जगदलपुर: बस्तर में आजादी के बाद पहली बार दिव्यांगों (handicapped)की पहचान करने के लिए अलग से सर्वे हुआ है. पिछले 1 महीने तक चले इस सर्वे में समाज कल्याण विभाग (Social Welfare Department) को 8,746 दिव्यांग मिले. इनमें 7,020 से अधिक ऐसे दिव्यांग थे जिनके पास उनके दिव्यांग होने का किसी तरह का प्रमाण पत्र नहीं था, इतना ही नहीं 300 से अधिक ऐसे दिव्यांग मिले जिन तक पहली बार सरकार पहुंची है.
अब इनके लिए सभी तरह के कागजात तैयार करने के साथ भारत सरकार की यूडीआईडी कार्ड (UDID card of Government of India) तैयार करने की भी विभाग तैयारी कर रहा है. समाज कल्याण विभाग के उपसंचालक वैशाली मरड़वार की माने तो अब तक यह पहली बार दिव्यांगों की पहचान करने के लिए यहां सर्वे किया गया है. इसके लिए विभाग ने 4 स्वालंबन रथ चलाए थे. पहली बार ऐसा होगा कि जिले में दिव्यांगों की सही संख्या विभाग के हाथ में है. अब इनका यूडीआईडी कार्ड (UDID Card) बनाया जाएगा. जिससे शासन की योजनाओं का यह सीधे लाभ उठा सकेंगे.
सर्वे का काम हुआ पूरा
ऐसा नहीं है कि दिव्यांगों का विभाग के पास आंकड़ा नहीं होता था. अब तक विभाग के पास जो आंकड़े होते थे वह जनगणना के हिसाब से आते थे, विभाग के मुताबिक साल 2011 की जनगणना के अनुसार उनके पास 10 हजार 223 निशक्तजन के आंकड़े थे, लेकिन इसके बाद बस्तर जिले से कोंडागांव अलग हुआ, तब से बस्तर जिले में कितने दिव्यांग थे इसे लेकर कोई ठोस जानकारी विभाग के पास नहीं थी, लेकिन अब जिले में सर्वे का काम पूरा हो गया है.
समाज कल्याण विभाग के उपसंचालक वैशाली मरड़वार (Deputy Director Vaishali Mardwar) ने बताया कि सर्वे का काम पूरा हो गया है. अब आंकड़ों को इकट्ठा किया जा रहा है. इसके बाद विभाग गांव में शिविर लगाए जाएंगे. जिसमें एक्सपर्ट मौजूद होंगे और वह उनकी जांच करेंगे.जिसमें बताया जाएगा कि कितने फीसदी व्यक्ति दिव्यांग है, इसके बाद उनका सर्टिफिकेट तैयार किया जाएगा. जिसके माध्यम से शासन की योजनाओं का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा, वहीं इसके बाद इन लोगों के यूडी आईडी कार्ड बनाने के लिए जानकारी दिल्ली भेजी जाएगी.
300 से अधिक निशक्तजनों के पास पहली बार पहुंची सरकार
उन्होंने बताया कि 2 से 3 महीने के अंदर यह आईडी कार्ड बनकर तैयार हो जाएगी और सभी लाभार्थियों को कार्ड मिल जाएगी. उन्होंने बताया कि इस कार्ड की मान्यता अंतरराष्ट्रीय स्तर तक है. उपसंचालक वैशाली मरड़वार ने बताया कि इस सर्वे के दौरान 300 से अधिक ऐसे लोग मिले जिनके पास अब तक सरकार नहीं पहुंच सकी थी. उनके पास किसी तरह के कोई कागजात भी मौजूद नहीं थे. ऐसे में अलग से हुए इस सर्वे कार्यक्रम में ऐसे लोगों के पहचान पत्र के साथ उनके कार्ड बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में शिविर लगाकर या लोगों के घर पहुंचकर उनका कार्ड तैयार किया जाएगा.
विभाग के मुताबिक इस एक्शन प्लान को पूरा करने के लिए जिले में करीब 230 से अधिक लोगों की टीम जुटी हुई थी, पिछले 1 महीने में जिले के हर ब्लॉक में 25 से अधिक लोग लगातार काम कर रहे थे. इसमें युवोदय की टीम के साथ एनजीओ भी जुड़ी हुई थी. जिससे कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा जा सके.
गौरतलब है कि यह काम अभी पूरा नहीं हुआ है. इसके बाद फिर से यह काम होगा. इस सर्वे में सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि बुजुर्ग हो चुके कई दिव्यांग निशक्त जनों को सरकार की पेंशन योजना का भी लाभ नहीं मिल पाया. युवाओं के साथ 70 और 80 वर्ष के बुजुर्ग हो चुके लोगों को अब तक पेंशन नहीं मिल पाया है. इसके पीछे पंचायत के सरपंच, सचिव और प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही उजागर होती है. जिसकी वजह से बड़ी संख्या में निशक्तजन अपने हक का पैसा लेने में असमर्थ हो गए और उन्हें अभी सर्वे से काफी उम्मीद है. फिलहाल अब देखना होगा कि बस्तर के निशक्त जनों को कब तक यूडीआईडी का लाभ मिल पाता है और वह शासन की योजनाओं का लाभ ले पाते हैं.