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'शहर के वफादारों' के लिए बस्तर में बना छत्तीसगढ़ का पहला डॉग केनाल

बस्तर में छत्तीसगढ़ का पहला डॉग केनाल (dog canal in jagdalpur) बनाया गया है. यहां डॉग्स के (first dog kennel of Chhattisgarh) लिए दो मंजिल का वेल फर्निश्ड डॉग केनाल (Well Furnished Dog kennel) तैयार किया गया है. साथ ही ट्रेनरों के लिए भी कमरे बनाए गए हैं.

first dog kennel of chhattisgarh
छत्तीसगढ़ का पहला डॉग केनाल
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Published : Jun 6, 2021, 10:09 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: बस्तर में शहर की पुलिसिंग में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बस्तर के तीन डॉग के लिए नया भवन तैयार किया गया है. इसकी आधुनिकता और व्यवस्थाओं को देखते हुए इसे छत्तीसगढ़ का पहला डॉग केनाल (first dog kennel of chhattisgarh) बनाया गया है. फिलहाल दो मंजिला के साथ आधुनिक सुविधाओं से लैस इस तरह का भवन प्रदेश में अब तक कहीं भी मौजूद नहीं है. इस डॉग केनाल (dog canal in bastar) में बेड, बाथरूम और किचन की सुविधा है. यहां यह डॉग आराम करते हैं. साथ ही किचन में उनके लिए तय चार्ट के हिसाब से खाना तैयार किया जाता है. वहीं इनको किसी तरह की परेशानी न हो और इनकी ड्यृूटी लगातार चलती रहे इसलिए इस डॉग केनाल के ऊपरी मंजिल में डॉग ट्रेनरों के रूम भी तैयार किए गए हैं. बस्तर पुलिस के पास टफी, राका और सुजाता तीन डॉग मौजूद हैं.

छत्तीसगढ़ का पहला डॉग केनाल

बस्तर एसपी दीपक झा (Bastar SP Deepak Jha) ने बताया कि बस्तर पुलिस (Bastar Police) के पास फिलहाल तीन डॉग हैं. जिसमें दो मेल और एक फीमेल हैं. मेल डॉग का नाम टफी और राका है. वहीं फीमेल डॉग का नाम सुजाता है. इन तीनों की ट्रेनिंग काफी समय से यहां जारी है. एसपी ने बताया कि यह डॉग पिछले चार सालों से अपनी सेवा दे रहे हैं. इनकी निगरानी तीन ट्रेनरों की देखरेख में होती है. पहले जगह पर्याप्त न होने के चलते इनके लिए नई बिल्डिंग बनवाई गई है. ये डॉग नक्सल मोर्चे से लेकर चोरों को पकड़ने में काफी माहिर है. इसके लिए उन्हें विशेष ट्रेनिंग भी दी जाती है.

नक्सलियों के बस्तर बंद आह्वान के बीच पुलिस ने किए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

कई मामलों में कर चुके हैं पुलिस की मदद

बस्तर पुलिस (Bastar Police) के पास स्निफर और ट्रैकर दोनों तरह के डॉग हैं. स्निफर डॉग्स नक्सलियों द्वारा जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए लगाए जाने वाले माइंस को खोजने में मदद करते हैं. इसके लिए टफी और राका हैं. यह दोनों ही लेब्राडोर प्रजाति के हैं. वहीं चोरी जैसी घटनाओं में घटनास्थल से आरोपियों तक को ढूंढ निकालने के लिए सुजाता को तैयार किया गया है. ये बेल्जियम शेफर्ड प्रजाति की है. अब तक इन्होंने दर्जनों माइंस और चोरी के केस सुलझाने में पुलिस की मदद की है.

डाइट चार्ट के हिसाब से दिया जाता है खाना

एसपी दीपक झा ने बताया कि बस्तर के ये तीनों डॉग किसी पुलिस जवान की तरह ही अपनी ड्यूटी करते हैं. सुबह पीटी करने के साथ ही उन्हें नाश्ते में दूध और चावल दिया जाता है. इसके बाद वे गश्त या नक्सल प्रभावित इलाकों में निकल जाते हैं. कई बार इन्हें 24-24 घंटे की ड्यूटी भी करनी पड़ती है. वहीं दोपहर या शाम में एक टाइम तीनों को चिकन या मटन दिया जाता है. इनके लिए बकायदा सात दिन का डाइट चार्ट तैयार है. जिसे विशेष मॉनिटरिंग के साथ प्लान किया जाता है.

जगदलपुर: बस्तर में शहर की पुलिसिंग में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बस्तर के तीन डॉग के लिए नया भवन तैयार किया गया है. इसकी आधुनिकता और व्यवस्थाओं को देखते हुए इसे छत्तीसगढ़ का पहला डॉग केनाल (first dog kennel of chhattisgarh) बनाया गया है. फिलहाल दो मंजिला के साथ आधुनिक सुविधाओं से लैस इस तरह का भवन प्रदेश में अब तक कहीं भी मौजूद नहीं है. इस डॉग केनाल (dog canal in bastar) में बेड, बाथरूम और किचन की सुविधा है. यहां यह डॉग आराम करते हैं. साथ ही किचन में उनके लिए तय चार्ट के हिसाब से खाना तैयार किया जाता है. वहीं इनको किसी तरह की परेशानी न हो और इनकी ड्यृूटी लगातार चलती रहे इसलिए इस डॉग केनाल के ऊपरी मंजिल में डॉग ट्रेनरों के रूम भी तैयार किए गए हैं. बस्तर पुलिस के पास टफी, राका और सुजाता तीन डॉग मौजूद हैं.

छत्तीसगढ़ का पहला डॉग केनाल

बस्तर एसपी दीपक झा (Bastar SP Deepak Jha) ने बताया कि बस्तर पुलिस (Bastar Police) के पास फिलहाल तीन डॉग हैं. जिसमें दो मेल और एक फीमेल हैं. मेल डॉग का नाम टफी और राका है. वहीं फीमेल डॉग का नाम सुजाता है. इन तीनों की ट्रेनिंग काफी समय से यहां जारी है. एसपी ने बताया कि यह डॉग पिछले चार सालों से अपनी सेवा दे रहे हैं. इनकी निगरानी तीन ट्रेनरों की देखरेख में होती है. पहले जगह पर्याप्त न होने के चलते इनके लिए नई बिल्डिंग बनवाई गई है. ये डॉग नक्सल मोर्चे से लेकर चोरों को पकड़ने में काफी माहिर है. इसके लिए उन्हें विशेष ट्रेनिंग भी दी जाती है.

नक्सलियों के बस्तर बंद आह्वान के बीच पुलिस ने किए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

कई मामलों में कर चुके हैं पुलिस की मदद

बस्तर पुलिस (Bastar Police) के पास स्निफर और ट्रैकर दोनों तरह के डॉग हैं. स्निफर डॉग्स नक्सलियों द्वारा जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए लगाए जाने वाले माइंस को खोजने में मदद करते हैं. इसके लिए टफी और राका हैं. यह दोनों ही लेब्राडोर प्रजाति के हैं. वहीं चोरी जैसी घटनाओं में घटनास्थल से आरोपियों तक को ढूंढ निकालने के लिए सुजाता को तैयार किया गया है. ये बेल्जियम शेफर्ड प्रजाति की है. अब तक इन्होंने दर्जनों माइंस और चोरी के केस सुलझाने में पुलिस की मदद की है.

डाइट चार्ट के हिसाब से दिया जाता है खाना

एसपी दीपक झा ने बताया कि बस्तर के ये तीनों डॉग किसी पुलिस जवान की तरह ही अपनी ड्यूटी करते हैं. सुबह पीटी करने के साथ ही उन्हें नाश्ते में दूध और चावल दिया जाता है. इसके बाद वे गश्त या नक्सल प्रभावित इलाकों में निकल जाते हैं. कई बार इन्हें 24-24 घंटे की ड्यूटी भी करनी पड़ती है. वहीं दोपहर या शाम में एक टाइम तीनों को चिकन या मटन दिया जाता है. इनके लिए बकायदा सात दिन का डाइट चार्ट तैयार है. जिसे विशेष मॉनिटरिंग के साथ प्लान किया जाता है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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