जगदलपुर: राज्य सरकार की ओर से धान खरीदी का मूल्य बढ़ाए जाने के बाद धान खरीदी में और गड़बड़ी होने लगी है. बस्तर संभाग में करीब 11 हजार क्विंटल धान का शॉर्टेज पाया गया है. इसका मतलब साफ है कि फर्जी तरीके से समितियों की ओर से करीब 11 हजार क्विंटल धान खरीद लिया गया, जिसके आंकड़े अब मिल नहीं रहे हैं. अब विभाग के अधिकारियों को आंकड़ों का मिलान करने के लिए मत्थापची करनी पड़ रही है.
सरकारी धान खरीदी में मिलर्स, धान खरीदी प्रभारी, सरकारी दफ्तर और सीएमओ कार्यालय तक इसके तार अक्सर जुड़े पाए गए हैं. पूरे बस्तर संभाग के 7 जिलों में 11 हजार क्विंटल से ज्यादा के धान का हिसाब नहीं मिल रहा है. इस शॉर्टेज का मतलब है कि इतनी मात्रा का धान अवैध रुप से खरीदा गया है. इसके अलावा कोचियों से खरीदा गया धान तो बिल्कुल अलग है, जो कि आंकड़ों के मिलान में पकड़ ही नहीं आ रहा है.
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करीब 11 क्विंटल धान की कमी
साल 2019 में बस्तर संभाग के 267 धान उपार्जन केंद्रों में 62 लाख 87 हजार क्विंटल धान की खरीदी की गई. जिसमें 36 लाख 91 हजार 898 क्विंटल धान मिलर्स को जारी किया गया. वहीं धान संग्रहण केंद्रों में 25 लाख 97 हजार 190 क्विंटल धान अब भी मौजूद हैं. इस तरह मिलर और संग्रहण केंद्र में कुल 62 लाख 89 हजार क्विंटल धान का परिवहन किया गया. यह किसानों से खरीदी गई कुल धान से 10 हजार 898 क्विंटल कम है. जिसका लेखा मिलान जिला विपणन अधिकारी की ओर से किया जाना है. आखिर धान की इतनी शॉर्टेज कैसे हुई यह जांच का मामला है. अधिकारियों ने इस पूरे मामले में औपचारिक तौर पर जिला विपणन अधिकारी के जरिए जांच कराने की बात कही है.