जगदलपुर: बस्तर में जगन्नाथ पुरी के तर्ज पर मनाए जाने वाले गोंचा पर्व की तैयारी जोरों से चल रही है. पर्व की शुरूआत के पहले सोमवार को भगवान जगन्नाथ का नेत्रोस्तव मनाया गया. इस रस्म के दौरान शहर के जगन्नाथ मंदिर में आरण्यक ब्राह्मण समाज के लोगों ने भगवान जगन्नाथ की विधि विधान से पूजा अर्चना कर उनका श्रंगार किया.
जगन्नाथ मंदिर के पुजारी और आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ने बताया कि प्राचीन मान्यता के मुताबिक भगवान जगन्नाथ देव चंदनजात्रा के दौरान ज्यादा स्नान करने के कारण बीमार हो जाते हैं. भगवान ज्वर से पीड़ित हो जाते हैं. इस दौरान महाप्रभु जगन्नाथ भक्तों को दर्शन भी नहीं देते है. भगवान को जल्द स्वस्थ्य करने के लिए जड़ी बूटी आदि से उनका उपचार चलता है. 15 दिनों बाद स्वस्थ होने के बाद भगवान जगन्नाथ भक्तों को दर्शन देते हैं और भक्त भगवान का श्रृंगार कर विशेष पूजा अर्चना करते है. जिसे नेत्रोत्सव कहा जाता है.
रथयात्रा पर लगी रोक, कोरोना को देखते हुए सरकार ने लिया फैसला
रथ यात्रा पर संशय
नेत्रोत्सव के अगले दिन भगवान जगन्नाथ, बड़े भइया बलभद्र और देवी सुभद्रा रथ में सवार होकर नगर भ्रमण करते हुए अपने मौसी के घर जनकपुरी पहुंचते हैं. नेत्रोस्तव के दूसरे दिन यानी मंगलवार को शहर में विशाल रथ यात्रा निकाले जाने की बात कही जा रही है.
प्रशासन से ली अनुमति
पुजारियों ने बताया कि देश में फैली कोरोना महामारी को देखते हुए जिला प्रशासन ने दिशा निर्देश दिए हैं. जिसे ध्यान में रखकर पर्व को मनाया जा रहा है. वहीं गोंचा पर्व के दौरान रथ य़ात्रा को लेकर आयोजन समिति के अध्यक्ष ने बताया कि अब तक रथ यात्रा को निरस्त करने को लेकर उनके पास प्रशासन की ओर से कोई दिशा निर्देश नहीं आया है. हांलाकि रथ यात्रा की अनुमति प्रशासन से मांगी ली गई है. जिस पर मंगलवार सुबह तक प्रशासन की ओर से जवाब मिलने की उम्मीद है.