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गोंचा महापर्व : बाहुडा रस्म के साथ जगदलपुर में निकाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा

बस्तर में 10 दिनों तक मनाये जाने वाले पर्व की शुक्रवार को समाप्ति हो गई है. इस मौके पर बड़ी संख्या में मौजूद लोगों ने रथ को खींचकर जनकपुरी से भगवान जगन्नाथ के मंदिर वापस पहुंचाया.

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Published : Jul 12, 2019, 11:22 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुर : बस्तर में मनाया जाने वाले गोंचा महापर्व की शुक्रवार को आखिरी रस्म अदा की गई. शहर के सीरहासार भवन में बनाये गये जनकपुरी में अपनी मौसी के घर 7 दिनों तक रहने के बाद भगवान जगन्नाथ शुक्रवार को अपने घर वापस लौटे.

बाहुडा रस्म के साथ जगदलपुर में निकाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा

महापर्व की आखिरी रस्म बाहुडा गोंचा के साथ ही बस्तर में 10 दिनों तक मनाये जाने वाले पर्व की शुक्रवार को समाप्ति हो गई है. रस्म के अनुसार देर शाम भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा देवी की प्रतिमा को रथ पर सवार किया गया.

सीरहासार भवन से निकाली गई रथयात्रा
इस मौके पर बड़ी संख्या में मौजूद लोगों ने रथ को खींचकर जनकपुरी से भगवान जगन्नाथ के मंदिर वापस पहुंचाया. देर शाम विशेष रथ यात्रा शहर के सीरहासार भवन से निकाली गई,जो दंतेश्वरी मंदिर का एक चक्कर लगाने के बाद जगन्नाथ के मंदिर में पहुंचकर खत्म हुई.

चढ़ा 56 भोग
गोंचा महापर्व व आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार भगवान जगन्नाथ 7 दिनों तक मौसी के घर में निवास करते हैं और इस दौरान उन्हें 56 भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है, जिसके बाद शुक्रवार को बाहुडा गोंचा के दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा देवी के साथ वापस अपने घर जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं. घर पंहुचने के बाद कपाट फेडा रस्म की अदायगी की जाती है, जिसमें माता लक्ष्मी और भगवान जगन्नाथ के बीच वाद-संवाद के बाद ही इस पर्व की समाप्ति होती है.

जगदलपुर : बस्तर में मनाया जाने वाले गोंचा महापर्व की शुक्रवार को आखिरी रस्म अदा की गई. शहर के सीरहासार भवन में बनाये गये जनकपुरी में अपनी मौसी के घर 7 दिनों तक रहने के बाद भगवान जगन्नाथ शुक्रवार को अपने घर वापस लौटे.

बाहुडा रस्म के साथ जगदलपुर में निकाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा

महापर्व की आखिरी रस्म बाहुडा गोंचा के साथ ही बस्तर में 10 दिनों तक मनाये जाने वाले पर्व की शुक्रवार को समाप्ति हो गई है. रस्म के अनुसार देर शाम भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा देवी की प्रतिमा को रथ पर सवार किया गया.

सीरहासार भवन से निकाली गई रथयात्रा
इस मौके पर बड़ी संख्या में मौजूद लोगों ने रथ को खींचकर जनकपुरी से भगवान जगन्नाथ के मंदिर वापस पहुंचाया. देर शाम विशेष रथ यात्रा शहर के सीरहासार भवन से निकाली गई,जो दंतेश्वरी मंदिर का एक चक्कर लगाने के बाद जगन्नाथ के मंदिर में पहुंचकर खत्म हुई.

चढ़ा 56 भोग
गोंचा महापर्व व आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार भगवान जगन्नाथ 7 दिनों तक मौसी के घर में निवास करते हैं और इस दौरान उन्हें 56 भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है, जिसके बाद शुक्रवार को बाहुडा गोंचा के दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा देवी के साथ वापस अपने घर जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं. घर पंहुचने के बाद कपाट फेडा रस्म की अदायगी की जाती है, जिसमें माता लक्ष्मी और भगवान जगन्नाथ के बीच वाद-संवाद के बाद ही इस पर्व की समाप्ति होती है.

Intro:जगदलपुर। बस्तर मे मनाये जाने वाले गोंचा महापर्व की आज आखिरी रस्म अदा की गई, शहर के सीरासार भवन मे बनाये गये जनकपूरी मे अपनी मौसी के घर 7 दिनो तक रहने के बाद भगवान जगन्नाथ आज अपने घर वापस लौटे, इस रस्म को बस्तर मे बाहुडा गोंचा के नाम से जाना जाता है। और इस रस्म के दौरान भी भगवान जगन्नाथ के रथयात्रा के दौरान लोगो ने तुपकी चलाकर भगवान को सलामी दी।





Body:आज गोंचा महापर्व की आखिरी रस्म बाहुडा गोंचा के साथ ही बस्तर मे  10 दिनो तक मनाये जाने वाले पर्व की आज समाप्ति हो गई, इस रस्म के अनुसार देर शाम भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के प्रतिमा को रथ पर सवार किया गया, इस मौके पर मौजुद बडी संख्या मे लोगो ने रथ को खींचकर जनकपूरी से भगवान जगन्नाथ के मंदिर वापस पंहुचाया, देर शाम विशेष रथ यात्रा शहर के सीरहासार भवन से निकाली गई जो दंतेश्वरी मंदिर का एक चक्कर लगाने के बाद जगन्नाथ के मंदिर मे जाकर समाप्त हुई।


Conclusion:गोंचा महापर्व व आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार भगवान जगन्नाथ 7 दिनो तक मौसी के घर मे निवास करते है और इस दौरान उन्हे 56 भोग का प्रसाद चढाया जाता है, जिसके बाद आज बाहुडा गोंचा के दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र बहन देवी सुभद्रा के साथ वापस अपने घर जगन्नाथ मंदिर लौट जाते है। और घर पंहुचने के बाद कपाट फेडा रस्म की अदायगी की जाती है जिसमे  माता लक्ष्मी और भगवान जगनन्नाथ के बीच वाद संवाद के बाद ही इस पर्व की समाप्ति होती है। समाज के अध्यक्ष ने बताया कि हिंदु रिति रिवाजो के अनुसार आज देवशयनि के पहले दिन से अगले चार माह तक देव उठनी तुलसी पूजा तक हिंदु धर्म के लोगो द्वारा कोई शुभ कार्य नही किया जाता है।   
   
बाईट1- हेमंत पाण्डे, अध्यक्ष आरण्यक ब्राम्हण समाज

WT -- अशोक नायडू 
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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