बस्तर: पूरा मामला बस्तर विकासखंड के रतेंगा का है. rain destroyed home in bastar जहां बारिश के दौरान मकान गिरने से 5 महीने पहले एक परिवार घर से बेघर होकर पंचायत के सामुदायिक भवन में बसेरा कर रहा है. bastar homeless villagers पीड़ित परिवार ने बारिश थमने के बाद पंचायत और पटवारी के समक्ष मुआवजा राशि के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था. 5 महीना बीत जाने के बाद भी अब तक आवेदन की समीक्षा नहीं की गई और ना ही पीड़ित परिवारों को उनका हक मिला. bastar news update यही कारण है कि आज भी परिवार अपने घर से बाहर हैं.
"टूटे घरों की कराई जाएगी जांच": मामले में तहसीलदार का कहना है कि "पुनः इनके छतिग्रस्त घर का जांच कराया जाएगा. सत्यता पाए जाने पर उन्हें मुआवजा राशि दिया जाएगा." लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर 5 महीने तक जिम्मेदारों की कुम्भकर्णीय नींद क्यों नहीं खुली. Rain affected people not get compensation नींद नहीं खुलने का खामियाजा ग़रीब परिवार को उठाना पड़ रहा है.
यह है पूरा मामला: दरअसल मानसून के दौरान बस्तर में जमकर मूसलाधार बारिश हुई थी. इस बारिश ने बीते कई वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ा था. बस्तर के चारों दिशाओं में बाढ़ ही बाढ़ नजर आ रहा था. इस आफत की बारिश ने बस्तर संभाग के कई परिवारों का आशियाना उजाड़ दिया. कुछ गांव टापू में तब्दील हो गए. नेशनल हाईवे के ऊपर बाढ़ का पानी बहने लगा था. इस तरह से बारिश हुई कि बहुत से परिवार बाढ़ की वजह से अपने घरों से दूर हो गए.bastar news update जिन्हें जिला प्रशासन से मदद मिली मुआवजा राशि मिली और वे नए घर की ओर अग्रसर हुए.
परिवार सामुदायिक भवन में रहने को मजबूर: लेकिन कुछ परिवार ऐसे भी हैं. जिन पर जिम्मेदारों की नजर नहीं पड़ी और वे आज भी अपने घर से बेघर होकर सामुदायिक भवन पर रहने को मजबूर हैं. Rain affected people not get compensation लेकिन जिला प्रशासन के साथ ही चुनाव के वक्त बैनर पोस्टरों में बड़े बड़े अक्षरों में लिखे गए कर्मठ, जुझारू, सुख दुख के साथी कहे जाने वाले जनप्रतिनिधियों की नजर भी इस परिवार पर नहीं पड़ी.