ETV Bharat / state

जगदलपुर: बिचौलिये नहीं खरीद रहे धान, किसान परेशान - जगदलपुर की खबर

प्रदेश में धान खरीदी पर सियासी घमासान जारी है. केंद्र और राज्य की तरफ से धान खरीदी पर खींचतान जारी है. जिससे किसान परेशान हो रहे हैं

धान
author img

By

Published : Nov 24, 2019, 7:03 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुर: छत्तीसगढ में धान खरीदी पर सियासी संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीजेपी और कांग्रेस धान खरीदी के मसले पर एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. जिसकी वजह से किसान परेशान हैं. धान खरीदी लेट से हो रही है और किसानों का धान डंप होता जा रहा है. दूसरी तरफ राज्य सरकार ने बिचौलियों पर सख्ती कर दी है .जिससे किसान परेशान हैं. बिचौलियों ने उनका धान खरीदने से मना कर दिया है. सरकार के फैसले के बाद बस्तर के किसानों और ग्रामीणों को भारी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है.

बिचौलिये नहीं खरीद रहे धान, किसान परेशान

दरअसल समर्थन मूल्य को लेकर खींचतान की वजह से सरकार ने इस बार धान खरीदी की तारीख एक महीने आगे बढ़ाकर 1 दिसंबर कर दी है. साथ ही धान खरीदी में गड़बड़ी रोकने के लिए कड़े दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. सरकार के इस फैसले के बाद बिचौलियों ने बस्तर में लगने वाले हाट बाजार में धान की खरीदी से हाथ खींच लिए हैं. समय पर धान की बिक्री नहीं होने के कारण ग्रामीण अपने रोजमर्रा की जरूरतों का सामान खरीदने में भी असमर्थ हैं.

खाली हाथ वापस लौट रहे किसान
बस्तर अंचल में साप्ताहिक हाट बाज़ार का विशेष महत्व होता है, इन बाजारों तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को 20 से 30 किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ता है. पहले किसान अपने वनोपज या खेत में उगाये गए धान को लेकर बाजार पहुंचते थे और उसे बेचकर जो पैसे मिलते हैं उससे अपनी जरूरतों का सामान खरीदते हैं. अब जब सरकार देर से धान खरीद रही है और बिचौलिए धान नहीं खरीद रहे तो ग्रामीणों को बाजार से खाली हाथ वापस लौटना पड़ रहा है.

जगदलपुर: छत्तीसगढ में धान खरीदी पर सियासी संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीजेपी और कांग्रेस धान खरीदी के मसले पर एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. जिसकी वजह से किसान परेशान हैं. धान खरीदी लेट से हो रही है और किसानों का धान डंप होता जा रहा है. दूसरी तरफ राज्य सरकार ने बिचौलियों पर सख्ती कर दी है .जिससे किसान परेशान हैं. बिचौलियों ने उनका धान खरीदने से मना कर दिया है. सरकार के फैसले के बाद बस्तर के किसानों और ग्रामीणों को भारी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है.

बिचौलिये नहीं खरीद रहे धान, किसान परेशान

दरअसल समर्थन मूल्य को लेकर खींचतान की वजह से सरकार ने इस बार धान खरीदी की तारीख एक महीने आगे बढ़ाकर 1 दिसंबर कर दी है. साथ ही धान खरीदी में गड़बड़ी रोकने के लिए कड़े दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. सरकार के इस फैसले के बाद बिचौलियों ने बस्तर में लगने वाले हाट बाजार में धान की खरीदी से हाथ खींच लिए हैं. समय पर धान की बिक्री नहीं होने के कारण ग्रामीण अपने रोजमर्रा की जरूरतों का सामान खरीदने में भी असमर्थ हैं.

खाली हाथ वापस लौट रहे किसान
बस्तर अंचल में साप्ताहिक हाट बाज़ार का विशेष महत्व होता है, इन बाजारों तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को 20 से 30 किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ता है. पहले किसान अपने वनोपज या खेत में उगाये गए धान को लेकर बाजार पहुंचते थे और उसे बेचकर जो पैसे मिलते हैं उससे अपनी जरूरतों का सामान खरीदते हैं. अब जब सरकार देर से धान खरीद रही है और बिचौलिए धान नहीं खरीद रहे तो ग्रामीणों को बाजार से खाली हाथ वापस लौटना पड़ रहा है.

Intro:जगदलपुर। छत्तीसगढ में धान पर राजनीति गरमाई हुई है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी धान खरीदी के मामले पर एक दूसरे के ख़िलाफ़ मोर्चा खोले हुए हैं। पर धान की इस राजनीति में फंसा हुआ है किसान और हलाकांन हैं बस्तर के ग्रामीण। राज्य सरकार के फैसले के बाद बस्तर के किसान व ग्रामीणो को भारी समस्याओं से जुझना पड रहा है।Body:दरअसल सरकार ने इस बार धान खरीदी की तारीख एक महीने आगे बढ़ाकर 1 दिसंबर कर दिया है। साथ ही धान खरीदी में गड़बड़ी रोकने के लिये कड़े दिशा निर्देश जारी किये हैं, जिससे बस्तर मे लगने वाले हाट बाजारों में बिचौलियों ने धान की ख़रीदी से हाँथ खींच लिया है। अब बस्तर की यह पुरानी परम्परा रही है कि यहाँ के ग्रामीण अपने रोजमर्रा की जरूरतों के सामान के लिए साप्ताहिक हाट बाज़ारों पर ही निर्भर रहते हैं। ये ग्रामीण अपने वनोपज या खेत में उगाये गए धान को लेकर बाजार पहुँचते हैं और उसे बेचकर जो पैसे मिलते हैं उससे ही अपनी जरूरतों का सामान खरीदते हैं। पर अब जब सरकार और बिचोलिये दोनों ही धान नहीं खरीद रहे तो ग्रामीण बाजारों से खाली हाँथ मायूस लौट रहे है। बिचोलियों द्वारा धान नहीं लिये जाने की वजह से मज़बूरी में उन्हें अपना धान वापस ले जाना पड़ रहा है। बाजार पंहुचने वाले कुछ ग्रामीण पैसे उधार लेकर खरीदी कर रहे है तो कोई खाली हाँथ ही वापस लौट रहा है।Conclusion:दरअसल बस्तर अंचल में साप्ताहिक हाट बाज़ारों का विशेष महत्व होता है, इन बाजारों तक पहुँचने के लिए ग्रामीणों को 20 से 30 कि.मी तक का सफर भी तय करना पड़ता है। लेकिन सरकार के इस आदेश के बाद अब ग्रामीणों को अपनी सारी जरूरतों का सामान ख़रीदे बिना ही वापस लौटना पड रहा है।
बाईट1- सोमारी नाग,
बाईट2- बुदरू बघेल , ग्रामीण
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.