बस्तर: बस्तर सहित पूरे छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर 1 नवंबर से धान की खरीदी जारी है. छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन होने के बाद भाजपा की नई सरकार बन गई है. किसान अब अपना धान भाजपा के घोषणा अनुसार 3100 रुपए के समर्थन मूल्य पर बेचने का इंतजार कर रहे हैं. किसानों से धान की खरीदी के लिए बस्तर संभाग में 238 सहकारी समितियां बनाई गई है. इन सहकारी समिति के अंतर्गत 382 धान उपार्जन केंद्र बनाये गए हैं, जिसमें धान खरीदी की जा रही है.
1 करोड़ 25 लाख क्विंटल धान खरीदने का टारगेट: सहकारी समिति के सीईओ श्रीकांत चंद्राकर ने बताया कि, "इस साल बस्तर संभाग में 1 करोड़ 25 लाख क्विंटल धान खरीदने का टारगेट विभाग ने रखा है. करीब एक महीने में लगभग 36 हजार 637 किसानों ने 17 लाख 70 हजार क्विंटल धान की बिक्री उपार्जन केंद्रों में कर ली है. शेष किसानों से धान की खरीदी उपार्जन केंद्रों में लगातार जारी है. बस्तर संभाग के सभी जिलों में अधिकारियों ने धान उपार्जन केंद्रों के प्रभारी और लैम्प्स प्रबंधक को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि खरीदी प्रभारी डीओ कटवाने का कार्य जल्द पूरा करें. ताकि खरीदी केंद्रों से धान का उठाव समय पर पूरा हो सके और किसी भी विपरीत परिस्थितियों के आने से पहले धान को सुरक्षित तरीके से संग्रहण केंद्रों तक पहुंचाया जा सके."
नए समर्थन मूल्य पर होगी धान खरीदी: बस्तर के किसान खेमेश्वर का कहना है कि बीते दिनों हुई बारिश की वजह से किसानों को चिंता सताने लगी थी. लेकिन मौसम साफ होते ही किसान अपने धान को लेकर खरीदी केंद्र में पहुंच रहे हैं और समर्थन मूल्य पर धान की बिक्री कर रहे हैं. इससे पहले धान का समर्थन मूल्य 2640 रुपए हुआ करता था, लेकिन भाजपा की सरकार बनने के बाद अब 3100 में धान की खरीदी करने के बात की जा रही है.
अवैध रूप से धान परिवहन रोकने के लिए पुलिस मुस्तैद: बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया, "छत्तीसगढ़ में हो रही धान खरीदी को देखते हुए बस्तर संभाग के सीमावर्ती इलाकों में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है. सुरक्षा के लिहाज से लगातार आने जाने वाले भारी वाहनों की चेकिंग की जा रही है, ताकि कोई अवैध धान पड़ोसी राज्यों से बस्तर नहीं पहुंचे." बस्तर आईजी ने अवैध रूप से धान के परिवहन को पूरी तरह से रोकने की बात कही है.
बारिश की वजह से रूका था धान खरीदी: बीते दिनों चक्रवाती तूफान मिचोंग की वजह से बस्तर में लगातार मूसलाधार बारिश हो रही थी. कई दिनों तक आसमान में काले बादल छाए हुए थे. खराब मौसम को देखते हुए किसान खरीदी केंद्र नहीं पहुंच रहे थे. सहकारी समितियों में भी धान खरीदी का काम रुका हुआ था. लेकिन जैसे ही मौसम साफ हुआ किसान एक बार फिर से खरीदी केंद्रों का रुख कर रहे हैं. किसान अब अपनी फसल को नए समर्थन मूल्य पर बेच रहे हैं.