सक्ती: जिले के मालखरौदा में मुआवजा राशि ना मिलने से नाराज ग्रामीणों ने मंगलवार को मालखरौदा के मिशन चौक में चक्काजाम किया. सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण आंदोलन में शामिल हुए. वहीं ग्रामीणों के समर्थन में बसपा और बीजेपी के नेता भी उतरे. सुबह 10:00 बजे से सड़क के बीच में टेंट लगाकर दोनों ही पार्टियों ने सरकार और एडीबी कंपनी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
आंदोलन में भाजपा और बसपा के नेताओं में खींचतान: चक्काजाम को लेकर पहले बसपा ने अधिकारियों को सूचना दी थी. जबकि भाजपा ने भी आनन-फानन में चक्काजाम में ग्रामीणों के सहयोग करने का निर्णय लिया. आंदोलन स्थल पर बसपा के नेता ग्रामीणों के साथ चक्का जाम और आंदोलन मैं बैठ चुके थे. वहीं कुछ देर बाद बीजेपी के नेता भी समर्थन देने मिशन चौक पहुंचे. जहां बसपा के नेता और भाजपा नेता के बीच विवाद की स्थिति पैदा हो गई. शासन प्रशासन के खिलाफ आंदोलन छोड़ आपस में दोनों पार्टी के नेता उलझ पड़े.
माइक को लेकर भिड़े नेता: दरअसल बसपा ने चक्काजाम और आंदोलन को लेकर मिशन चौक में टेंट की व्यवस्था की थी और उनके नेता माइक पर भाषण दे रहे थे. भाजपा के नेताओं को लगा की व्यवस्था उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने की है. माइक में भाषण देने को लेकर दोनों के बीच खींचतान शुरू हो गई. दोनों पार्टी के नेता आपस में उलझ पड़े. काफी देर बाद स्थिति स्पष्ट हुई. टेंट और माइक की व्यवस्था बसपा के नेताओं द्वारा की गई है. तब कहीं जाकर भाजपा के नेताओं ने अपने लिए अलग टेंट और माइक की व्यवस्था की.
सक्ती कलेक्टर कार्यालय में होगा समाधान: ग्रामीणों का आंदोलन खत्म कराने सुबह से ही राजस्व विभाग और पुलिस विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंच चुके थे. लेकिन ग्रामीण उनकी बातें सुनने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी. ग्रामीण तत्काल समाधान की बात कर रहे थे. जिसके लिए विभाग के बड़े अधिकारियों को भी मौके पर बुलाया गया. सक्ती के अतिरिक्त कलेक्टर भी ग्रामीणों को समझाने पहुंचे. काफी समझाने के बाद 5 जुलाई को ग्रामीणों के समस्या का समाधान कलेक्टर कार्यालय सक्ती में करने को लेकर अधिकारियों और ग्रामीणों के बीच सहमति बनी, तब कही जाकर शाम 4 बजे चक्का जाम खत्म हुआ.
एडीबी की लापरवाही की सजा भुगत रहे ग्रामीण: एडीबी कंपनी के अधिकारियों ने समय पर अपना काम नहीं किया. कहीं ना कहीं उनकी इस पूरे मामले में लापरवाही सामने आई है. समय पर रिपोर्ट तैयार करके शासन तक नहीं भेजा गया. जिस वजह से मुआवजा का वितरण नहीं किया जा सका है. 3 साल से एडीबी कंपनी सड़क निर्माण कार्य में लगी हुई है. मगर अधिग्रहण किए गए जमीन का मुआवजा 3 साल बाद भी ग्रामीणों को नहीं मिला है. बताया जा रहा है कि 3 साल पूर्व मुआवजा राशि डेढ़ करोड़ के आसपास थी, जो वर्तमान में 20 करोड़ से ऊपर बताई जा रही है. इसमें कई ग्रामीण और जुड़े हैं. जिनकी जानकारी रिपोर्ट में नहीं थी. इसके अलावा 3 साल बाद नए वैल्यूएशन से भी राशि में फर्क पड़ा है. जिसके कारण मुआवजा राशि 10 गुना से अधिक प्रशासन को भुगतान करना होगा.
मालखरौदा एसडीएम रजनी भगत ने बताया कि विभाग द्वारा शासन स्तर तक मुआवजा राशि का प्रबंधन करने के लिए पत्र लिखा जा चुका है. ताकि सभी प्रभावितों को मुआवजा राशि उपलब्ध कराया जा सके. इसके अलावा 5 जुलाई को सक्ती कलेक्टर कार्यालय में प्रभावितों, जनप्रतिनिधियों, एडीबी के अधिकारियों एवं जिला प्रशासन के बीच बैठक रखी गई है. जिसमें अन्य समस्याओं को लेकर समाधान किया जाएगा.