जगदलपुर: छत्तीसगढ में धान खरीदी पर सियासी संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीजेपी और कांग्रेस धान खरीदी के मसले पर एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. जिसकी वजह से किसान परेशान हैं. धान खरीदी लेट से हो रही है और किसानों का धान डंप होता जा रहा है. दूसरी तरफ राज्य सरकार ने बिचौलियों पर सख्ती कर दी है .जिससे किसान परेशान हैं. बिचौलियों ने उनका धान खरीदने से मना कर दिया है. सरकार के फैसले के बाद बस्तर के किसानों और ग्रामीणों को भारी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है.
दरअसल समर्थन मूल्य को लेकर खींचतान की वजह से सरकार ने इस बार धान खरीदी की तारीख एक महीने आगे बढ़ाकर 1 दिसंबर कर दी है. साथ ही धान खरीदी में गड़बड़ी रोकने के लिए कड़े दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. सरकार के इस फैसले के बाद बिचौलियों ने बस्तर में लगने वाले हाट बाजार में धान की खरीदी से हाथ खींच लिए हैं. समय पर धान की बिक्री नहीं होने के कारण ग्रामीण अपने रोजमर्रा की जरूरतों का सामान खरीदने में भी असमर्थ हैं.
खाली हाथ वापस लौट रहे किसान
बस्तर अंचल में साप्ताहिक हाट बाज़ार का विशेष महत्व होता है, इन बाजारों तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को 20 से 30 किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ता है. पहले किसान अपने वनोपज या खेत में उगाये गए धान को लेकर बाजार पहुंचते थे और उसे बेचकर जो पैसे मिलते हैं उससे अपनी जरूरतों का सामान खरीदते हैं. अब जब सरकार देर से धान खरीद रही है और बिचौलिए धान नहीं खरीद रहे तो ग्रामीणों को बाजार से खाली हाथ वापस लौटना पड़ रहा है.