जगदलपुर: 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की शुरूआत डेरी गड़ाई रस्म के साथ शुरू हो गई है, हरेली अमावस्या 2021 के दिन पाट जात्रा रस्म अदा करने के बाद, डेरी गड़ाई रस्म को पूरे विधि विधान के साथ संपन्न किया गया. प्रमुख रस्म को सीरासार भवन में बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष और सांसद दीपक बैज ने मांझी चालाकियों के बीच डेरी (लकड़ी) को रस्मों रिवाज से जमीन में गाढ़ा और पूजा अर्चना की गई. सालों से चली आ रही इस परम्परा का निर्वहन करते हुए आज से विशालकाय रथ का निर्माण भी शुरू हो जाएगा.
रियासत काल की परम्परा
जगदलपुर के सिरासार भवन में दशहरा पर्व की दूसरी बड़ी रस्म डेरी गढ़ाई की अदायगी आयोजित की गई. रियासत काल से चली आ रही इस रस्म में परम्परानुसार डेरी गड़ाई के लिए बिरिंगपाल गांव से सरई पेड़ की टहनियां लाई जाती हैं. इन टहनियों की पूजा कर उन्हें पवित्र करने के बाद लकड़ियों को गाड़ने के लिए बनाये गए गड्ढों में अंडा और जीवित मछलियां डाली जाती हैं. जिसके बाद टहनियों को गाड़कर इस रस्म को पूरा किया जाता है.
400 वर्ष पुरानी परंपरा
माई दंतेश्वरी से विश्व प्रस्सिद्ध दशहरा रथ के निर्माण प्रक्रिया को आरम्भ करने कि इजाजत ली जाती है. मान्यताओं के अनुसार इस रस्म के बाद से ही बस्तर दशहरे के लिए रथ निर्माण का कार्य शुरू किया जाता है. करीब 400 वर्ष पुरानी इस परंपरा का निर्वहन आज भी पूर्ण विधि विधान के साथ किया जा रहा है.
सांसद ने दी शुभकामनाएं
सांसद दीपक बैज ने बस्तर दशहरा की प्रदेशवासियों की शुभकामनाएं दी. इसके साथ ही दशहरा का उल्लास बनाये रखने के लिए राज्य सरकार की ओर से हर संभव कोशिश किये जाने कि बात कही. इसके साथ ही कोरोना को देखते हुए सभी रस्मों को कोरोना गाइडलाइन के पालन के साथ मनाने की बात कही है.
पर्व में कोविड गाइडलाइन का पालन
इधर पर्व को देखते हुए जिला प्रशासन ने भी सारी तैयारियां पूरी कर ली है. हालांकि पिछले दो वर्षों से कोरोना के प्रकोप के चलते बस्तर दशहरा पर्व को देखने सैलानी बेहद कम ही बस्तर पहुंच रहे हैं. जिला प्रशासन का कहना है कि इस साल भी कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए इस पर्व को सम्पन्न कराया जाएगा. इसके साथ ही पर्व में शामिल होने वाले सभी सदस्यों और प्रमुखों के लिए वैक्सीन के दोनों डोस का सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिया गया है.