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बस्तर में लाल आतंक पस्त, हर साल 400 से ज्यादा नक्सली कर रहे सरेंडर: सुंदरराज पी

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Published : Jul 20, 2022, 9:40 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

छत्तीसगढ़ में लाल आतंक के दिन लदते नजर आ रहे हैं. यहां हर साल 400 नक्सली सरेंडर कर रहे हैं. यह बातें बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कही है. आइए जानते हैं उन्होंने क्या खुलासा किया है ?

Red terror weakened in Bastar
बस्तर में लाल आतंक पस्त

बस्तर: देश और दुनिया में नक्सलवाद के नाम से पहचान बनाने वाले बस्तर में लगातार नक्सलियों की पकड़ कमजोर हो रही है. यही कारण है कि नक्सलियों की खोखली विचारधारा से तंग आकर और सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर प्रतिवर्ष बस्तर संभाग में लगभग 400 माओवादी नक्सलवाद को अलविदा कह रहे हैं. हर साल करीब 400 की संख्या में नक्सली सरेंडर कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ पुलिस के आला अधिकारी इस बात को कह रहे हैं. बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने कहा है कि" नक्सलियों की खोखली विचारधारा और सरकार द्धारा चलाए जा रहे पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर हर साल 400 नक्सली सरेंडर कर रहे हैं. इस साल की बात करें तो अब तक 280 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए हैं. यह लाल आतंक के खिलाफ लड़ाई में बड़ी कामयाबी है"

बस्तर में लाल आतंक पस्त

"नक्सली नेता करते हैं प्रताड़ित": लाल आतंक को अलविदा कहकर सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने कई खुलासे किए हैं. नक्सलियों की माने तो बड़े नक्सली नेता छोटे नक्सली कैडरों को प्रताड़ित करते हैं. सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने कई मौकों पर कहा है कि उन्हें नक्सल संगठन में परिवार को बढ़ाने की अनुमति नहीं मिलती है. यही कारण है कि अब कई नक्सली लाल आतंक से तौबा कर रहे हैं. वह मुख्यधारा में आकर जीवन यापन कर रहे हैं.

"लगातार नक्सली कर रहे सरेंडर": दरअसल बस्तर में प्रति वर्ष नक्सली भारी संख्या में सरेंडर कर रहे हैं. संभाग के सात जिले नक्सल प्रभावित हैं. इनमें से कोंडागांव को हाल ही में नक्सल मुक्त जिला घोषित किया गया है. इसके बावजूद जिले के कुछ हिस्सों में नक्सल गतिविधियां बनी हुई है. प्रति वर्ष औसतन 400 नक्सली सरेंडर कर रहे हैं. इन सरेंडर करने वाले नक्सलियों को सरकार की तरफ से पुनर्वास नीति के तहत मदद पहुंचाई जा रही है. सरेंडर करने वाले नक्सलियों में एरिया कमेटी और जनताना सरकार के सदस्य ज्यादा हैं.

ये भी पढ़ें: लाल आतंक से लोहा ले रही बस्तर की महिला कमांडो, पुरुषों को दे रहीं मात

बड़े नक्सली नेताओं के सरेंडर और गिरफ्तारी में आई कमी: दूसरी तरफ बस्तर में सक्रिय नक्सल संगठन के बड़े कैडर के नक्सली या यूं कहें कि डिवीजन स्तर के नेताओं के आत्मसमर्पण करने और गिरफ्तार होने का मामला काफी कम है. वर्ष 2016 से बस्तर में आत्मसमर्पण की रफ्तार काफी तेज हुई है. पुलिस का कहना है कि इस आत्मसमर्पण से धीरे-धीरे माओवादियों का ग्रामीण इलाकों में डर खत्म हो रहा है. वहां पुलिस कैंप खुलने से पुलिस को बढ़त मिल रही है. आत्मसमर्पण की तादाद इसी बात से समझी जा सकती है कि जनवरी से लेकर जुलाई 2022 तक 280 माओवादी कैडर ने अलग-अलग जिलों में सरेंडर किया है.

बस्तर: देश और दुनिया में नक्सलवाद के नाम से पहचान बनाने वाले बस्तर में लगातार नक्सलियों की पकड़ कमजोर हो रही है. यही कारण है कि नक्सलियों की खोखली विचारधारा से तंग आकर और सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर प्रतिवर्ष बस्तर संभाग में लगभग 400 माओवादी नक्सलवाद को अलविदा कह रहे हैं. हर साल करीब 400 की संख्या में नक्सली सरेंडर कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ पुलिस के आला अधिकारी इस बात को कह रहे हैं. बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने कहा है कि" नक्सलियों की खोखली विचारधारा और सरकार द्धारा चलाए जा रहे पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर हर साल 400 नक्सली सरेंडर कर रहे हैं. इस साल की बात करें तो अब तक 280 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए हैं. यह लाल आतंक के खिलाफ लड़ाई में बड़ी कामयाबी है"

बस्तर में लाल आतंक पस्त

"नक्सली नेता करते हैं प्रताड़ित": लाल आतंक को अलविदा कहकर सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने कई खुलासे किए हैं. नक्सलियों की माने तो बड़े नक्सली नेता छोटे नक्सली कैडरों को प्रताड़ित करते हैं. सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने कई मौकों पर कहा है कि उन्हें नक्सल संगठन में परिवार को बढ़ाने की अनुमति नहीं मिलती है. यही कारण है कि अब कई नक्सली लाल आतंक से तौबा कर रहे हैं. वह मुख्यधारा में आकर जीवन यापन कर रहे हैं.

"लगातार नक्सली कर रहे सरेंडर": दरअसल बस्तर में प्रति वर्ष नक्सली भारी संख्या में सरेंडर कर रहे हैं. संभाग के सात जिले नक्सल प्रभावित हैं. इनमें से कोंडागांव को हाल ही में नक्सल मुक्त जिला घोषित किया गया है. इसके बावजूद जिले के कुछ हिस्सों में नक्सल गतिविधियां बनी हुई है. प्रति वर्ष औसतन 400 नक्सली सरेंडर कर रहे हैं. इन सरेंडर करने वाले नक्सलियों को सरकार की तरफ से पुनर्वास नीति के तहत मदद पहुंचाई जा रही है. सरेंडर करने वाले नक्सलियों में एरिया कमेटी और जनताना सरकार के सदस्य ज्यादा हैं.

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बड़े नक्सली नेताओं के सरेंडर और गिरफ्तारी में आई कमी: दूसरी तरफ बस्तर में सक्रिय नक्सल संगठन के बड़े कैडर के नक्सली या यूं कहें कि डिवीजन स्तर के नेताओं के आत्मसमर्पण करने और गिरफ्तार होने का मामला काफी कम है. वर्ष 2016 से बस्तर में आत्मसमर्पण की रफ्तार काफी तेज हुई है. पुलिस का कहना है कि इस आत्मसमर्पण से धीरे-धीरे माओवादियों का ग्रामीण इलाकों में डर खत्म हो रहा है. वहां पुलिस कैंप खुलने से पुलिस को बढ़त मिल रही है. आत्मसमर्पण की तादाद इसी बात से समझी जा सकती है कि जनवरी से लेकर जुलाई 2022 तक 280 माओवादी कैडर ने अलग-अलग जिलों में सरेंडर किया है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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