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जानिए... बस्तर दशहरा की वो खास रस्म, जिसके बिना नहीं मिलती बस्तर दशहरा पर्व मनाने की अनुमति

अपनी अनोखी व आकर्षक परंपराओं के लिए विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व आज रात कांछन देवी की अनुमति के बाद शुरू हो गया है. दशहरा पर्व आरंभ करने की अनुमति लेने की यह परंपरा भी अपने आप में अनूठी है. काछनगादी नामक इस रस्म में एक नाबालिग कुंवारी कन्या अनुराधा दास कांटों के झूले पर लेट कर पर्व आरंभ करने की अनुमति दे दी हैं.

बस्तर दशहरा
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Published : Oct 6, 2021, 10:55 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: अपनी अनोखी व आकर्षक परंपराओं के लिए विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व आज रात कांछन देवी की अनुमति के बाद शुरू हो गया है. दशहरा पर्व आरंभ करने की अनुमति लेने की यह परंपरा भी अपने आप में अनूठी है. काछनगादी नामक इस रस्म में एक नाबालिग कुंवारी कन्या अनुराधा दास कांटों के झूले पर लेटकर पर्व आरंभ करने की अनुमति दे दी हैं.

करीब 600 सालों से चली आ रही यह परंपरा आज भी कायम है. इस परंपरा की मान्यता अनुसार कांटों के झूले पर लेटी कन्या के अंदर साक्षात देवी आकर पर्व आरंभ करने की अनुमति देती है. इस साल भी इस रस्म को धूमधाम से अदा किया गया. इस दौरान बस्तर राजकुमार कमलचंद भंजदेव, बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष दीपक बैज, जगदलपुर विधायक रेखचंद जैन समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे.

बस्तर दशहरा की वो खास रस्म
मन्नतें और आशीर्वाद के लिए काछन देवी बस्तर का महापर्व दशहरा बिना किसी बाधा के संपन्न हो. इस मन्नत और आशीर्वाद के लिए काछन देवी की पूजा होती है. आज बुधवार रात काछन देवी के रूप में एक विशेष पनका जाति की कुंवारी कन्या अनुराधा दास ने बस्तर राज परिवार को दशहरा पर्व आरंभ करने की अनुमति दी. पिछले 5 वर्षो से अनुराधा काछन देवी के रूप में कांटों के झूले पर लेट कर सदियों पुरानी इस परंपरा को निभाने की अनुमति दी.

मान्यता है कि इस महापर्व को निर्बाध संपन्न कराने के लिए काछन देवी की अनुमति आवश्यक है. जिसमें पनका जाति की कुंवारी कन्या को बेल के कांटों से बने झूले पर लिटाया जाता है और इस दौरान उसके अंदर खुद साक्षात देवी आकर पर्व आरंभ करने की अनुमति देती है. हर साल पितृ मोक्ष अमावस्या को इस प्रमुख विधान को निभाकर राज परिवार दशहरा पर्व मनाने के लिए अनुमति प्राप्त करता है और इस दौरान बस्तर का राज परिवार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ हजारों की संख्या में लोग इस अनूठी परंपरा को देखने काछन गुड़ी पहुंचते हैं.

धूमधाम से मनाया जाएगा पर्व
बस्तर राजकुमार कमलचंद भंजदेव ने कहा कि इस वर्ष भी बस्तर दशहरा पर्व को धूमधाम से मनाया जाए. इसके लिए नवरात्रि के पहले दिन इस अतभूत रस्म की अदा की जाती है और यह रस्म बस्तर दशहरा पर्व मनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण होती है.

दरअसल कुंवारी कन्या पर साक्षात काछन देवी आकर इस पर्व को निर्बाध तरीके से मनाने की अनुमति देती है और इसके लिए मां काछन देवी उनके गले में माला पहनाती है. उन्हें प्रसाद देखकर अनुमति देती है, सदियों से चली आ रही यह परंपरा आज भी कायम है. बस्तर राजकुमार ने कहा कि अब इस रस्म के बाद आने वाले 19 अक्टूबर तक बस्तर दशहरा के रोचक व अद्भुत रस्मों को अदा किया जाएगा.

तैयारियां पूरी
वहीं, बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष व बस्तर सांसद दीपक बैज ने कहा कि इस पर्व को धूमधाम से मनाने के लिए दशहरा पर्व समिति ने सारी तैयारियां पूर्ण कर ली है. इस दौरान कोरोना के नियमों का भी खास ध्यान रखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि आज मां काछन देवी से पर्व मनाने की अनुमति मिलने के बाद अब आगे की रस्मों को भी विधि विधान से संपन्न कराया जाएगा और इस दौरान किसी तरह की कोई कमी नहीं होगी. सांसद ने कहा कि आने वाले 17 अक्टूबर को खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी बस्तर दशहरा की रस्म मुरिया दरबार में शामिल होंगे.

जगदलपुर: अपनी अनोखी व आकर्षक परंपराओं के लिए विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व आज रात कांछन देवी की अनुमति के बाद शुरू हो गया है. दशहरा पर्व आरंभ करने की अनुमति लेने की यह परंपरा भी अपने आप में अनूठी है. काछनगादी नामक इस रस्म में एक नाबालिग कुंवारी कन्या अनुराधा दास कांटों के झूले पर लेटकर पर्व आरंभ करने की अनुमति दे दी हैं.

करीब 600 सालों से चली आ रही यह परंपरा आज भी कायम है. इस परंपरा की मान्यता अनुसार कांटों के झूले पर लेटी कन्या के अंदर साक्षात देवी आकर पर्व आरंभ करने की अनुमति देती है. इस साल भी इस रस्म को धूमधाम से अदा किया गया. इस दौरान बस्तर राजकुमार कमलचंद भंजदेव, बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष दीपक बैज, जगदलपुर विधायक रेखचंद जैन समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे.

बस्तर दशहरा की वो खास रस्म
मन्नतें और आशीर्वाद के लिए काछन देवी बस्तर का महापर्व दशहरा बिना किसी बाधा के संपन्न हो. इस मन्नत और आशीर्वाद के लिए काछन देवी की पूजा होती है. आज बुधवार रात काछन देवी के रूप में एक विशेष पनका जाति की कुंवारी कन्या अनुराधा दास ने बस्तर राज परिवार को दशहरा पर्व आरंभ करने की अनुमति दी. पिछले 5 वर्षो से अनुराधा काछन देवी के रूप में कांटों के झूले पर लेट कर सदियों पुरानी इस परंपरा को निभाने की अनुमति दी.

मान्यता है कि इस महापर्व को निर्बाध संपन्न कराने के लिए काछन देवी की अनुमति आवश्यक है. जिसमें पनका जाति की कुंवारी कन्या को बेल के कांटों से बने झूले पर लिटाया जाता है और इस दौरान उसके अंदर खुद साक्षात देवी आकर पर्व आरंभ करने की अनुमति देती है. हर साल पितृ मोक्ष अमावस्या को इस प्रमुख विधान को निभाकर राज परिवार दशहरा पर्व मनाने के लिए अनुमति प्राप्त करता है और इस दौरान बस्तर का राज परिवार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ हजारों की संख्या में लोग इस अनूठी परंपरा को देखने काछन गुड़ी पहुंचते हैं.

धूमधाम से मनाया जाएगा पर्व
बस्तर राजकुमार कमलचंद भंजदेव ने कहा कि इस वर्ष भी बस्तर दशहरा पर्व को धूमधाम से मनाया जाए. इसके लिए नवरात्रि के पहले दिन इस अतभूत रस्म की अदा की जाती है और यह रस्म बस्तर दशहरा पर्व मनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण होती है.

दरअसल कुंवारी कन्या पर साक्षात काछन देवी आकर इस पर्व को निर्बाध तरीके से मनाने की अनुमति देती है और इसके लिए मां काछन देवी उनके गले में माला पहनाती है. उन्हें प्रसाद देखकर अनुमति देती है, सदियों से चली आ रही यह परंपरा आज भी कायम है. बस्तर राजकुमार ने कहा कि अब इस रस्म के बाद आने वाले 19 अक्टूबर तक बस्तर दशहरा के रोचक व अद्भुत रस्मों को अदा किया जाएगा.

तैयारियां पूरी
वहीं, बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष व बस्तर सांसद दीपक बैज ने कहा कि इस पर्व को धूमधाम से मनाने के लिए दशहरा पर्व समिति ने सारी तैयारियां पूर्ण कर ली है. इस दौरान कोरोना के नियमों का भी खास ध्यान रखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि आज मां काछन देवी से पर्व मनाने की अनुमति मिलने के बाद अब आगे की रस्मों को भी विधि विधान से संपन्न कराया जाएगा और इस दौरान किसी तरह की कोई कमी नहीं होगी. सांसद ने कहा कि आने वाले 17 अक्टूबर को खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी बस्तर दशहरा की रस्म मुरिया दरबार में शामिल होंगे.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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