जगदलपुर: बस्तर में हर साल गोंचा पर्व बड़ी धूम- धाम से मनाया जाता है. 609 सालों से चले आ रहे इस पर्व में बाहुड़ा गोंचा भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है. 360 आरण्यक ब्राम्हण समाज द्वारा मनाए जाने वाले इस महापर्व की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है. 4 जुलाई से शुरू होने वाले इस पर्व को देखने देश-विदेश से लोग यहां आते हैं.
गोंचा पर्व समिति ने बताया कि इस साल प्रदेश के मुख्यमंत्री और बस्तर सांसद दीपक बैज को इस पर्व के शुभारंभ के लिए आमंत्रित किया गया है. रियासत काल से बस्तर का गोंचा पर्व जगन्नाथपुरी की तरह ही मनाया जाता है, इस बार भी भगवान की रथयात्रा और उत्सव को धूमधाम से मनाने के लिए आरण्यक ब्राह्मण समाज और शहर के लोग जुट गए हैं.
10 दिनों तक चलेगा पर्व
3 जुलाई को नेत्रोत्सव के बाद 10 दिनों तक लागातार इस पर्व को मनाया जाता है, भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को आदिवासियों द्वारा निर्मित नए रथ मे बिठाकर शहर का भ्रमण कराया जाता है. और बस्तर के ग्रामीणों द्वारा बनाई गई बांस की तुपकी से भगवान जगन्नाथ को सलामी दी जाती है. यह पर्व बस्तर के साथ-साथ देश और विदेश में भी प्रख्यात है.
जगन्नाथ कथा का आयोजन
बताया जा रहा है कि पर्व को और आर्कषित करने लिए इस साल यहां ओडिशा के कलाकारों की ओर से पांच दिनों तक जगन्नाथ कथा का आयोजन किया जाएगा.
इसमें ओडिसा के रंगमंच कलाकार इस कथा को हिंदी भाषा मे पढ़ेंगे. ऐसी मान्यता है कि बस्तर के राजा जगन्नाथपुरी की कठिन यात्रा के लिए पुरी पहुंचे थे, जहां भगवान उनसे खूब प्रसन्न हुए और उन्हें रथपति की उपाधि दी थी.
इस उपाधि को धारण करने के बाद राजा के बल, यश और साम्राज्य में भी वृद्धि हुई, उस समय से ही काकतिय वंश के राजा ने बस्तर में गोंचा पर्व मनाने की शुरुआत की.