जांजगीर-चांपा : जिले के लिए शासन 20 से 25 करोड़ का सालाना बजट देती है. मगर लगभग 550 से भी ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र जुगाड़ के भवन में संचालित हो रहे हैं. कहीं भवन नहीं हैं, तो कहीं बिजली पानी की व्यवस्था नहीं है. इन तमाम विपरीत परिस्थितियों में आंगनबाड़ी केंद्र में किस तरह काम होता होगा ये आप समझ सकते हैं.
आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले बच्चों को न सिर्फ समुचित पोषण आहार दिया जाना है बल्कि बच्चों के शारीरिक विकास के लिए खेलकूद जैसे क्रिया-कलाप भी करने हैं. इसके लिए शासन हर साल आंगनबाड़ी केंद्रों में लाखों रुपए के खिलौने बंटता है. लेकिन खेलकूद के लिए मैदान की व्यवस्था नहीं हैं. जब भवन भी नसीब नहीं हो रहा है.
सैकड़ो आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं या तो कहीं सामुदायिक भवन या मंगल भवनों में संचालित किए जा रहे हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों में काम करने वाले कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की मजबूरी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वो खुलकर शिकायत भी नहीं कर सकते हैं. इसी का नतीजा है कि जिला बनने के 21 साल बाद भी लगभग 550 आंगनबाड़ी केंद्रों को खुद का भवन नसीब नहीं हुआ है.
आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 200 रुपये मासिक किराया दिया जाता है. अब ऐसे में कैसी व्यवस्थाएं इन केंद्रों में होगी इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है.