जगदलपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वकांक्षी योजनाओं में से प्रमुख गरवा बस्तर में कमजोर साबित हो रही है. कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए इस योजना की शुरुआत की थी. गरवा (पशु और गौठान) को मजबूत और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए यह योजना बेहद महत्वपूर्ण थी. बावजूद इसके जिले में 166 डेयरी का संचालन किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की योजना के अनुरूप जिले का पशुधन विभाग गौठान में डेयरी की इकाइयां खोलने में नाकाम हुआ है. जिले के 8 गौठानों में पशुधन विभाग 24 डेयरी की इकाइयों पर काम कर रहा है जो काफी नही है. यह एक प्रमुख कारण है कि जिले के दूध व्यापार में बाहरी व्यवसायियों का बोल बाला है. पशुधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार जिले में 166 डेयरी संचालित है. जिनमें 2000 पशु हैं . इन डेयरियों में 7500 लीटर दूध प्रतिदिन निकाला जाता है. छत्तीसगढ़ के लोगों को सशक्त बनाने के लिए गरबा योजना शुरू की गई थी.लेकिन इतने उत्पादन से पूर्ति नहीं हो पा रही है.
बस्तर में क्या आ रही दिक्कत : बस्तर में यह योजना स्थानीय लोगों के लिए सफल नजर नहीं आ रही है. छत्तीसगढ़ की सीमाई क्षेत्र ओडिशा से दूध व्यापारी बस्तर में दूध खपा रहे हैं. बाहरी लोगों का कब्जा बस्तर में हो चुका है. स्थानीय लोग डेरी संचालित करते हैं. लेकिन सही दाम और दूध नहीं खपने की वजह से डेरी ठप हो जाती है. वहीं बस्तर के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा (Minister in charge of Bastar Kawasi Lakhma) का कहना है ''यह गंभीर मामला है इस मामले को हम समीक्षा बैठक में चर्चा किये हैं. इस योजना के बारे में प्रचार प्रसार के साथ लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है. आने वाला समय में इस योजना में कुछ और नियमों को जोड़ा जाएगा और बेहतर करने की कोशिश की जाएगी ताकि स्थानीय लोगों को इसका लाभ मिल सके. आने वाले समय में बस्तरवासियों को इसका लाभ जरूर मिलेगा.''jagdalpur latest news