जगदलपुर: छत्तीसगढ़ में अनियमित कर्मचारियों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है. इस सिलसिले में मंगलवार को कर्मचारियों ने जगदलपुर में बघेल सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई. जगदलपुर में कर्मचारियों ने रैली निकाली और कांग्रेस के जगदलपुर विधायक रेखचंद जैन और बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा है.
कर्मचारियों ने नियमित करने की मांग की: विरोध प्रदर्शन को तेज करते हुए अनियमित कर्मचारियों ने सरकार से उनकी नौकरी को नियमित यानी की रेगुलर करने की मांग की है. इसी संदर्भ में उन्होंने कांग्रेस विधायकों को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा है. कर्मचारियों ने यह भी हिदायत दी की जिस तरह से रमन सिंह ने उनकी मांगों को पूरा नहीं किया था. तो इसके बाद उन्होंने बीजेपी के खिलाफ वोट दिया था. अब अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे भी इस तरह का कदम उठा सकते हैं.
"साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सभी अनियमित कर्मचारी को नियमित करने का वादा अपने जन घोषणा पत्र में किया था. लेकिन आज 5 साल बीत चुके हैं. लेकिन उन्हें नियमित नहीं किया गया है. इसलिए हम कांग्रेस के नेताओं को उनका वादा याद दिला रहे हैं. जिसके लिए हम ज्ञापन सौंप रहे हैं. छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने में अनियमित कर्मचारियों की अहम भूमिका है. लेकिन हमे लगातार ठगा जा रहा है. अभी सरकार अनियमित कर्मचारियों को चार हजार रुपये प्रतिमाह देने की बात कह रही है. लेकिन उसमें भी कई शर्ते लागू की गई है. जो कि हमारे साथ छलावा है" - प्रभुनाथ पाणिग्रही, महामंत्री, आदिमजाति कल्याण विभाग कर्मचारी संघ, छत्तीसगढ़
जनघोषणा पत्र में किए वादों का किया उल्लेख: कर्मचारियों ने जन घोषणा पत्र में किए वादों का उल्लेख किया है. इस तरह कांग्रेस को उनके वादों को याद दिलाने की बात कही है. कर्मचारियों ने कहा कि पांच साल बीत जाने के बाद भी उनसे किए गए वादों को पूरा नहीं किया गया है. इसलिए उन्हें विरोध प्रदर्शन और आंदोलन की राह अपनानी पड़ रही है. सरकार से उन्होंने मांगें पूरी करने की बात कही है.
"बस्तर संभाग के सुकमा जिले में 20-25 वर्षों से काम करने वाले अनियमित कर्मचारियों को इस साल नियुक्ति दी गई है. कर्मचारी, आश्रम हॉस्टल में आग की भट्टी में तपकर अपनी सेवाएं देते हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ की सरकारें कर्मचारियों को बंधुआ मजदूर की तरह इस्तेमाल करते आई है. कई जिलों में नियमित करने के फैसलों को वापस लिया जा रहा है. सरकार के आंकड़ों के हिसाब से 8 हजार कर्मचारी बस्तर में हैं. अगर सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं करती है तो जो हाल रमन सरकार का हुआ. वैसा ही कांग्रेस सरकार के साथ होगा. यह सरकार भी कुर्सी से उतर सकती है"- प्रभुनाथ पाणिग्रही, महामंत्री, आदिमजाति कल्याण विभाग कर्मचारी संघ, छत्तीसगढ़
महिला कर्मचारियों ने महंगाई का दिया हवाला: आंदोलन कर रही महिला कर्मचारियों ने महंगाई का हवाला दिया है. ऐसी ही एक महिला कर्मचारी दीपिका कश्यप ने सरकार को उनके बारे में सोचने की सलाह दी है. उन्होंने कहा है कि "आज के दौर में 9 हजार रुपये में गुजारा करना मुश्किल है. इसलिए कर्मचारियों को नियमित करना चाहिए. ताकि वह अपने परिवार की परवरिश कर सकें. 9 हजार रुपये प्रतिमाह मे यह सब संभव नहीं है. अगर हमारी मांगों को नहीं माना जाता है तो हम कांग्रेस पार्टी को वोट दे या नहीं इसे लेकर सोचेंगे"
अनियमित कर्मचारियों ने चुनावी साल में सरकार के खिलाफ आर पार का मोर्चा खोल दिया है. ऐसे में अब देखना होगा कि इस मुद्दे को लेकर छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार क्या कदम उठाती है.