महासमुंद: 'स्कूल आ पढे बर, जिनगी ला गढ़े बर' इस स्लोगन से शिक्षा विभाग नौनिहालों के भविष्य गढ़ने का दावा करता है, लेकिन इस बीच शिक्षा विभाग की जमीनी हकीकत कुछ और ही है. आए दिन कई स्कूलों में टीचरों की कमी, तो कहीं शिक्षक हटाने की मांग को लेकर स्कूली बच्चे और उनके पालक स्कूल का बहिष्कार करते रहते हैं.
ऐसा ही मामला बागबाहरा विकासखंड के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला भदरसी से सामने आया है. जहां एक टीचर को हटाने और दो टीचरों की पदस्थापना की मांग को लेकर छात्र-छात्राओं ने कर दिया है और पालक बच्चों को स्कूल के बाहर पेड़ के नीचे पढ़ा रहे हैं.
65 छात्र-छात्राओं की प्रभावित हो रही है पढ़ाई
इस स्कूल में कक्षा 6वीं से लेकर 8वीं तक के 65 छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं. शिक्षा विभाग ने इस स्कूल में चार शिक्षकों की नियुक्ति हुई है. इन चारों में से एक शिक्षक पर बच्चों के साथ सही व्यवहार नहीं करने की वजह से उस शिक्षक को व्यवस्था के तौर दूसरे स्कूल में भेज दिया गया. इस तरह से इस स्कूल में तीन ही शिक्षक बचे.
नहीं है विज्ञान और अंग्रजी के शिक्षक
इन तीन शिक्षकों के पदस्थ होने के बावजूद स्कूल में विज्ञान और अंग्रेजी के शिक्षक नहीं हैं और जिस टीचर को दूसरे स्कूल भेजा गया है, उसकी पदस्थापना भदरसी स्कूल में होने की वजह से दूसरे टीचर की नियुक्ति इस स्कूल में नहीं हो पा रही है. जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे और उनके पालक लंबे समय से टीचर की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई.
इस पूरे मामले में शिक्षा विभाग के आला अधिकारी मीडिया से जानकारी मिलने के बाद मामले को पूरी तरह से जानने के बाद समस्या का समाधान करने की बात कह रहे है.
इन सबके बीच चिंता करने की बात यह है कि, बच्चों की पढ़ाई को समय रहते पूरा कौन कराएगा और क्या प्रशासन की ओर से दिखाई जा रही सुस्ती नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं है.?