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जागो ग्राहक जागो: 3 सालों में बस्तर से मात्र 5 शिकायत उपभोक्ता फोरम में हुई दर्ज

'विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस' हर साल 15 मार्च को मनाया जाता है. उपभोक्ता दिवस मनाने का उद्देश्य उपभोक्ताओं या ग्राहकों को उनके हक, अधिकारों और हितों से अवगत कराना है. लेकिन बस्तर में आज भी ग्राहक पूरी तरह जागरूक नहीं हो सके हैं. इसका उदाहरण ये भी है कि 3 सालों में बस्तर जिले के उपभोक्ता आयोग में केवल 5 केस रजिस्टर्ड हुए हैं.

lack of awareness among consumers of Bastar
3 सालों में बस्तर से मात्र 5 शिकायत हुए उपभोक्ता फोरम में दर्ज
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Published : Mar 13, 2021, 8:41 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

बस्तर: केंद्र और राज्य सरकार जागो ग्राहक जागो प्रचार पर लाखों रुपए खर्च कर रहीं हैं. बावजूद उपभोक्ताओं की जागरूकता में अपेक्षाकृत वृद्धि नहीं हो पाई है. इसका सीधा फायदा सेवा प्रदान करने वाली तमाम एजेंसियों और कंपनियों को हो रहा है. उपभोक्ता कानून के बारे में जानकारी के अभाव के कारण ठगी का शिकार होने के बावजूद उपभोक्ता केस नहीं करते. दरअसल लोगों में यह अफवाह है कि उपभोक्ता मामलों में शिकायत की प्रक्रिया जटिल होती है. यही वजह है कि शिकायत के चक्कर में पड़ने से बचकर उपभोक्ता अपने नुकसान को स्वीकार कर लेते हैं.

3 सालों में बस्तर से मात्र 5 शिकायत हुई उपभोक्ता फोरम में दर्ज

बस्तर जिले में भी उपभोक्ताओं का यही हाल है कि पिछले 3 सालों में बस्तर जिले के उपभोक्ता आयोग में केवल 5 केस रजिस्टर्ड हुए हैं. इन केस में भी दो की सुनवाई हो चुकी है. वहीं उपभोक्ता अधिकार को लेकर उपभोक्ता फोरम और जिला प्रशासन की ओर से भी कोई खास कार्यक्रम नहीं चलाए जाने की वजह से बस्तर के लोग उपभोक्ता अधिकार को लेकर बिल्कुल भी जागरूक नहीं हैं.

क्या उपभोक्ता संरक्षण कानून अपने उद्देश्यों को पूरा कर सकता है ?

उपभोक्ता संरक्षण कानून की जानकारी जरूरी

दरअसल ग्राहकों के हित के लिए बनाए गए उपभोक्ता संरक्षण कानून की जानकारी होनी जरूरी है. 'विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस' हर साल 15 मार्च और राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 24 दिसंबर को मनाया जाता है. साल में दो आयोजन के बावजूद इन अधिकार को लेकर जागरूकता में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो सकी है. बस्तर जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में इस उपभोक्ता अधिकार दिवस को भी लेकर जिला प्रशासन ने कोई कार्यक्रम या अभियान नहीं चलाया है. अमूमन राज्य के बाकी जिलों की अपेक्षा बस्तर जिले में उपभोक्ता अपने अधिकार को लेकर कम जागरूक हैं.

उपभोक्ता फोरम के जानकार और जिला उपभोक्ता फोरम के अधिवक्ता डॉक्टर सतीश जैन ने बताया कि बस्तर में उपभोक्ता अधिकार को लेकर लोग जागरूक नहीं हैं. 1995 से उपभोक्ता फोरम के अधिकतर मामले वे देख रहे हैं. अधिकतर मामले भी उनके पास ही आते हैं. उनका कहना है कि इस उपभोक्ता फोरम को लेकर बने कानून के प्रति बस्तर में जागरूकता की कमी है. हालांकि उनके पास कुछ ऐसे केस आये हैं जो बाकी जिलों की अपेक्षा अलग थे. इसमें बाकायदा उपभोक्ताओं को न्याय भी मिला है.

फोरम में मामले नहीं आने के क्या हैं मुख्य कारण?

सतीश जैन का कहना है कि जिस तरह के मामले सामने आते हैं उसमें बड़ी-बड़ी ब्रांडेड कंपनियों के मालिक आसानी से बचकर निकल जाते हैं. वहीं इन मामलों के लंबे समय तक चलने की वजह से उपभोक्ता भी काफी परेशान हो जाते हैं. यही वजह है कि ग्राहक ठगी का शिकार होने के बावजूद भी लोग उपभोक्ता फोरम नहीं आते हैं. खासकर ग्रामीण इलाकों के लोग न्यूनतम दर पर ही अपने जरूरत के समान लेते हैं. कई ग्रामीण ठगी का शिकार जरूर होते हैं लेकिन वे उपभोक्ता फोरम में शिकायत नहीं करते इसकी एक वजह यह भी है कि उन्हें इन अधिकारों की ठीक से जानकारी नहीं है.

उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 लागू, उपभोक्ताओं को मिले ज्यादा अधिकार

उपभोक्ता फोरम में स्टाफ की कमी

अधिवक्ता सतीश जैन ने बताया कि जिला प्रशासन और उपभोक्ता फोरम की ओर से साल में केवल दो बार ही कार्यक्रम का आयोजित किए जाते हैं. बाकी 363 दिन किसी तरह की कोई जागरूकता अभियान नहीं चलाई जाती है. जिस वजह से उपभोक्ता फोरम में शिकायत को लेकर भी लोगों में असमंजस की स्थिति बनी रहती है. उन्होंने बताया कि जिला उपभोक्ता फोरम में स्टाफ की भी बेहद कमी है. महिला सदस्य नहीं होने और पुरुष सदस्य भी काफी कम होने की वजह से जितने भी मामले आते है लंबित पड़े रहते हैं. स्टाफ की कमी को लेकर काफी लंबे समय से जिला उपभोक्ता फोरम जूझ रहा है. सुनवाई को भी लेकर लंबा समय लग जाता है. इन सब परेशानियों को देखते हुए कुछ जागरूक ग्राहक भी उपभोक्ता फोरम में ठगी का शिकार होने के बावजूद शिकायत दर्ज कराने नहीं पहुंचते हैं.

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उपभोक्ता के प्रति उदासीन रवैया

3 सालों में केवल 5 ही मामले उपभोक्ता फोरम में सामने आए हैं. जिनमें खाद्य पदार्थ के शिकायत ज्यादा है. शहर के एक नागरिक अमन दास ने भी 3 महीने पूर्व खाद्य पदार्थ में गड़बड़ी को लेकर विभाग में शिकायत दर्ज कराया थी. लेकिन उन्हें 3 महीनों से खाद्य विभाग की ओर से रिपोर्ट ही नहीं दी गई है. उन्हें किसी तरह की कोई भी अहम जानकारी नहीं दी गई. अमन दास का कहना है कि वह कई बार खाद्य विभाग और उपभोक्ता फोरम के चक्कर काट चुके हैं. उन्हें जानकारी मुहैया कराने के बात जरूर कही जाती है. लेकिन 3 महीने बीत चुके हैं और अब तक उनकी शिकायत को लेकर कोई सुनवाई नहीं हो पाई है. इधर अमन दास जैसे और भी शिकायतकर्ता है जो जागरूक तो जरूर हैं लेकिन उपभोक्ता फोरम में लेटलतीफी और स्टाफ की कमी की परेशानी को दखते हुए केस ही नहीं लड़ते हैं.

बस्तर: केंद्र और राज्य सरकार जागो ग्राहक जागो प्रचार पर लाखों रुपए खर्च कर रहीं हैं. बावजूद उपभोक्ताओं की जागरूकता में अपेक्षाकृत वृद्धि नहीं हो पाई है. इसका सीधा फायदा सेवा प्रदान करने वाली तमाम एजेंसियों और कंपनियों को हो रहा है. उपभोक्ता कानून के बारे में जानकारी के अभाव के कारण ठगी का शिकार होने के बावजूद उपभोक्ता केस नहीं करते. दरअसल लोगों में यह अफवाह है कि उपभोक्ता मामलों में शिकायत की प्रक्रिया जटिल होती है. यही वजह है कि शिकायत के चक्कर में पड़ने से बचकर उपभोक्ता अपने नुकसान को स्वीकार कर लेते हैं.

3 सालों में बस्तर से मात्र 5 शिकायत हुई उपभोक्ता फोरम में दर्ज

बस्तर जिले में भी उपभोक्ताओं का यही हाल है कि पिछले 3 सालों में बस्तर जिले के उपभोक्ता आयोग में केवल 5 केस रजिस्टर्ड हुए हैं. इन केस में भी दो की सुनवाई हो चुकी है. वहीं उपभोक्ता अधिकार को लेकर उपभोक्ता फोरम और जिला प्रशासन की ओर से भी कोई खास कार्यक्रम नहीं चलाए जाने की वजह से बस्तर के लोग उपभोक्ता अधिकार को लेकर बिल्कुल भी जागरूक नहीं हैं.

क्या उपभोक्ता संरक्षण कानून अपने उद्देश्यों को पूरा कर सकता है ?

उपभोक्ता संरक्षण कानून की जानकारी जरूरी

दरअसल ग्राहकों के हित के लिए बनाए गए उपभोक्ता संरक्षण कानून की जानकारी होनी जरूरी है. 'विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस' हर साल 15 मार्च और राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 24 दिसंबर को मनाया जाता है. साल में दो आयोजन के बावजूद इन अधिकार को लेकर जागरूकता में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो सकी है. बस्तर जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में इस उपभोक्ता अधिकार दिवस को भी लेकर जिला प्रशासन ने कोई कार्यक्रम या अभियान नहीं चलाया है. अमूमन राज्य के बाकी जिलों की अपेक्षा बस्तर जिले में उपभोक्ता अपने अधिकार को लेकर कम जागरूक हैं.

उपभोक्ता फोरम के जानकार और जिला उपभोक्ता फोरम के अधिवक्ता डॉक्टर सतीश जैन ने बताया कि बस्तर में उपभोक्ता अधिकार को लेकर लोग जागरूक नहीं हैं. 1995 से उपभोक्ता फोरम के अधिकतर मामले वे देख रहे हैं. अधिकतर मामले भी उनके पास ही आते हैं. उनका कहना है कि इस उपभोक्ता फोरम को लेकर बने कानून के प्रति बस्तर में जागरूकता की कमी है. हालांकि उनके पास कुछ ऐसे केस आये हैं जो बाकी जिलों की अपेक्षा अलग थे. इसमें बाकायदा उपभोक्ताओं को न्याय भी मिला है.

फोरम में मामले नहीं आने के क्या हैं मुख्य कारण?

सतीश जैन का कहना है कि जिस तरह के मामले सामने आते हैं उसमें बड़ी-बड़ी ब्रांडेड कंपनियों के मालिक आसानी से बचकर निकल जाते हैं. वहीं इन मामलों के लंबे समय तक चलने की वजह से उपभोक्ता भी काफी परेशान हो जाते हैं. यही वजह है कि ग्राहक ठगी का शिकार होने के बावजूद भी लोग उपभोक्ता फोरम नहीं आते हैं. खासकर ग्रामीण इलाकों के लोग न्यूनतम दर पर ही अपने जरूरत के समान लेते हैं. कई ग्रामीण ठगी का शिकार जरूर होते हैं लेकिन वे उपभोक्ता फोरम में शिकायत नहीं करते इसकी एक वजह यह भी है कि उन्हें इन अधिकारों की ठीक से जानकारी नहीं है.

उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 लागू, उपभोक्ताओं को मिले ज्यादा अधिकार

उपभोक्ता फोरम में स्टाफ की कमी

अधिवक्ता सतीश जैन ने बताया कि जिला प्रशासन और उपभोक्ता फोरम की ओर से साल में केवल दो बार ही कार्यक्रम का आयोजित किए जाते हैं. बाकी 363 दिन किसी तरह की कोई जागरूकता अभियान नहीं चलाई जाती है. जिस वजह से उपभोक्ता फोरम में शिकायत को लेकर भी लोगों में असमंजस की स्थिति बनी रहती है. उन्होंने बताया कि जिला उपभोक्ता फोरम में स्टाफ की भी बेहद कमी है. महिला सदस्य नहीं होने और पुरुष सदस्य भी काफी कम होने की वजह से जितने भी मामले आते है लंबित पड़े रहते हैं. स्टाफ की कमी को लेकर काफी लंबे समय से जिला उपभोक्ता फोरम जूझ रहा है. सुनवाई को भी लेकर लंबा समय लग जाता है. इन सब परेशानियों को देखते हुए कुछ जागरूक ग्राहक भी उपभोक्ता फोरम में ठगी का शिकार होने के बावजूद शिकायत दर्ज कराने नहीं पहुंचते हैं.

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उपभोक्ता के प्रति उदासीन रवैया

3 सालों में केवल 5 ही मामले उपभोक्ता फोरम में सामने आए हैं. जिनमें खाद्य पदार्थ के शिकायत ज्यादा है. शहर के एक नागरिक अमन दास ने भी 3 महीने पूर्व खाद्य पदार्थ में गड़बड़ी को लेकर विभाग में शिकायत दर्ज कराया थी. लेकिन उन्हें 3 महीनों से खाद्य विभाग की ओर से रिपोर्ट ही नहीं दी गई है. उन्हें किसी तरह की कोई भी अहम जानकारी नहीं दी गई. अमन दास का कहना है कि वह कई बार खाद्य विभाग और उपभोक्ता फोरम के चक्कर काट चुके हैं. उन्हें जानकारी मुहैया कराने के बात जरूर कही जाती है. लेकिन 3 महीने बीत चुके हैं और अब तक उनकी शिकायत को लेकर कोई सुनवाई नहीं हो पाई है. इधर अमन दास जैसे और भी शिकायतकर्ता है जो जागरूक तो जरूर हैं लेकिन उपभोक्ता फोरम में लेटलतीफी और स्टाफ की कमी की परेशानी को दखते हुए केस ही नहीं लड़ते हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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