जगदलपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का प्रभाव देखने को मिला. अप्रैल का पूरा महीना और मई महीने की शुरूआत में प्रदेश पूरी तरह से कोरोना की चपेट में था. आए दिन 200 से अधिक लोगों की मौत हो रही थी. जानकारों की माने तो अब कोरोना की तीसरी लहर भी भारत को अपनी चपेट में ले सकती है. इस दौरान बच्चों को अधिक खतरा होगा. ऐसे में छत्तीसगढ़ के कई जिलों में तैयारी शुरू कर दी गई है. बस्तर कलेक्टर की माने तो लगातार अस्पतालों में व्यवस्थाओं को सुधारा जा रहा है. कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए बस्तर अब तैयार हो गया है.
बस्तर की बात की जाए तो बस्तर एक आदिवासी बाहुल्य और पिछड़ा क्षेत्र है. यहां पर मेडिकल की सुविधा काफी कम है. यहां के लोगों को कई बीमारियों और स्वास्थ लाभ के लिए राजधानी रायपुर की ओर रुख करना पड़ता है. जिला प्रशासन के अधिकारियों का दावा है कि कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए बस्तर में अभी से ही तैयारी शुरू कर दी गई है.
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ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल का रिव्यू
बस्तर कलेक्टर रजत बंसल का कहना है कि कोरोना के तीसरी लहर को लेकर राज्य शासन के निर्देश पर तैयारियां शुरू कर दी गयी है. बताया जा रहा है कि कोरोना के तीसरी लहर में बच्चों को लेकर ज्यादा संवेदनशील रहने की आवश्यकता है. जिसे देखते हुए बस्तर में विशेषज्ञों की ड्यूटी भी लगा दी गई है. साथ ही जो भी ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल है उसका रिव्यू भी कर लिया गया है.
अस्पताल में पूरी तैयारी
कलेक्टर ने बताया कि डिमरापाल मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में 40 बेड का एनआईसीयू की व्यवस्था कर ली गई है. जिसकी बढ़ोतरी करते हुए 12 बेड और जोड़ा जा रहा है. साथ ही 30 बेड का डेडिकेटेड वार्ड भी प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने स्थापित कर दिया है. आने वाले समय में और भी जो उपकरण की आवश्यकता होगी उसे भी ऑर्डर कर दिया गया है. कलेक्टर का दावा है कि कोरोना के तीसरी लहर से निपटने बस्तर पूरी तरह से तैयार है. बस्तर में कोई भी दिक्कत नहीं होगी.
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खास सतर्कता बरतने की जरूरत
बस्तर के शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के दूसरी लहर में कई बच्चे इसकी चपेट में आए हैं, हालांकि कोरोना के दूसरी लहर में बच्चे ज्यादा गंभीर अवस्था में नहीं पहुंचे. बच्चों की इम्यूनिटी पावर अधिक होने की वजह से स्वस्थ भी हो गए. लेकिन शिशु विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि तीसरी लहर जो 7 से 8 महीनों में आने वाली है उसमें बच्चों को लेकर खास सतर्कता बरती जानी चाहिए. सोशल डिस्टेंसिंग ,मास्क और ज्यादा से ज्यादा बार साबुन से हाथ धोने के साथ ही बच्चों को अपने खानपान को लेकर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए.
शिशु रोग विशेषज्ञों की नियुक्ति
शिशु विशेषज्ञ कहना है कि तीसरी लहर के दुष्परिणाम की संभावना को देखते हुए कोविड अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञों की भी नियुक्ति की गई है. जो समय आने पर चौबीसों घंटे ड्यूटी में तैनात रहेंगे. कोरोना महामारी से पीड़ित बच्चों का सही और बेहतर इलाज कर सकेंगे.