी हो गई है यहां कारण है कि आज के समय में प्राइवेट स्कूल इस अव्यवस्था के चलते फल-फूल रहे हैं.

जांजगीर-चांपा: जिले के सरकारी स्कूलों की हालत बेहद गंभीर है. यहां पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है. यहां के प्रधानाध्यापक को राज्य की राज्यपाल का नाम तक नहीं पता है. इससे आप सहज की अंदाजा लगा सकते हैं स्कूल में पढने वाले बच्चों का क्या हाल होगा.

स्कूल में नहीं हैं सुविधाएं

जानिए इस जिले की सरकारी स्कूलों की हालत

  • डबरा तहसील के अंदर फलियामुंडा स्कूल है, जहां स्कूल भवन की हलत इतनी जर्जर है कि यहां के बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने के लिए मजबूर हैं.
  • वहीं दूसरी ओर जिले का मालखरोदा ब्लॉक के नरियार स्कूल है, जहां बाल दिवस के 1 दिन पहले यहां धावा बोलकर बदमाश स्कूल में लगे सभी 22 पंखे और कंप्यूटर के पार्ट्स सहित अन्य उपकरणों को लेकर रफूचक्कर हो गए. इस बात की सूचना हसौद थाने में दी गई है.
  • पामगढ़ तहसील के राहोद प्राथमिक स्कूल के राहुल नगर पंचायत में आने वाले इस प्राइमरी स्कूल में 15-20 बच्चे ही पढ़ते हैं, जिनमें से आधे स्कूल आते ही नहीं.
    सरकारी स्कूल की शिकायत
    सरकारी स्कूल की शिकायत

इसके साथ ही पामगढ़ ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से पूरे ब्लॉक में प्राइमरी, मिडिल, हाई और हायर सेकेंडरी स्कूल के बच्चों के आंकड़ें लिए तो पता चला कि, लगभग 80 गांवों और तीन नगर पंचायत क्षेत्र वाले इस ब्लॉक में सरकारी स्कूलों में दर्ज संख्या की स्थिति बहुत ही गंभीर है. प्राइमरी स्कूल में जहां दो हजार के करीब बच्चे पढ़ते हैं, तो वहीं 12वीं कक्षा में केवल 900 के आसपास बच्चे पढाई करते हैं.

जिले के सरकारी स्कूल
जिले के सरकारी स्कूल

पढ़ें- जांजगीर चांपा: नहीं मिली किसान सम्मान निधि की राशि, बढ़ी अन्नदाता की चिंता

इससे साफ पता चलता है कि, सरकारी स्कूल की शिक्षा व्यवस्था एक तरह से गरीब घरों के बच्चों के लिए मजबूरी जैसी हो गई है यहां कारण है कि आज के समय में प्राइवेट स्कूल इस अव्यवस्था के चलते फल-फूल रहे हैं.

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सरकारी स्कूलों में बच्चों की दर्ज संख्या को लेकर बहुत गंभीर आंकड़े
ज्यादातर स्कूलों में गरीबी के शिकार घरों के कुछ दर्जन बच्चे ही पढ़ते हैं
शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य दांव पर
एंकर
आज बाल दिवस में जांजगीर-चांपा जिले के कुछ सरकारी स्कूलों की तस्वीर हम सामने रखना चाहते हैं जहां पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य किस तरह अंधकार में है । सरकारी स्कूल ना केवल अव्यवस्था का शिकार हैं, बल्कि यहां शिक्षा का वातावरण किस तरह दोयम दर्जे का है, यह तस्वीर और आंकड़े हमारी तफ्तीश में सामने आया।

voxpop-( फलियामुंडा स्कूल के 2 स्कूली छात्रा)
जांजगीर-चांपा जिले के डबरा तहसील के अंतर्गत यह फलिया मुंडा स्कूल है जहां स्कूल भवन इतना जर्जर है कि बच्चों को खुले आसमान के नीचे पढ़ाना मजबूरी है यही कारण है कि यह छोटे-छोटे मासूम बच्चे अपनी जर्जर स्कूल भवन की व्यथा सामने रख रहे हैं। दूसरी तस्वीर जिले के मालखरोदा ब्लॉक के नरियारा स्कूल की है यहां बाल दिवस के 1 दिन पहले इस सरकारी स्कूल पर धावा बोलकर स्कूल के सभी 22 पंखों वाह कंप्यूटर सामान सहित अन्य उपकरणों को लेकर चंपत हो गए इस बात की सूचना हसौद थाने में दी गई है जिसका मजमून आते सामने है आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बाल दिवस के 1 दिन पहले इस घटना के बाद यहां बाल दिवस किस तरह से मनाया जा रहा होगा आखिर में चलते हैं पामगढ़ तहसील के राहोद प्राथमिक स्कूल में राहुल नगर पंचायत में आने वाले इस प्राइमरी स्कूल में कुल मिलाकर 3 दर्जन बच्चे भी नहीं बढ़ते यहां दो दर्जन बच्चे ही उपस्थित हो पाते हैं आप देख सकते हैं कि किस तरह चार बच्चों को एक टीचर पढ़ा रहा है उस पर भी एक कमरे में तीसरी और चौथी प्रास लगी है जहां दोनों कक्षा में चार चार बच्चे पढ़ाई करते हैं

बाइट- डीएड कॉलेज प्रशिक्षणार्थी शिक्षक( D.Ed कॉलेज मैं पढ़ने वाले प्रशिक्षण हेतु स्कूल में पढ़ाने आए शिक्षक)
विओ-2
यह तस्वीर किसी ग्रामीण स्कूल की नहीं बल्कि नगर पंचायत क्षेत्र राहोद के प्राइमरी स्कूल की है ।मुसीबत इससे भी और बड़ी है। दरअसल समस्या स्कूल में नगण्य दर्ज संख्या की थी, लेकिन इस संबंध में सवाल पूछने पर यहां के प्रधान अध्यापक का अंदाज कैसा था, यह भी आप सुनिए...

बाइट-संतोष कश्यप, प्रधानाध्यापक राहोद प्राइमरी स्कूल

कंक्लुजन-
इसके साथ ही हमने पामगढ़ ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से पूरे ब्लॉक में प्राइमरी ,मिडिल, हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूल के बच्चों की दर्ज संख्या के आंकड़े हमने लिए तो वह भी कम चौकानेवाले नहीं थे। लगभग 80 गांवों व तीन नगर पंचायत क्षेत्र वाले इस ब्लॉक में सरकारी स्कूलों में दर्ज संख्या की स्थिति बहुत ही गंभीर है। प्राइमरी स्कूल में जहां दो हजार के करीब बच्चे पढ़ते हैं तो वहीं 12वीं कक्षा में केवल 900 के आसपास बच्चे पढ़ाई करते हैं । इससे साफ पता चलता है कि सरकारी स्कूल की शिक्षा व्यवस्था एक तरह से गरीब घरों के बच्चों के लिए मजबूरी जैसी हो गई है और प्राइवेट स्कूल इस अवस्था में फल-फूल रहे हैं।



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Last Updated : Nov 16, 2019, 2:08 PM IST
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