जगदलपुर: इमली का नाम सुनते ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है. खट्टी और चटपटी इमली का स्वाद तो सभी लेना चाहते हैं. एशिया की सबसे बड़ी इमली मंडी कहे जाने वाले बस्तर में ग्रामीण अब इसी इमली के सहारे हैं. जगदलपुर के जामवाड़ा गांव में लॉकडाउन के कारण ग्रामीणों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में इन ग्रामीणों के लिए एक ही सहारा है और वो है बस्तर का वनोपज इमली.
वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से पूरे देश को लॉकडाउन करने के साथ ही सभी जिलों में धारा 144 लागू है. जिस वजह से शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के निवासी और खेती-किसानी के साथ-साथ दिहाड़ी मजदूरों के काम भी बंद हो जाने से इसका सीधा असर उनकी आजीविका पर पड़ा है.
![villagers selling tamarind](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/6824054_img-2.jpg)
आय का साधन बनी इमली
लॉकडाउन में हाट बाजार बंद होने से व्यापारियों पर आश्रित वनोपज संग्राहकों के हाथ भी तंग हैं. ऐसे में अभी बस्तरवासियों के लिए यहां की वनोपज इमली आय का साधन बनी हुई है. इससे ग्रामीणों को थोड़ी बहुत राहत मिल पा रही है.
![villagers selling tamarind](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/6824054_img.jpg)
10 किलो के मिलते हैं 50 रुपए
ग्रामीणों का कहना है कि वे थोक में इमली खरीद कर लाते हैं. उन्हें 10 किलो इमली के बीज निकालने का 50 रुपए मिलता है. इस 10 किलो इमली से बीज निकालने में उन्हें 2 दिन का समय लगता है और इमली की आवक के मुताबिक उन्हें महीने में 500 से 600 रुपए की आय होती है.
![villagers selling tamarind](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/6824054_img-1.jpg)
जरूरी सामानों के लिए जूझते हैं ग्रामीण
बिना किसी रोजगार के ग्रामीण असहाय होने के साथ आर्थिक तंगी से भी जूझ रहे हैं. हालांकि राज्य सरकार की ओर से इन्हें 2 महीने का राशन तो मुफ्त दिया गया है. लेकिन राशन के अलावा घर में लगने वाले हर जरूरत के सामानों के लिए उन्हें जूझना पड़ रहा है. ऐसे में इमली फोड़ना उनके ऐसे आपदा के समय में आजीविका का साधन बना हुआ है. इससे इन्हें थोड़ी बहुत आय हो रही है.