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बस्तर में बारिश का खतरा ! उठाव नहीं होने से खरीदी केंद्रों में धान है जमा, किसानों की बढ़ी चिंता - समर्थन मूल्य पर शुरू हुए धान की खरीदी

बस्तर में बारिश का खतरा का अनुमान है. धान खरीदी केंद्रों पर उठाव नहीं होने से धान जमा है. जिसको लेकर किसानों की चिंता बढ़ गई है. बस्तर के अधिकारी मुख्य पर्यवेक्षक एस ए रजा ने बताया कि बस्तर में धान का उठाव बहुत धीमी गति से हो रहा है. बस्तर जिले में 29 मिलर हैं जिनमें 23 मिलरों ने मशीन लगवा ली है और खाद्य विभाग से अग्रीमेंट भी करा ली है, जो अब उठाव के कार्य में जुट जाएंगे.

बस्तर में बारिश का खतरा
बस्तर में बारिश का खतरा
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Published : Dec 9, 2022, 10:03 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

बस्तर: छत्तीसगढ़ में 1 नवंबर से समर्थन मूल्य पर शुरू हुए धान की खरीदी अब रफ्तार पकड़ने लगी है. लेकिन धान खरीदी केंद्रों में नियमों का पालन नहीं होने की वजह से उपार्जन केंद्र के परेशान है. लंबी अवधि के बाद भी धान का उठाव नहीं होने की वजह से सुखद ज्यादा होती है और धान शॉर्टेज की जिम्मेदारी खरीदी केंद्रों पर जाती है. यही कारण है कि खरीदी केंद्र प्रभारी धान का उठाव नहीं होने की वजह से परेशान है. लिहाजा नियमानुसार समय पर उठाव की मांग उपाध्यक्ष केंद्र समिति कर रही है. जिसके तहत 72 घंटे के अंदर उपार्जन केंद्रों से धान संग्रहण केंद्रों तक लाया जाता है, लेकिन अब तक ऐसा किसी भी जिले में नहीं हो रहा है. बस्तर संभाग के खरीदी केंद्रों में 1 लाख 50 हजार मैट्रिक टन धान खरीदी केंद्रों में जमा है.

बस्तर के अधिकारी मुख्य पर्यवेक्षक एस ए रजा ने बताया कि बस्तर में धान का उठाव बहुत धीमी गति से हो रहा है अभी तक संभागभर में केवल कोंडागांव और कांकेर में ही उठाव हो रहा है. जिसमें बस्तर के बाहर के मिलर जो अधिकतर धमतरी और रायपुर के हैं वही उठा का कार्य कर रहे हैं. साथ ही अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष सभी मित्रों को फोर्टीफाइड मशीन लगवाना था जिसके बाद खाद्य विभाग से एग्रीमेंट करवाना था. यही कारण है कि उठाव नहीं हो सका है. बस्तर जिले में 29 मिलर हैं जिनमें 23 मिलरों ने मशीन लगवा ली है और खाद्य विभाग से अग्रीमेंट भी करा ली है, जो अब उठाव के कार्य में जुट जाएंगे.

यह भी पढ़ें: Cyclone Mandous: दक्षिण बस्तर में बारिश

लेम्प्स प्रबंधक बलराम सेठिया ने बताया कि धान की खरीदी करते हुए 40 दिन हो चुके हैं और 40 दिन में कई क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है जो अभी तक धान खरीदी केंद्र में जाम है. सही समय में धान का उठाव नहीं होने से सुखत की स्थिति बनती है. जिसे खरीदी केंद्रों के द्वारा ही भरपाई की जाती है. लंबे समय से धान केंद्रों में जाम रहेगा तो सुखत आएगा ही. ईधर धान का उठाव नहीं होने की वजह से धान खरीदी केंद्रों में पर्याप्त जगह नहीं है, किसान अपनी धान को लेकर खरीदी केंद्र पहुंच रहे हैं. लेकिन यहां उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

इधर बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनने की वजह से चक्रवात की स्थिति निर्मित हुई है और इस चक्रवात का असर बस्तर में भी देखने को मिल रहा है बस्तर में सुबह से ही आसमान में काले बादल छाए हुए हैं वहीं दक्षिण बस्तर में ठंडी हवाएं भी चल रही है और बारिश होने की आशंका जताई जा रही है. बीते वर्ष भी अचानक बेमौसम बारिश बस्तर में हुई थी और इस बारिश से किसानों का धान पूरी तरह से खरीदी केंद्रों में भीग गया. इस वर्ष भी खरीदी केंद्रों में खरीदी खरीदी किया गया धान जमा है और आसमान में हवाई खतरा मंडरा रहा है. यदि बस्तर में बारिश होती है तो निश्चित ही रूप में किसानों का धान बारिश में भीग कर तबाह हो जाएगा. जिससे सरकार को काफी नुकसान होगा.

बस्तर: छत्तीसगढ़ में 1 नवंबर से समर्थन मूल्य पर शुरू हुए धान की खरीदी अब रफ्तार पकड़ने लगी है. लेकिन धान खरीदी केंद्रों में नियमों का पालन नहीं होने की वजह से उपार्जन केंद्र के परेशान है. लंबी अवधि के बाद भी धान का उठाव नहीं होने की वजह से सुखद ज्यादा होती है और धान शॉर्टेज की जिम्मेदारी खरीदी केंद्रों पर जाती है. यही कारण है कि खरीदी केंद्र प्रभारी धान का उठाव नहीं होने की वजह से परेशान है. लिहाजा नियमानुसार समय पर उठाव की मांग उपाध्यक्ष केंद्र समिति कर रही है. जिसके तहत 72 घंटे के अंदर उपार्जन केंद्रों से धान संग्रहण केंद्रों तक लाया जाता है, लेकिन अब तक ऐसा किसी भी जिले में नहीं हो रहा है. बस्तर संभाग के खरीदी केंद्रों में 1 लाख 50 हजार मैट्रिक टन धान खरीदी केंद्रों में जमा है.

बस्तर के अधिकारी मुख्य पर्यवेक्षक एस ए रजा ने बताया कि बस्तर में धान का उठाव बहुत धीमी गति से हो रहा है अभी तक संभागभर में केवल कोंडागांव और कांकेर में ही उठाव हो रहा है. जिसमें बस्तर के बाहर के मिलर जो अधिकतर धमतरी और रायपुर के हैं वही उठा का कार्य कर रहे हैं. साथ ही अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष सभी मित्रों को फोर्टीफाइड मशीन लगवाना था जिसके बाद खाद्य विभाग से एग्रीमेंट करवाना था. यही कारण है कि उठाव नहीं हो सका है. बस्तर जिले में 29 मिलर हैं जिनमें 23 मिलरों ने मशीन लगवा ली है और खाद्य विभाग से अग्रीमेंट भी करा ली है, जो अब उठाव के कार्य में जुट जाएंगे.

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लेम्प्स प्रबंधक बलराम सेठिया ने बताया कि धान की खरीदी करते हुए 40 दिन हो चुके हैं और 40 दिन में कई क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है जो अभी तक धान खरीदी केंद्र में जाम है. सही समय में धान का उठाव नहीं होने से सुखत की स्थिति बनती है. जिसे खरीदी केंद्रों के द्वारा ही भरपाई की जाती है. लंबे समय से धान केंद्रों में जाम रहेगा तो सुखत आएगा ही. ईधर धान का उठाव नहीं होने की वजह से धान खरीदी केंद्रों में पर्याप्त जगह नहीं है, किसान अपनी धान को लेकर खरीदी केंद्र पहुंच रहे हैं. लेकिन यहां उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

इधर बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनने की वजह से चक्रवात की स्थिति निर्मित हुई है और इस चक्रवात का असर बस्तर में भी देखने को मिल रहा है बस्तर में सुबह से ही आसमान में काले बादल छाए हुए हैं वहीं दक्षिण बस्तर में ठंडी हवाएं भी चल रही है और बारिश होने की आशंका जताई जा रही है. बीते वर्ष भी अचानक बेमौसम बारिश बस्तर में हुई थी और इस बारिश से किसानों का धान पूरी तरह से खरीदी केंद्रों में भीग गया. इस वर्ष भी खरीदी केंद्रों में खरीदी खरीदी किया गया धान जमा है और आसमान में हवाई खतरा मंडरा रहा है. यदि बस्तर में बारिश होती है तो निश्चित ही रूप में किसानों का धान बारिश में भीग कर तबाह हो जाएगा. जिससे सरकार को काफी नुकसान होगा.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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