जगदलपुर : बस्तर में मनाया जाने वाले गोंचा महापर्व की शुक्रवार को आखिरी रस्म अदा की गई. शहर के सीरहासार भवन में बनाये गये जनकपुरी में अपनी मौसी के घर 7 दिनों तक रहने के बाद भगवान जगन्नाथ शुक्रवार को अपने घर वापस लौटे.
महापर्व की आखिरी रस्म बाहुडा गोंचा के साथ ही बस्तर में 10 दिनों तक मनाये जाने वाले पर्व की शुक्रवार को समाप्ति हो गई है. रस्म के अनुसार देर शाम भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा देवी की प्रतिमा को रथ पर सवार किया गया.
सीरहासार भवन से निकाली गई रथयात्रा
इस मौके पर बड़ी संख्या में मौजूद लोगों ने रथ को खींचकर जनकपुरी से भगवान जगन्नाथ के मंदिर वापस पहुंचाया. देर शाम विशेष रथ यात्रा शहर के सीरहासार भवन से निकाली गई,जो दंतेश्वरी मंदिर का एक चक्कर लगाने के बाद जगन्नाथ के मंदिर में पहुंचकर खत्म हुई.
चढ़ा 56 भोग
गोंचा महापर्व व आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार भगवान जगन्नाथ 7 दिनों तक मौसी के घर में निवास करते हैं और इस दौरान उन्हें 56 भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है, जिसके बाद शुक्रवार को बाहुडा गोंचा के दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा देवी के साथ वापस अपने घर जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं. घर पंहुचने के बाद कपाट फेडा रस्म की अदायगी की जाती है, जिसमें माता लक्ष्मी और भगवान जगन्नाथ के बीच वाद-संवाद के बाद ही इस पर्व की समाप्ति होती है.