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जान जोखिम में डालकर सड़क पार कर रहे स्कूली बच्चे, जिम्मेदार मौन

बस्तर में कोसारटेड़ा बांध के नजदीक रहने वाले स्कूली बच्चे और ग्रामीण वे अपनी जान जोखिम में डालकर नदी नाले पार करते हैं. लंबे समय से मांग करने के बावजूद भी जिम्मेदार इनकी मांगों को अनसुनी कर रहे हैं.

School children crossing the road risking their lives
बस्तर में बड़ी लापरवाही
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Published : Sep 12, 2022, 8:10 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

बस्तर: ग्रामीणों और स्कूली बच्चों को मानसून के दिनों में बेहद ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. वे अपनी जान जोखिम में डालकर नदी नाले पार करते हैं. लंबे समय से मांग करने के बावजूद भी जिम्मेदार इनकी मांगों को अनसुना करते हैं. जिसकी वजह से मजबूरन स्कूली बच्चे और ग्रामीणों को अपना जान जोखिम में डालना पड़ता है. लोग नदी नाले पार करने में विवश होते हैं.

स्कूली बच्चे और ग्रामीणों कर रहे मुश्किलों का सामना: बस्तर के सालेमेटा क्षेत्र में बने कोसारटेड़ा बांध के नजदीक रहने वाले स्कूली बच्चे और ग्रामीणों को हर साल ऐसी ही मुश्किलों का सामना पड़ रहा है. उन्हें अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करना पड़ता है. सालेमेटा के बॉयज हॉस्टल के छात्र कुलदीप कोर्राम ने बताया कि "बारिश के दिनों में कोसारटेड़ा बांध का पानी ओवरफ्लो होने के चलते तेज बहाव से होते हुए इस क्षेत्र में सड़क के ऊपर आता है. बहाव के चलते इस क्षेत्र से आना जाना करने वाले ग्रामीणों और स्कूली बच्चों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. बीते दिनों इसी क्षेत्र से होकर गुजरने वाले उनके साथी बहाव के चलते हादसे का शिकार हो गए. उन्हें गंभीर चोट आयी, साथ ही बाइक को भी नुकसान हुआ. प्रतिदिन हॉस्पिटल से 60 बच्चे और गांव से कुछ बच्चे इसी रास्ते से होकर स्कूल पहुंचते हैं. यह समस्या बीते 10 सालों से बनी हुई है. लेकिन जिम्मेदारों को किसी प्रकार का कोई परवाह नहीं है. मजबूरी में स्कूली बच्चे व ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर इसे पार करते हैं."

बस्तर में बड़ी लापरवाही

स्कूल पहुंचने का एकमात्र रास्ता: व्याख्याता टी साहू ने बताया कि "बारिश की वजह से इस रास्ते पर बड़े बड़े गड्ढे बन जाते हैं. लेकिन शासन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं देता है. मजबूरी में शिक्षक ही आपस में पैसे जमा करके स्कूली बच्चों के सहयोग से इन गड्ढों को सीमेंट से पाटने का काम करते हैं. लंबे समय से यहां यह समस्या बनी हुई है. यह एकमात्र ग्रामीणों और स्कूली बच्चों के लिए रास्ता है.


यह भी पढ़ें: बीजापुर में मूसलाधार बारिश से बाढ़ जैसे हालात, एक रात में 154 मिमी हुई बारिश


प्रशासन पर अनदेखी का आरोप : ग्राम पंचायत सालेमेटा 01 के सरपंच परशुराम बघेल ने बताया कि "यह समस्या लंबे समय से बनी हुई है. जिसको लेकर जल संसाधन विभाग के अलावा स्थानीय विधायक से भी मांग की गई थी. इसके बावजूद भी आज तक इस समस्या का निराकरण नहीं हुआ." साथ ही उन्होंने कहा कि "शासन प्रशासन के जिम्मेदारों द्वारा इस पर जल्द से जल्द ध्यान देकर यहां पुल का निर्माण कराया जाए. ताकि ग्रामीणों को किसी प्रकार का कोई दिक्कत नहीं हो."

विभागों में उलझा है प्रस्ताव: मुख्य कार्यपालन अधिकारी आरके ऋचार्या ने बताया कि "ग्रामीणों व स्कूली बच्चों द्वारा उन्हें शिकायत प्राप्त हुई थी, जिस पर पुल बनाने का योजना तैयार किया गया था. लेकिन वहां सड़क PMGSY के द्वारा बनाया गया है. और PMGSY विभाग ने भी पुल बनाने का प्रस्ताव दिया है. उसके स्वीकृत होने बाद जल संसाधन विभाग ने काम को ड्रॉप आउट कर दिया.

बड़े हादसे का इंतजार कर रहे जिम्मेदार: जगदलपुर शहर के नजदीक निवास करने वाले डोंगाघाट में सड़क पार करते हुए 3 बच्चियां बह गई थी. जिनमें एक की मौत हो गई, वहीं 2 बच्ची को बचा लिया गया. इसके बावजूद भी बस्तर के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. समस्या को देखते हुए भी अधिकारी इसकी टोपी उसके सर वाली कहानी को दोहराते दिख रहे हैं. शायद जिम्मेदार किसी ऐसे बड़े हादसे का इंतजार इस क्षेत्र में कर रहे हो. जिसके बाद उनकी कुम्भकर्णीय की नींद खुले. जनप्रतिनिधियों द्वारा सालेमेटा क्षेत्र में बांध बनने के दौरान ग्रामीणों से विकास के वादे किए गए थे. लेकिन वर्षों तक बनी यह समस्या उनके विकास के दावे की पोल खोलती नजर आ रही है.

बस्तर: ग्रामीणों और स्कूली बच्चों को मानसून के दिनों में बेहद ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. वे अपनी जान जोखिम में डालकर नदी नाले पार करते हैं. लंबे समय से मांग करने के बावजूद भी जिम्मेदार इनकी मांगों को अनसुना करते हैं. जिसकी वजह से मजबूरन स्कूली बच्चे और ग्रामीणों को अपना जान जोखिम में डालना पड़ता है. लोग नदी नाले पार करने में विवश होते हैं.

स्कूली बच्चे और ग्रामीणों कर रहे मुश्किलों का सामना: बस्तर के सालेमेटा क्षेत्र में बने कोसारटेड़ा बांध के नजदीक रहने वाले स्कूली बच्चे और ग्रामीणों को हर साल ऐसी ही मुश्किलों का सामना पड़ रहा है. उन्हें अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करना पड़ता है. सालेमेटा के बॉयज हॉस्टल के छात्र कुलदीप कोर्राम ने बताया कि "बारिश के दिनों में कोसारटेड़ा बांध का पानी ओवरफ्लो होने के चलते तेज बहाव से होते हुए इस क्षेत्र में सड़क के ऊपर आता है. बहाव के चलते इस क्षेत्र से आना जाना करने वाले ग्रामीणों और स्कूली बच्चों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. बीते दिनों इसी क्षेत्र से होकर गुजरने वाले उनके साथी बहाव के चलते हादसे का शिकार हो गए. उन्हें गंभीर चोट आयी, साथ ही बाइक को भी नुकसान हुआ. प्रतिदिन हॉस्पिटल से 60 बच्चे और गांव से कुछ बच्चे इसी रास्ते से होकर स्कूल पहुंचते हैं. यह समस्या बीते 10 सालों से बनी हुई है. लेकिन जिम्मेदारों को किसी प्रकार का कोई परवाह नहीं है. मजबूरी में स्कूली बच्चे व ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर इसे पार करते हैं."

बस्तर में बड़ी लापरवाही

स्कूल पहुंचने का एकमात्र रास्ता: व्याख्याता टी साहू ने बताया कि "बारिश की वजह से इस रास्ते पर बड़े बड़े गड्ढे बन जाते हैं. लेकिन शासन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं देता है. मजबूरी में शिक्षक ही आपस में पैसे जमा करके स्कूली बच्चों के सहयोग से इन गड्ढों को सीमेंट से पाटने का काम करते हैं. लंबे समय से यहां यह समस्या बनी हुई है. यह एकमात्र ग्रामीणों और स्कूली बच्चों के लिए रास्ता है.


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प्रशासन पर अनदेखी का आरोप : ग्राम पंचायत सालेमेटा 01 के सरपंच परशुराम बघेल ने बताया कि "यह समस्या लंबे समय से बनी हुई है. जिसको लेकर जल संसाधन विभाग के अलावा स्थानीय विधायक से भी मांग की गई थी. इसके बावजूद भी आज तक इस समस्या का निराकरण नहीं हुआ." साथ ही उन्होंने कहा कि "शासन प्रशासन के जिम्मेदारों द्वारा इस पर जल्द से जल्द ध्यान देकर यहां पुल का निर्माण कराया जाए. ताकि ग्रामीणों को किसी प्रकार का कोई दिक्कत नहीं हो."

विभागों में उलझा है प्रस्ताव: मुख्य कार्यपालन अधिकारी आरके ऋचार्या ने बताया कि "ग्रामीणों व स्कूली बच्चों द्वारा उन्हें शिकायत प्राप्त हुई थी, जिस पर पुल बनाने का योजना तैयार किया गया था. लेकिन वहां सड़क PMGSY के द्वारा बनाया गया है. और PMGSY विभाग ने भी पुल बनाने का प्रस्ताव दिया है. उसके स्वीकृत होने बाद जल संसाधन विभाग ने काम को ड्रॉप आउट कर दिया.

बड़े हादसे का इंतजार कर रहे जिम्मेदार: जगदलपुर शहर के नजदीक निवास करने वाले डोंगाघाट में सड़क पार करते हुए 3 बच्चियां बह गई थी. जिनमें एक की मौत हो गई, वहीं 2 बच्ची को बचा लिया गया. इसके बावजूद भी बस्तर के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. समस्या को देखते हुए भी अधिकारी इसकी टोपी उसके सर वाली कहानी को दोहराते दिख रहे हैं. शायद जिम्मेदार किसी ऐसे बड़े हादसे का इंतजार इस क्षेत्र में कर रहे हो. जिसके बाद उनकी कुम्भकर्णीय की नींद खुले. जनप्रतिनिधियों द्वारा सालेमेटा क्षेत्र में बांध बनने के दौरान ग्रामीणों से विकास के वादे किए गए थे. लेकिन वर्षों तक बनी यह समस्या उनके विकास के दावे की पोल खोलती नजर आ रही है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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