जांजगीर चांपा: जिले में कोविड-19 सेकेंड वेव की आड़ में जमकर करप्शन किया गया. बीजेपी विधायक सौरभ सिंह ने आरोप लगाया है कि जांजगीर जिला प्रशासन ने आपदा को अवसर में बदलकर कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जमकर भ्रष्टाचार किया. इस मामले की शिकायत बीजेपी विधायक सौरभ सिंह (BJP MLA Saurabh Singh) ने स्वास्थ्य मंत्री से की है.
उनका आरोप है कि जिले में कोविड के नाम पर वेंटीलेटर, सीटी स्कैन मशीन और लैब के लिए उपकरण खरीदी की गई. जिसकी गुणवत्ता बहुत ही खराब है. साथ ही किसी एक फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया. इस विषय पर विधायक सौरभ सिंह ने विधान सभा सत्र में सवाल उठाया था, लेकिन कोई चर्चा नहीं हो पाई. इतना ही नहीं स्वास्थ्य मंत्री ने पूरे प्रकरण की जांच के आदेश देने की जानकारी दी थी. अब तक कुछ पता नहीं चला.
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जांजगीर प्रशासन के विरोध में बीजेपी विधायक सौरभ सिंह
जांजगीर चांपा जिला प्रशासन के खिलाफ बीजेपी विधायक सौरभ सिंह खुल कर सामने आ गए हैं. उन्होंने जिला प्रशासन पर डीएमएफ और सीएसआर मद में दुरुपयोग का आरोप लगाया है. बीजेपी विधायक सौरभ सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन ने कोविड-19 की दूसरी लहर में जमकर घपला किया है. सिंगल निविदा पर वेंटीलेटर, सीटी स्कैन मशीन और आरटीपीसीआर लैब के सामान की खरीदी की गई है.
सभी उपकरण को एक ही ठेकेदार से खरीदा गया और खरीदे गए सीटी स्कैन मशीन और आरटीपीसीआर लैब का उपयोग अब तक शुरू नहीं किया गया है. न तो सीटी स्कैन मशीन रखने के लिए पर्याप्त भवन है न ही आरटीपीसीआर मशीन संचालित करने के लिए टेक्निकल स्टाफ हैं. इसके बाद भी जिला प्रशासन ने कोविड के नाम पर करोड़ों के सामान की खरीदी की.
इतना ही नहीं सीएसआर का उपयोग ग्राम विकास में करने के बजाय खुद ही खर्च कर दिया. इसकी शिकायत स्वास्थ्य मंत्री से की गई है. उन्होंने राज्य सरकार से सीएसआर मद के बारे में श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है. वैसे तो कोविड की तीसरी लहर देश के साथ जांजगीर चांपा जिला में दिखने लगी है. जिला प्रशासन ने कोविड-19 से लोगों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम का दावा किया है, लेकिन वह पूरी तरह विफल है.
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कलेक्टर ने सभी आरोपों को नकारा
कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला (Collector Jitendra Shukla) ने कहा कि पूर्व में खरीदे गए सीटी स्कैन मशीन और आरटीपीसीआर लैब को अब तक शुरु नहीं किया जा सका है. इसका मूल कारण टेक्निकल कर्मचारियों की अनुपलब्धता को बताया गया है. टेक्निकल स्टाफ भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए आवेदन लिए जाने का दावा किया गया है.
कोविड प्रबंधन के नाम पर पूर्व में जिला प्रशासन ने लोगों को कई वायदे किए. करोड़ों रुपए फूंके, लेकिन करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी न तो सीटी स्कैन मशीन की सेवा शुरू हो सकी है. न ही आरटीपीसीआर लैब की शुरुआत हो पाई है. लोग आज भी सीटी स्कैन के लिए निजी लैब और आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए रायगढ़ और बिलासपुर पर ही निर्भर हैं. सौरभ सिंह ने जिला प्रशासन पर दोषियों को बचाने का आरोप भी लगाया है.