जगदलपुर: बस्तर में पहली बार यूथ कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक (Youth Congress Working Committee meeting) आज सम्पन्न हुई. बैठक में यूथ कांग्रेस (Youth Congress) के प्रदेश पदाधिकारियों समेत कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम (Congress state president Mohan Markam) भी शामिल हुए.
राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित
मीटिंग में 13 बिंदुओं पर चर्चा की गई. इसके साथ ही राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के प्रस्ताव के साथ ही राजीव मितान क्लब बनाने की योजना पर प्रस्ताव पारित किया गया. इस कार्य समिति की बैठक में आने वाले 2023 चुनाव के लिए भी रणनीति तैयार की गई. इस बैठक के माध्यम से युवाओं को बूथ स्तर की जिम्मेदारी सौंपी गयी. इसके साथ ही बस्तर के 13,737 बूथ जिसमें हर बूथ में 20 यूथ कांग्रेस के युवाओं की तैनाती पर भी चर्चा की गई.
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राहुल गांधी संभालें अपना पदभार- मोहन मरकाम
कार्य समिति की बैठक में शामिल होने पहुंचे पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम (PCC President Mohan Markam) ने कहा कि बैठक में कुल 13 बिंदुओं पर चर्चा की गई है. जिसमें भारतीय कांग्रेस कमेटी (Indian Congress Committee) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी बने यह राजनीतिक प्रस्ताव इस कार्य समिति की बैठक में लिया गया है. मोहन मरकाम ने कहा है कि यह निर्णय भी ऐतिहासिक निर्णय हैं. देश की युवा पीढ़ी यह चाहती है कि राहुल गांधी अपना पदभार फिर से संभालें. इसके अलावा इस कार्य समिति की बैठक में आगामी चुनाव की रणनीति तैयार करने के साथ ही सरकार की योजनाओं को जन जन तक किस तरह से पहुंचाया जाए. इस पर भी चर्चा इस कार्यसमिति की बैठक में की गई.
आलाकमान तय करेगा मुख्यमंत्री- पीसीसी चीफ
वहीं मंत्रिमंडल के बदलाव के सवाल पर मोहन मरकाम ने कहा कि मुख्यमंत्री किसको रखना चाहते हैं किसको नहीं रखना चाहते हैं ये उनका विषय है. लेकिन मुझे लगता है कि छत्तीसगढ़ में सभी मंत्री बहुत अच्छे से काम कर रहे हैं, जो भी निर्णय होगा वो मुख्यमंत्री ही लेंगे. छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बदले जाने के सवाल पर पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि यह फैसला हाईकमान के पास है और हाईकमान का निर्णय जो भी होगा वह सभी को स्वीकार होगा.
2023 की चुनावी जमीन तैयार कर रही कांग्रेस
गौरतलब है कि बस्तर में इससे पहले भाजपा ने अपना चिंतन शिविर का आयोजन किया था. जिसके बाद यूथ कांग्रेस के कार्यसमिति की बैठक से यह स्पष्ट है कि प्रदेश में चुनाव को भले ही 2 साल से अधिक का समय बचा हो, लेकिन दोनों ही मुख्य राजीनतिक दल अभी से चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं. चूंकि बस्तर को प्रदेश की सत्ता का मुख्य द्वार कहा जाता है. इसलिए कांग्रेस अपने मजबूत किले को और मजबूत करने में लग गई है तो वही भाजपा अपने खोए हुए जनाधार को दोबारा वापस पाने की जुगत में लग गई है.