जगदलपुर: बोधघाट थाना क्षेत्र के करकापाल गांव में एक 4 साल की मासूम के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश का मामला सामने आया है. परिजनों की शिकायत पर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है. बताया जा रहा है कि आरोपी युवक मासूम का रिश्तेदार है और उसी गांव में रहता है.
बस्तर एएसपी ओपी शर्मा ने बताया कि मासूम को अकेला पाकर युवक ने उसके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश कर रहा था. इसी बीच बच्ची के परिजन वहां पहुंच गए और आरोपी की करतूत पकड़ी गई. परिजनों ने इसकी शिकायत पुलिस से की. परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज करते हुए उसे गिरफ्तार किया है. जानकारी के मुताबिक आरोपी युवक मासूम का पड़ोसी है और रिश्ते में उसका चाचा लगता है.
बढ़ रहे यौन शोषण के मामले
एएसपी शर्मा ने बताया कि घटना के बाद से मासूम डरी हुई थी, फिलहाल वह ठीक है. बाल यौन शोषण समाज की गंभीर समस्याओं में से एक है, देशभर में बाल यौन शोषण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. बावजूद इसके लोग इस समस्या के बारे में खुलकर बात करने से कतराते हैं. आज भी कई लोगों की मानसिकता यही है कि बच्चों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार और शोषण की बातें घर की चारदीवारी के अंदर रहे तो ही बेहतर है. भारत में हर साल बाल यौण शोषण के मामले बढ़ रहे हैं. चिंता का विषय ये है कि आधे से ज्यादा मामले यहीं सोच कर दर्ज नहीं कराए जाते कि इस घटना के चलते परिवार की बदनामी होगी. समाज में कई लोग बच्चों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और शोषण को जानते हुए भी नजरअंदाज कर देते हैं. हमारे कानून में बाल यौन शोषण के खिलाफ सख्त कानून है, जिसका नाम है पॉक्सो एक्ट. इस एक्ट के तहत सजा के कड़े प्रावधान हैं.
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बाल यौन शोषण के मामले में महिला बाल विकास विभाग भी संज्ञान लेता है. सखी वन स्टॉप सेंटर में शोषण के शिकार हुए बच्चों को रखा जाता है. सखी सेंटर ऐसे मामलों में पीड़ित बच्चों और परिजनों की काउंसलिंग भी करते हैं. साथ ही समय-समय में उन्हें कानूनी जानकारियां भी दी जाती है.
छत्तीसगढ़ में रेप की वारदात
- 21 अक्टूबर को जशपुर में 9 साल की बच्ची से दुष्कर्म
- 13 अक्टूबर को बलरामपुर में 16 साल की नाबालिग से रेप
- 13 अक्टूबर को बलरामपुर में 5 साल की मासूम का रेप
- 6 अक्टूबर को रायगढ़ में 8 साल की बच्ची के साथ रेप की कोशिश
युवाओं को हो समाज की बेहतर समझ
- टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग हो रहा है. व्यसनों के कारण नैतिकता की अवहेलना की जा रही है.
- युवा पीढ़ी को मानवीय मूल्यों के बारे में बताना अनिवार्य है.
- यह शिक्षा स्कूल स्तर से ही पाठ्यक्रम में शामिल की जानी चाहिए. तभी युवाओं के समाज की बेहतर समझ मिल सकेगी.
- खासतौर से गांवों और कस्बों में अलग अलग स्तरों पर कर्मचारियों को POCSO एक्ट की अच्छी समझ होनी चाहिए. माता-पिता, शिक्षक, आंगनवाड़ी और आशा स्टाफ, महिला और बाल विकास मंत्रालय और नर्सों को इस बारे में अच्छी तरह से पता होना चाहिए.