जांजगीर चांपा : भारतीय जीवन बीमा निगम (Life Insurance Corporation of India) से पॉलिसी लेने के 6 महीने के भीतर ही आवेदक की मौत पर बीमा राशि का भुगतान नहीं करने को सेवा में कमी मानते हुए उपभोक्ता आयोग (Consumer Commission) ने ब्याज सहित बीमा की रकम भुगतान करने का फैसला सुनाया है.
28 अक्टूबर 2018 को खरीदी गई थी पॉलिसी
आवेदक रुकमणी बंजारे के अनुसार उसके पति स्व जगदीश बंजारे ने 28 अक्टूबर 2018 को निगम के अधिकृत एजेंट से बीमा पॉलिसी खरीदी थी. पॉलिसी का प्रीमियम भी लगातार भुगतान किया जा रहा था. इसी बीच 2 मई 2019 को जगदीश की मृत्यु हो गई. जगदीश की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी रुक्मणी ने बीमा निगम से बीमा की रकम 8 लाख का क्लेम किया. बीमा क्लेम के मामले में निगम के अधिकारियों ने फैसला सुनाया कि बीमाधारक जगदीश की मौत हाइपरटेंशन के कारण दिमागी लकवे से हुई है. बीमा धारक ने इस बीमारी के बारे में बीमा कराने के पूर्व निगम को अवगत नहीं कराया था.
रुकमणी ने उपभोक्ता आयोग में प्रस्तुत किया मामला
मामले में रुक्मणी ने निगम को नोटिस दिया, जिस पर भी बीमा निगम अपने पूर्व फैसले पर अड़ा रहा. इसको देखते हुए मामला उपभोक्ता आयोग में प्रस्तुत किया गया. उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष तजेश्वरी देवी देवांगन सदस्य मनरमण सिंह तथा मंजू लता राठौर ने सुनवाई के दौरान पाया कि बीमा कंपनी द्वारा दावे का भुगतान नहीं करना सेवा में कमी की श्रेणी में आता है. इसको देखते हुए आयोग ने फैसला सुनाया कि बीमा निगम को आवेदक रुकमणी बंजारे को 45 दिनों के भीतर ब्याज सहित बीमा की रकम 8 लाख का भुगतान करना होगा. साथ ही मानसिक क्षतिपूर्ति बतौर 5 हजार रुपये तथा 2 हजार रुपये वाद व्यय स्वरूप भुगतान करना होगा.