जगदलपुरः बस्तर संभाग नक्सलवाद के साथ ही मलेरिया के प्रकोप से लंबे समय से ग्रसित है. यही वजह है कि बस्तर को हाई एंटिफिक जोन घोषित किया गया है. एक आंकडे़ के मुताबिक हर साल यहां मलेरिया से 50 से ज्यादा लोगो की मौत होती है. जिनमें नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों की संख्या सबसे ज्यादा हैं.
पिछले कई साल से स्वास्थ्य विभाग बस्तर में मलेरिया के रोकथाम करने का दावा कर रही है. इस साल राज्य सरकार ने एक बार फिर बस्तर को मलेरिया मुक्त करने के लिए नया अभियान शुरू किया है. जिसके तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम बस्तर के अंदरूनी इलाकों में जाकर लोगों के स्वास्थ्य का परीक्षण करेगी. साथ ही मलेरिया पॉजिटिव पाए जाने पर फौरन उन्हें दवा उपलब्ध कराएगी.
स्वास्थ्य टीम घर-घर जाकर लेंगी ब्लड सैंपल
बस्तर कलेक्टर अय्याज तंबोली ने बताया कि '15 जनवरी से मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की शुरूआत की गई है. जिसके के लिए 1720 दलों का गठन किया गया है, जो बस्तर संभाग के 7 जिलों में घर, छात्रावास, आश्रम और पुलिस जवानों के कैंप में जाकर लोगों के ब्लड का सैंपल लेंगे. साथ ही मलेरिया पॉजिटिव पाए जाने पर उन्हें दवाई देने के साथ फौरन इलाज करेंगे. इसके लिए स्वास्थ विभाग की टीम को पर्याप्त जांच किट और पर्याप्त दवाईयां मुहैया कराई गई है.
एक महीने चलेगा अभियान
कलेक्टर ने बताया कि यह अभियान 15 जनवरी से 15 फरवरी तक चलेगा और इस दौरान लगातार एक महीने तक स्वास्थ विभाग की टीम लोगों को मलेरिया से रोकथाम के लिए जागरूक करने के साथ मलेरिया से ग्रसित लोगों का इलाज करेगी. वहीं मलेरिया विभाग में भी हाइपर सेसेंटीव वाले इलाकों में दवा का छिड़काव किया जाएगा. उन्होंने बताया कि 'इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग के साथ ही सभी विभाग संयुक्त रूप से काम करेंगे और बस्तर को मलेरिया मुक्त बनाने का प्रयास करेंगे'.
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बता दें इससे पहले भी बस्तर मे मलेरिया के बढ़ते प्रकोप के रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई अभियान चलाए हैं, लेकिन बस्तर में मलेरिया से मौत के आंकडे़ कम होने के बजाय साल दर साल बढ़ते ही जा रही है.पहले ही दवाइयों और मलेरिया रोकथाम के पर्याप्त उपायों की कमी से जूझते बस्तर में राज्य सरकार की यह कवायद कितनी रंग लाएगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा.