जगदलपुर: बस्तर ब्लॉक के भैंसगांव के बच्चों का भविष्य गढ़ने के लिए अंग्रेजी मीडियम स्कूल बनाने की घोषणा की गई थी. लेकिन यहां अंग्रेजी स्कूल तो छोड़िए प्राइमरी स्कूल का हाल ही बेहाल है. यहां सालभर से स्कूल भवन का काम अधर में लटका है. आपको जानकर हैरानी होगी कि गांव के बच्चे आदिवासियों की आस्था का केंद्र कहे जाने वाले देवगुड़ी यानी मंदिर के चबूतरे पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं.
देवगुड़ी में इसलिए करनी पड़ रही पढ़ाई: ग्रामीण कहते हैं मई 2022 में सीएम इस गांव में भेंट मुलाकात के लिए आए थे. ग्रामीणों की स्कूल भवन की मांग पर उन्होंने तुरंत मंजूरी दी थी. ग्राम पंचायत को इसका काम मिला. 7 लाख रुपये स्वीकृत हुए, जिससे ढलाई तक का काम पूरा हो गया है. अब बचे काम के लिए और पैसों की जरूरत है, लेकिन अबतक राशि मंजूर नहीं हुई है. लिहाजा वैकल्पिक व्यवस्था कर बच्चों को देवगुड़ी में पढ़ाया जा रहा है.
पुराना स्कूल पूरी तरह जर्जर हो चुका है. नए भवन का निर्माण अधूरा है. ठेकेदार और जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं दे रहे. सीएम बघेल ने खुद स्कूल के लिए स्वीकृति दी थी. -रमेश कुमार मौर्य, ग्रामीण
बस्तर में भगवान भरोसे स्कूल: भैंसगांव का यह स्कूल वाकई भगवान भरोसे ही चल रहा है. साल भर से प्रायमरी स्कूल की एक से पांचवी तक की क्लास देवगुड़ी में लग रही है. पांच क्लास के लिए दो टीचर हैं.
देवगुड़ी में पिछले एक साल से स्कूल चल रहा है. कुल 23 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. जल्द से जल्द स्कूल भवन मिल जाए ताकि परेशानियां दूर हो और बच्चों की अच्छे से पढ़ाई हो सके. -जमुना प्रसाद बघेल, शिक्षक
क्या कहते हैं अधिकारी: ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय से अधूरे स्कूल भवन को पूरा करने की मांग को लेकर अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से शिकायत की जा रही है. लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.
कार्य एजेंसी ग्राम पंचायत है. यह मेरे क्षेत्र का निर्माण कार्य नहीं है. -भारती प्रधान, जिला शिक्षा अधिकारी
छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूल भी खोले जा रहे हैं लेकिन बस्तर के आदिवासी बच्चों की पढ़ाई की स्थिति बद से बदतर है. बस्तर में बेहतर शिक्षा देने के लिए कई अभियानों के नाम पर करोड़ों रुपए फूंके जा रहे हैं, लेकिन भैंसगांव का यह स्कूल जमीनी हकीकत बयां करता है.