जगदलपुर: छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग नक्सल प्रभाविक इलाका है. यहां अच्छे अस्पताल, स्कूल और अन्य सुविधाओं का बेहद अभाव है. लिहाजा कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में यह इलाका इलाज के लिए लाचार तरसता नजर आया था.
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर खत्म होने के बाद बस्तर संभाग में कोरोना वैक्सीनेशन का काम शुरू हुआ. संभाग में 23 लाख लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया, लेकिन नक्सलियों के डर और जागरूकता की कमी के मद्देनजर यहां टीकाकरण का काम दूसरे संभागों के मुकाबले काफी धीमा हो गया है. आलम यह है कि शहरी क्षेत्रों को छोड़ दें तो ग्रामीण अंचलों में तो अब तक लोगों को वैक्सीन की पहली डोज तक नहीं लगी है.
वैक्सीनेशन में पिछड़ते बस्तर के पीछे की वजह ग्रामीण इलाकों में जागरूकता के अभाव को बताया जा रहा है. बस्तर संभाग के सुकमा जिले में सबसे अधिक 58% टीकाकरण का काम हुआ है. साथ ही नारायणपुर में टीकाकरण अभियान को शुरू हुए साल भर बीतने के बाद भी अब तक यहां 35% ही लोगों ने कोरोना की वैक्सीन लगी है.
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बस्तर में कोरोना से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें टीकाकरण अभियान में जुटी हुई हैं. स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के द्वारा टीकाकरण केंद्र बनाकर बस्तर के लोगों को टीका लगाने का काम किया जा रहा है. बीते 16 जनवरी से शुरू हुए टीकाकरण अभियान में बस्तर संभाग में अब तक 11 लाख लोगों को टीका लगाया जा चुका है. वहीं, दूसरी डोज लगाने वाले लोगों की संख्या 3 लाख पहुंच गई है, लेकिन अभी भी 50% से अधिक लोगों को बस्तर में पहली डोज नहीं लग पाई है. इनमें सुदूर ग्रामीण अंचलों के ग्रामीणों की संख्या अधिक है.
स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक ए.आर गोटा के मुताबिक, बस्तर संभाग में हुए अब तक वैक्सीनेशन में कांकेर जिले में 48%, बस्तर में 50% लोगों ने वैक्सीन की पहली डोज लगवाई है. इसके अलावा सुकमा जिले में 58% लोगों ने वैक्सीन की पहली डोज लगवा ली है, जो संभाग का सर्वाधिक आंकड़ा है. बीजापुर में 40 %, कोंडागांव में 43%, दंतेवाड़ा में 46% लोगों ने पहली डोज लगाई है.
ए.आर गोटा ने बताया कि ग्रामीण इलाकों के मुकाबले शहरी क्षेत्रों में लोग कोरोना वैक्सीन के लिए ज्यादा जागरूक हैं. हालांकि अभी भी ग्रामीणों में वैक्सीन को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है. जिसे दूर करने के लिए लगातार स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा जमीनी स्तर पर पहुंचकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. संयुक्त संचालक का कहना है कि स्वास्थ विभाग की पूरी कोशिश है कि बस्तर संभाग के ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन का लाभ मिले और इसके लिए वे पिछले 8 महीनों से टीकाकरण अभियान में जुटे हुए हैं.
टीकाकरण को लेकर बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी श्रीनिवास रथ का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान में निश्चित तौर पर शहर वासियों को सबसे अधिक लाभ मिल रहा है, लेकिन ग्रामीण अंचलों में लोग इससे अछूते रह जा रहे हैं. विडम्बना वाली बात है कि अब तक बस्तर संभाग में ग्रामीण अंचलों में केवल 15% ग्रामीणों को ही कोरोना का पहला डोज लग पाया है. ग्रामीणों में भ्रम की स्थिति बनी हुई थी कि वैक्सीन लगवाने से मौत हो सकती है. उन्होंने कहा कि अब काफी हद तक ग्रामीणों को मीडिया के माध्यम से भी जागरूक करने का प्रयास किया गया है, लेकिन प्रशासन टीकाकरण अभियान को लेकर ठोस कदम उठाते नहीं दिख रहा है.