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बस्तर में पहली बार वन अधिकार महोत्सव का आयोजन, वन समितियों के साथ कई ग्रामीणों ने लिया हिस्सा - नेतानार गांव

Bastar Van Adhikar mahotsav बस्तर के नेतनार गांव में पहली बार वन अधिकार महोत्सव का आयोजन किया गया. वन समितियों के साथ कई ग्रामीणों ने इसमें हिस्सा लिया.इसमें 9 वन समिति के साथ कई गांव के ग्रामीणों ने हिस्सा लिया.

Bastar Van Adhikar mahotsav
बस्तर में पहली बार वन अधिकार महोत्सव का आयोजन
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 16, 2023, 11:06 PM IST

Updated : Dec 17, 2023, 2:19 PM IST

बस्तर में वन अधिकार महोत्सव

बस्तर: बस्तर घने जंगलों से पटा हुआ है. बस्तर के जंगल में वन उपज सबसे ज्यादा होती है. क्योंकि बस्तर का वातावरण उत्पादन करने और वृक्षों को बढ़ाने के अनुकूल होता है. यही कारण है कि बस्तर के आदिवासी वनोपज पर ही अधिकतर आश्रित रहते हैं. वन विभाग की ओर से आदिवासियों को समय-समय पर वन की स्थिति के बारे में जानकारी भी दी जाती रही हैं.

बस्तर में पहली बार वन अधिकार महोत्सव का आयोजन: वन के संरक्षण और संवर्धन के लिए अलग-अलग हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. अब सरकार ने वन संरक्षण और संवर्धन के लिए ग्रामीणों को वन अधिकार भी दिया है. इसे देखते हुए बस्तर में पहली बार वन अधिकार महोत्सव का आयोजन किया गया. ये आयोजन नेतानार गांव में आयोजित किया गया. इस महोत्सव में 9 वन समिति और आसपास के ग्रामीणों के साथ ही वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी शामिल हुए.

कार्यक्रम की शुरुआत धुरवा जनजाति के नृत्य से: सबसे पहले कार्यक्रम में वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी ने बस्तर की वीर गुंडाधर की मूर्ति पर माल्यार्पण किए. इसके बाद उपस्थित सभी अतिथियों को पगड़ी बांधा गया. हल्दी-चावल का टीका लगाकर उनका स्वागत किया गया. इसके बाद नृतक दल ने स्वागत नृत्य किया. अधिकारी और कर्मचारियों ने कार्यक्रम के उद्देश्य की जानकारी ग्रामीणों को दी. साथ ही बस्तर के सीसीएफ आरसी दुग्गा ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए वन के संरक्षण और संवर्धन के लिए उन्हें जानकारी दी. अलग-अलग वन उपज के उत्पादन के लिए पौधारोपण करने की भी सलाह दी. इसका सहयोग वन विभाग की ओर से किया गया.

इस तरह का आयोजन महत्वपूर्ण: इस बारे में सीसीएफ आरसी दुग्गा ने बताया कि, "सरकार ने ग्रामीणों को वन के संरक्षण व संवर्धन के लिए अधिकार दिया है. अधिकार पाए हुए सभी ग्रामीण प्रेरित होकर वन महोत्सव में शामिल हुए हैं. इस तरह का आयोजन की भूमिका आगामी दिनों में होने वाले वन सुरक्षा पर महत्वपूर्ण होगी. मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना के तहत किसान अपने जमीन, खेत में व्यापारिक दृष्टि से पौधा लगाना चाहे तो उसका भी प्रावधान है. किसानों को जिस फसल में लाभ दिखे, उसके लिए वे आवेदन कर सकते हैं. इसके तहत विभाग किसानों को पौधा उपलब्ध कराएगा. शुरू से ही उसके रखरखाव की जिम्मेदारी भी लेगा. इस काम से किसान और उसके परिवार वालों को काफी आर्थिक मदद मिलेगी. "

ऐसे आयोजनों से विभाग को और ग्रामीणों को काफी मदद मिलेगा. ग्रामीण इससे उत्साहित होंगे. वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए आगे आएंगे. साथ ही अपनी रोजगार को बढ़ाने के लिए वन विभाग से जुड़कर मूल्यवान पौधों का रोपण भी करेंगे. -गणवीर धम्मशील, डीएफओ, कांकेर वैली नेशनल पार्क

बता दें कि ऐसे कार्यक्रमों से सरकार की मंशा अनुसार धान की खेती को हतोत्साहित करके अधिक लाभ देने वाले प्रजातियों का रोपण किया जाएगा. ताकि किसानों को अधिक आर्थिक लाभ होगा.

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बस्तर में वन अधिकार महोत्सव

बस्तर: बस्तर घने जंगलों से पटा हुआ है. बस्तर के जंगल में वन उपज सबसे ज्यादा होती है. क्योंकि बस्तर का वातावरण उत्पादन करने और वृक्षों को बढ़ाने के अनुकूल होता है. यही कारण है कि बस्तर के आदिवासी वनोपज पर ही अधिकतर आश्रित रहते हैं. वन विभाग की ओर से आदिवासियों को समय-समय पर वन की स्थिति के बारे में जानकारी भी दी जाती रही हैं.

बस्तर में पहली बार वन अधिकार महोत्सव का आयोजन: वन के संरक्षण और संवर्धन के लिए अलग-अलग हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. अब सरकार ने वन संरक्षण और संवर्धन के लिए ग्रामीणों को वन अधिकार भी दिया है. इसे देखते हुए बस्तर में पहली बार वन अधिकार महोत्सव का आयोजन किया गया. ये आयोजन नेतानार गांव में आयोजित किया गया. इस महोत्सव में 9 वन समिति और आसपास के ग्रामीणों के साथ ही वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी शामिल हुए.

कार्यक्रम की शुरुआत धुरवा जनजाति के नृत्य से: सबसे पहले कार्यक्रम में वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी ने बस्तर की वीर गुंडाधर की मूर्ति पर माल्यार्पण किए. इसके बाद उपस्थित सभी अतिथियों को पगड़ी बांधा गया. हल्दी-चावल का टीका लगाकर उनका स्वागत किया गया. इसके बाद नृतक दल ने स्वागत नृत्य किया. अधिकारी और कर्मचारियों ने कार्यक्रम के उद्देश्य की जानकारी ग्रामीणों को दी. साथ ही बस्तर के सीसीएफ आरसी दुग्गा ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए वन के संरक्षण और संवर्धन के लिए उन्हें जानकारी दी. अलग-अलग वन उपज के उत्पादन के लिए पौधारोपण करने की भी सलाह दी. इसका सहयोग वन विभाग की ओर से किया गया.

इस तरह का आयोजन महत्वपूर्ण: इस बारे में सीसीएफ आरसी दुग्गा ने बताया कि, "सरकार ने ग्रामीणों को वन के संरक्षण व संवर्धन के लिए अधिकार दिया है. अधिकार पाए हुए सभी ग्रामीण प्रेरित होकर वन महोत्सव में शामिल हुए हैं. इस तरह का आयोजन की भूमिका आगामी दिनों में होने वाले वन सुरक्षा पर महत्वपूर्ण होगी. मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना के तहत किसान अपने जमीन, खेत में व्यापारिक दृष्टि से पौधा लगाना चाहे तो उसका भी प्रावधान है. किसानों को जिस फसल में लाभ दिखे, उसके लिए वे आवेदन कर सकते हैं. इसके तहत विभाग किसानों को पौधा उपलब्ध कराएगा. शुरू से ही उसके रखरखाव की जिम्मेदारी भी लेगा. इस काम से किसान और उसके परिवार वालों को काफी आर्थिक मदद मिलेगी. "

ऐसे आयोजनों से विभाग को और ग्रामीणों को काफी मदद मिलेगा. ग्रामीण इससे उत्साहित होंगे. वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए आगे आएंगे. साथ ही अपनी रोजगार को बढ़ाने के लिए वन विभाग से जुड़कर मूल्यवान पौधों का रोपण भी करेंगे. -गणवीर धम्मशील, डीएफओ, कांकेर वैली नेशनल पार्क

बता दें कि ऐसे कार्यक्रमों से सरकार की मंशा अनुसार धान की खेती को हतोत्साहित करके अधिक लाभ देने वाले प्रजातियों का रोपण किया जाएगा. ताकि किसानों को अधिक आर्थिक लाभ होगा.

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Last Updated : Dec 17, 2023, 2:19 PM IST
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