रायपुर: कभी भाजपा का गढ़ माने जाने वाले बस्तर से अब पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है. संभाग की सभी 12 सीटों पर कांग्रेस काबिज हो गई है. दंतेवाड़ा और चित्रकोट, दोनों उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद अब भाजपा आत्ममंथन के दौर से गुजर रही है. बस्तर में पार्टी के प्रति तेजी से घटते जनाधार को लेकर भाजपा समीक्षा बैठक करने जा रही है. इस बैठक में भाजपा को मिली हार की समीक्षा कर गलतियों को सुधारने और जनता के बीच अपनी पुरानी छवि को दोबारा बनाने की कवायद होगी.
भाजपा प्रवक्ता संजय पांडेय ने कहा कि उपचुनाव में बस्तर के दो सीटो पर मिली करारी हार के बाद ये समझ में आ गया है कि निश्चित तौर पर भाजपा का बस्तर में जनाधार कम हुआ है. पार्टी के पदाधिकारी जल्द ही एक समीक्षा बैठक करेंगे.
भाजपा में नेतृत्व की कमी नहीं: संजय
संजय ने कहा कि बस्तर में भारतीय जनता पार्टी में नेतृत्व करने वालों की कमी नहीं है. आदिवासी नेताओं के साथ-साथ और भी कई ऐसे चेहरे हैं जिन्हें बदला नहीं जा सकता. उन्होंने आगे कहा कि चुनाव में मिली हार की वजह 15 साल की भाजपा सरकार के खिलाफ चली लहर का असर है. पार्टी के नेताओं से जनता की कोई नाराजगी नहीं है.
निकाय चुनाव में जीतेंगे: संजय
संजय पांडेय ने कहा कि कांग्रेस सरकार के अब तक के कार्यकाल को जनता देख चुकी है. हाथों में गंगाजल लेकर कर्जमाफी का वादा किया गया था. लेकिन कितने किसानों के कर्ज माफ हुए. निश्चित तौर पर नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा की सरकार बनेगी.