जगदलपुर: छत्तीसगढ के बस्तर में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों (Bastar Naxal Affected Area) में खुल रहे नये पुलिस कैंप के विरोध में ग्रामीण लामबंद हो (Opposition to the opening of new police camps) गये हैं. बीजापुर के सिलगेर से विरोध की भड़की आग अब संभाग के नारायणपुर, कांकेर और दंतेवाड़ा में खुल रहे नये कैंप तक फैल गई है. दरअसल दंतेवाड़ा, कांकेर और नारायणपुर में भी पिछले कई दिनों से ग्रामीण नये पुलिस कैंप खोले जाने का विरोध कर (Villagers are opposing the formation of a new police camp)रहे हैं. इसके लिए हजारों की संख्या में ग्रामीण एक जगह इकठ्टा होकर पुलिस और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे हैं.
नये पुलिस कैंप के विरोध मे धरने पर बैठे ग्रामीणों का कहना है कि वे किसी भी कीमत पर नये पुलिस कैंपों को खुलने नही देंगे(protest against new police camp in Jagdalpur) . कैंप खुलने से पुलिस के जवान ग्रामीणों पर अत्याचार करेंगें और उन्हे झूठे मामले मे फसांकर जेल भेज देंगे. पिछले कई सालों से पुलिस के जवान ग्रामीणों पर अत्याचार करते आ रहे हैं. ऐसे मे अब इन ग्रामीण अंचलों में नये पुलिस कैंप को खुलने नहीं दिया जायेगा. हालांकि इस मामले में आईजी का कहना है कि ग्रामीण नक्सलियों के दबाव में ऐसा आरोप लगा रहे हैं. अगर ऐसा है तो हम इस पर कार्रवाई करेंगे. इसके साथ ही आईजी ने ग्रामीणों को समझा कर पुलिस कैंप जल्द खुलने की बात भी कही है.
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नक्सलियों से जंग के लिए बनाया जा रहा कैंप
बीते वर्ष ही 22 जवानों की शहादत को सलामी देने देश के केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह बस्तर पंहुचे थे. इस दौरान उन्होने प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ बैठक कर बस्तर में नक्सलवाद से निपटने की निर्णायक लडाई लड़ने के लिए प्लान बनाया था. इस प्लान में मुख्य रूप से बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा पुलिस कैंप खोलने के आदेश दिये थे. अर्धसैनिक बलों की 4 कंपनी भी बस्तर मे भेजी गई.
बस्तर संभाग मे 15 से अधिक नए कैंप खोले गये
इस आदेश के बाद बस्तर संभाग मे 15 से अधिक नवीन कैंप खोले गये और बस्तर आईजी से मिली जानकारी के मुताबिक बीते 2 वर्षों मे 35 नये पुलिस कैंप खोले गये. लेकिन अब प्रस्तावित नये पुलिस कैंपो को और हाल ही में स्थापित हुए नये कैंपो के विरोध में ग्रामीणों ने विरोध का स्वर छेड़ दिया है. लगातार आंदोलन मे डटे हुए है. बीजापुर के सिलगेर में बीते 6 महीनों से वंहा के स्थानीय ग्रामीण कैंप के विरोध मे आंदोलनरत है.साथ ही गांववाले धरना प्रर्दशन कर रहे हैं, इन ग्रामीणों पर पुलिस के जवानों के गोलीबारी में 5 ग्रामीणों की मौत के बाद मामला और बिगड़ गया. सिलगेर में धरना प्रर्दशन कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि जब तक गांव से पुलिस कैंप नहीं हटा लिया जाता और पुलिस की फायरिंग में मारे गये ग्रामीणो के दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो जाती और मृत ग्रामीणों के परिजनों को मुआवजा नहीं मिल जाता तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.
कई जगहों पर ग्रामीण कैंप का कर रहे विरोध
केवल सिलगेर ही नहीं बल्कि दंतेवाडा के नहाड़ी में भी बिते कई माह से ग्रामीण नये कैंप के विरोध मे धरना प्रर्दशन कर रहे हैं. लगातार ग्रामीण अपनी मांग को लेकर अड़े हुए हैं. इस आंदोलन में महिला, पुरूष-बच्चे और युवा भी शामिल हैं. गांव वाले अपने साथ रसद पानी लेकर कैंप खुलने के जगह पर आंदोलन में डटे हुए है. वही कांकेर जिले के छोटी बेठिया में भी ग्रामीण बीएसएफ पुलिस कैंप का विरोध कर रहे हैं.
ग्रामीणों का आरोप, कैंप खुलने पर महिला के साथ होगा अत्याचार
ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस के नये कैंप खुलने से जवान ग्रामीण महिलाओं पर अत्याचार करेंगे. निर्दोष ग्रामीणो को नक्सली बताकर उनकी हत्या करेंगे. बीजापुर, दंतेवाडा, कांकेर के साथ ही नाराय़णपुर के अबूझमाड़ में भी प्रस्तावित पुलिस कैंप को लेकर ग्रामीण 40 दिनों से आंदोलनरत हैं.
पुलिस कैंप के विरोध मे लगभग 50 हजार ग्रामीण आंदोलनरत
जानकारी के मुताबिक 4 जिलों में नये पुलिस कैंप के विरोध मे लगभग 50 हजार ग्रामीण आंदोलनरत है. नक्सल एक्सपर्ट और वरिष्ठ पत्रकार मनीष गुप्ता का कहना है कि नक्सलियों से उनके मांद मे घुसकर आर पार की लड़ाई लड़ने पुलिस इन नये कैंपों की स्थापना जरूर कर रही है. लेकिन पुलिस के कोई भी बड़े अधिकारी या जनप्रतिनिधि ने इन क्षेत्रों में विरोध कर रहे ग्रामीणों को अपने भरोसे में नहीं लिया है.
आईजी ने कहा नक्सलियों के दवाब में ग्रामीण कर रहे विरोध
इधर लगातार अलग-अलग स्थानों में हो रहे कैंप के विरोध को लेकर बस्तर आईजी सुंदरराज पी (Bastar IG Sundarraj P) का कहना है कि ग्रामीण ऐसा नक्सलियों के दबाव में कर रहे हैं. नक्सलियों के मांद मे 35 नये पुलिस कैंप खुलने पर नक्सली पूरी तरह से बौखलाए हुए हैं और ग्रामीणों को आगे कर इस कैंप का विरोध करवा रहे हैं. नक्सलियो को भी मालूम है कि अब बस्तर में नक्सलवाद का खात्मा अंतिम चरण में है. एसे मे जिस इलाके में नक्सलियों की मजबूत पैठ है. उन इलाको में पुलिस कैंप नहीं खुलने देना चाह रहे हैं. इस वजह से वे ग्रामीणों की आड़ ले रहे हैं. बस्तर आईजी का कहना है कि लगातार ग्रामीणो से बातचीत करने की कोशिश की जा रही है.
यह नक्सलियों की चाल है- वर्णिका शर्मा
नक्सल एक्सपर्ट वर्णिका शर्मा (Naxalite expert Varnika Sharma) ने कहा कि एक बात तो स्पष्ट रूप से तय है कि नक्सलियों द्वारा की गई इस कार्रवाई में यह बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ता कि कौन सी फोर्स है. सीआरपीएफ हो या बीएसएफ हो नक्सलियों को यह बात अच्छे से पता होती है कि चाहे वह कोई भी फोर्स दोनों को आम जनता के बीच से ही गुजरना होता है. नक्सलियों के द्वारा आम जनता को मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. नक्सलियों का एक ही मकसद होता है. आमजनता जब सामने आ जाएगी. तब हम एक प्रकार से जिसे मिलिट्री की भाषा में शत्रु को तंग करने की रणनीति शत्रुओं को तंग करना हो तो उन्हीं के अपने आदमियों या ग्रामीणों को आगे करके नक्सली अपने नापाक और गलत इरादों को अंजाम देते हैं. ऐसे में यह नक्सलियों की साजिश ना होकर आम जनता या ग्रामीणों के द्वारा की जा रही कार्रवाई कही जाएगी.