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बस्तर में साख बचाने भाजपा लगा रही चिंतन शिविर, कांग्रेस ने कहा-जनता हमारे साथ फिर जीतेंगे 12 सीट - Jagdalpur News

बस्तर में अपनी साख खो चुकी भाजपा यहां जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत झोंक चुकी है. जबकि कांग्रेस यहां आयोजित भाजपा के चिंतन शिविर को चिंता शिविर बता रही है.

BJP is setting up a contemplation camp to save credibility in Bastar
बस्तर में साख बचाने भाजपा लगा रही चिंतन शिविर
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Published : Aug 30, 2021, 11:04 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर : बस्तर में पहली बार भाजपा चिंतन शिविर का आयोजन करेगी. शिविर को लेकर बस्तर भाजपा ने सारी तैयारियां पूर्ण कर ली हैं. शहर के एक इंटरनेशनल होटल में आयोजित इस चिंतन शिविर में भाजपा के राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के बड़े नेता शामिल होंगे. तीन दिवसीय चिंतन शिविर में भाजपा के सभी पदाधिकारी और कार्यकर्ता आगामी 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा करेंगे. हालांकि भाजपा के पदाधिकारियों ने इस बैठक को पूरी तरह से गोपनीय बैठक बताया है. बताया जा रहा है कि इस शिविर के गोपनीय बैठक में 50 से 55 भाजपा के पदाधिकारी शामिल होंगे. जिसमें मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के भाजपा प्रभारी पुरंदेश्वरी और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ डॉ रमन सिंह, राष्ट्रीय संगठन मंत्री पवन साय जैसे भाजपा के बड़े पदाधिकारी शामिल होंगे.

बस्तर में साख बचाने भाजपा लगा रही चिंतन शिविर

2018 के बाद पहली बार शिविर लगा रही भाजपा

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बस्तर में अपनी साख खो चुकी भाजपा कांग्रेस के ढाई साल के कार्यकाल बीतने के बाद पहली बार चिंतन शिविर लगा रही है. दरअसल बस्तर संभाग के 12 विधानसभा सीटों में भाजपा को 12 की 12 सीटों पर करारी हार मिली थी. जिसके बाद से ही प्रदेश के भाजपा के बड़े पदाधिकारी यह मान रहे हैं कि बस्तर में भाजपा पिछले सालों की तुलना में काफी कमजोर होती जा रही है. खासकर चुनाव हारने के बाद इन ढाई सालों में भाजपा राज्य सरकार के खिलाफ माहौल बनाने और जनता को साधने के लिए अब तक कोई उपलब्धि हासिल नहीं कर पाई है, यही वजह है कि बस्तर में ढाई साल में कई बड़ी घटनाएं होने के साथ ही भाजपा को जनता को साधने के लिए कई अहम मुद्दे भी मिले. लेकिन भाजपा इसे भुना नहीं पाई.

बस्तर संभाग के केवल 6 बड़े नेता ही होंगे शामिल

खास बात यह है कि भाजपा के इतने बड़े आयोजन में समूचे बस्तर संभाग के केवल 6 बड़े नेता इस गोपनीय बैठक में शामिल हो रहे हैं. हालांकि भाजपा के नेता इस बैठक में किन मुद्दों पर चर्चा होनी है, इसको लेकर मीडिया को किसी तरह से कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं. लेकिन माना जा रहा है कि आगामी 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा अभी से अपने कार्यकर्ताओ में जोश भरने के साथ ही जनता को साधने के लिए नए-नए कार्यक्रम आयोजित करेगी. बस्तर की कुल 12 सीटों में से 1 सामान्य है, जबकि 11 सीटें एसटी है. बस्तर में भाजपा के कई बड़े आदिवासी नेता होने के बावजूद अपने आदिवासी ग्रामीणों के बीच धीरे-धीरे यह नेता जनाधार खोते जा रहे हैं. हालांकि इस बार भाजपा के नेताओं का दावा है कि आगामी चुनाव में बस्तर की पूरी 12 की 12 सीटों पर भाजपा का कब्जा होगा.

पूरी तरह से गोपनीय रखी गई है बैठक

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि तीन दिवसीय चिंतन शिविर में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होनी है. हालांकि इस बैठक को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया है. लेकिन इस बैठक के बाद बस्तर में निश्चित तौर पर कार्यकर्ताओं में नये ऊर्जा का संचार होगा. चुनाव के ढाई साल बचे हैं, ऐसे में कार्यकर्ताओं के साथ ही भाजपा के पदाधिकारी जोश खरोश के साथ तैयारी में लगने के साथ जनता को साधने का प्रयास करेंगे.

केदार कश्यप ने बताया कि 15 साल में जो विकास कार्य बस्तर में हुए हैं और पिछले ढाई साल में राज्य सरकार ने जो बस्तर में विकास के नाम पर जनता के साथ छल किया है, निश्चित तौर पर इससे आने वाले चुनाव में भाजपा को फायदा मिलेगा. इस चिंतन शिविर से बस्तर में भाजपा को काफी कुछ फायदा मिलेगा

बस्तर में नक्सलवाद और विकास हैं दो बड़े चुनावी मुद्दे

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सबसे पहले दोनों ही बड़े राजनीतिक दल बस्तर संभाग के 12 सीटों को साधने में अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं. बस्तर में नक्सलवाद और विकास दो बड़े मुद्दे हैं. जिसके बलबूते पर दोनों ही राजनीतिक दल चुनाव जीतते आ रहे हैं. हालांकि साल 2018 विधानसभा चुनाव में यह पहली बार हुआ जब भाजपा को बस्तर संभाग के पूरे 12 के 12 सीटों में करारी हार मिली. वहीं पिछले 3 विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के पास 12 में से 8 सीटें थीं. जबकि 4 सीटों पर कांग्रेस ने बाजी मारी थी. वहीं साल 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बस्तर से और करारी हार मिली और कांग्रेस 12 सीटों में से 8 सीटों पर जीती, जबकि 4 सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया. यही वजह है कि अब भाजपा 2023 विधानसभा चुनाव से पहले बस्तर में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है.

कांग्रेस ने बताया, यह भाजपा का चिंतन शिविर नहीं "चिंता शिविर"

इधर, भाजपा के इस चिंतन शिविर को लेकर कांग्रेस ने कटाक्ष किया है. कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजीव शर्मा ने कहा कि यह भाजपा का चिंतन शिविर नहीं बल्कि चिंता शिविर है. क्योंकि भाजपा लगातार बस्तर से अपनी साख खोती जा रही है. केवल बस्तर ही नहीं बल्कि प्रदेश के अन्य विधानसभा में भी भाजपा कमजोर पड़ रही है. इसकी मुख्य वजह है कि 15 साल के भाजपा शासनकाल में केवल जनता के साथ केवल छलावा हुआ है. 2018 के विधानसभा चुनाव में जनता ने दिखा दिया कि वह कांग्रेस के साथ है. पिछले ढाई साल के कार्यकाल में कांग्रेस ने जितने विकास कार्य बस्तर के साथ-साथ पूरे प्रदेश में किये हैं, उतने कार्य भाजपा ने 15 साल के कार्यकाल में नहीं किये.

"आगामी चुनाव में भी पूरी 12 सीट जीतेगी कांग्रेस"

जिला अध्यक्ष राजीव शर्मा ने कहा कि भाजपा उद्योगपतियों की पार्टी है. यही वजह है कि तीन दिवसीय चिंतन शिविर को लेकर केवल बस्तर में भाजपा अपने बड़े नेताओं को खुश करने में लगी है. इसलिए इस चिंतन शिविर का आयोजन इंटरनेशनल होटल में किया जा रहा है. जमीनी स्तर पर इस चिंतन शिविर का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि बस्तर की जनता जान चुकी है कि जो विकास कांग्रेस सरकार ने ढाई साल में करके दिखाया है, वह विकास भाजपा अपने 15 साल के कार्यकाल में नहीं कर पाई. यही वजह है कि भाजपा बस्तर में अपनी साख खोती जा रही है. आगामी चुनाव में भी कांग्रेस संभाग की 12 सीटों पर चुनाव जीतने के साथ ही एक बार फिर से बहुमत लाकर अपनी सरकार बनाएगी.

जगदलपुर : बस्तर में पहली बार भाजपा चिंतन शिविर का आयोजन करेगी. शिविर को लेकर बस्तर भाजपा ने सारी तैयारियां पूर्ण कर ली हैं. शहर के एक इंटरनेशनल होटल में आयोजित इस चिंतन शिविर में भाजपा के राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के बड़े नेता शामिल होंगे. तीन दिवसीय चिंतन शिविर में भाजपा के सभी पदाधिकारी और कार्यकर्ता आगामी 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा करेंगे. हालांकि भाजपा के पदाधिकारियों ने इस बैठक को पूरी तरह से गोपनीय बैठक बताया है. बताया जा रहा है कि इस शिविर के गोपनीय बैठक में 50 से 55 भाजपा के पदाधिकारी शामिल होंगे. जिसमें मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के भाजपा प्रभारी पुरंदेश्वरी और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ डॉ रमन सिंह, राष्ट्रीय संगठन मंत्री पवन साय जैसे भाजपा के बड़े पदाधिकारी शामिल होंगे.

बस्तर में साख बचाने भाजपा लगा रही चिंतन शिविर

2018 के बाद पहली बार शिविर लगा रही भाजपा

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बस्तर में अपनी साख खो चुकी भाजपा कांग्रेस के ढाई साल के कार्यकाल बीतने के बाद पहली बार चिंतन शिविर लगा रही है. दरअसल बस्तर संभाग के 12 विधानसभा सीटों में भाजपा को 12 की 12 सीटों पर करारी हार मिली थी. जिसके बाद से ही प्रदेश के भाजपा के बड़े पदाधिकारी यह मान रहे हैं कि बस्तर में भाजपा पिछले सालों की तुलना में काफी कमजोर होती जा रही है. खासकर चुनाव हारने के बाद इन ढाई सालों में भाजपा राज्य सरकार के खिलाफ माहौल बनाने और जनता को साधने के लिए अब तक कोई उपलब्धि हासिल नहीं कर पाई है, यही वजह है कि बस्तर में ढाई साल में कई बड़ी घटनाएं होने के साथ ही भाजपा को जनता को साधने के लिए कई अहम मुद्दे भी मिले. लेकिन भाजपा इसे भुना नहीं पाई.

बस्तर संभाग के केवल 6 बड़े नेता ही होंगे शामिल

खास बात यह है कि भाजपा के इतने बड़े आयोजन में समूचे बस्तर संभाग के केवल 6 बड़े नेता इस गोपनीय बैठक में शामिल हो रहे हैं. हालांकि भाजपा के नेता इस बैठक में किन मुद्दों पर चर्चा होनी है, इसको लेकर मीडिया को किसी तरह से कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं. लेकिन माना जा रहा है कि आगामी 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा अभी से अपने कार्यकर्ताओ में जोश भरने के साथ ही जनता को साधने के लिए नए-नए कार्यक्रम आयोजित करेगी. बस्तर की कुल 12 सीटों में से 1 सामान्य है, जबकि 11 सीटें एसटी है. बस्तर में भाजपा के कई बड़े आदिवासी नेता होने के बावजूद अपने आदिवासी ग्रामीणों के बीच धीरे-धीरे यह नेता जनाधार खोते जा रहे हैं. हालांकि इस बार भाजपा के नेताओं का दावा है कि आगामी चुनाव में बस्तर की पूरी 12 की 12 सीटों पर भाजपा का कब्जा होगा.

पूरी तरह से गोपनीय रखी गई है बैठक

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि तीन दिवसीय चिंतन शिविर में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होनी है. हालांकि इस बैठक को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया है. लेकिन इस बैठक के बाद बस्तर में निश्चित तौर पर कार्यकर्ताओं में नये ऊर्जा का संचार होगा. चुनाव के ढाई साल बचे हैं, ऐसे में कार्यकर्ताओं के साथ ही भाजपा के पदाधिकारी जोश खरोश के साथ तैयारी में लगने के साथ जनता को साधने का प्रयास करेंगे.

केदार कश्यप ने बताया कि 15 साल में जो विकास कार्य बस्तर में हुए हैं और पिछले ढाई साल में राज्य सरकार ने जो बस्तर में विकास के नाम पर जनता के साथ छल किया है, निश्चित तौर पर इससे आने वाले चुनाव में भाजपा को फायदा मिलेगा. इस चिंतन शिविर से बस्तर में भाजपा को काफी कुछ फायदा मिलेगा

बस्तर में नक्सलवाद और विकास हैं दो बड़े चुनावी मुद्दे

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सबसे पहले दोनों ही बड़े राजनीतिक दल बस्तर संभाग के 12 सीटों को साधने में अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं. बस्तर में नक्सलवाद और विकास दो बड़े मुद्दे हैं. जिसके बलबूते पर दोनों ही राजनीतिक दल चुनाव जीतते आ रहे हैं. हालांकि साल 2018 विधानसभा चुनाव में यह पहली बार हुआ जब भाजपा को बस्तर संभाग के पूरे 12 के 12 सीटों में करारी हार मिली. वहीं पिछले 3 विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के पास 12 में से 8 सीटें थीं. जबकि 4 सीटों पर कांग्रेस ने बाजी मारी थी. वहीं साल 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बस्तर से और करारी हार मिली और कांग्रेस 12 सीटों में से 8 सीटों पर जीती, जबकि 4 सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया. यही वजह है कि अब भाजपा 2023 विधानसभा चुनाव से पहले बस्तर में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है.

कांग्रेस ने बताया, यह भाजपा का चिंतन शिविर नहीं "चिंता शिविर"

इधर, भाजपा के इस चिंतन शिविर को लेकर कांग्रेस ने कटाक्ष किया है. कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजीव शर्मा ने कहा कि यह भाजपा का चिंतन शिविर नहीं बल्कि चिंता शिविर है. क्योंकि भाजपा लगातार बस्तर से अपनी साख खोती जा रही है. केवल बस्तर ही नहीं बल्कि प्रदेश के अन्य विधानसभा में भी भाजपा कमजोर पड़ रही है. इसकी मुख्य वजह है कि 15 साल के भाजपा शासनकाल में केवल जनता के साथ केवल छलावा हुआ है. 2018 के विधानसभा चुनाव में जनता ने दिखा दिया कि वह कांग्रेस के साथ है. पिछले ढाई साल के कार्यकाल में कांग्रेस ने जितने विकास कार्य बस्तर के साथ-साथ पूरे प्रदेश में किये हैं, उतने कार्य भाजपा ने 15 साल के कार्यकाल में नहीं किये.

"आगामी चुनाव में भी पूरी 12 सीट जीतेगी कांग्रेस"

जिला अध्यक्ष राजीव शर्मा ने कहा कि भाजपा उद्योगपतियों की पार्टी है. यही वजह है कि तीन दिवसीय चिंतन शिविर को लेकर केवल बस्तर में भाजपा अपने बड़े नेताओं को खुश करने में लगी है. इसलिए इस चिंतन शिविर का आयोजन इंटरनेशनल होटल में किया जा रहा है. जमीनी स्तर पर इस चिंतन शिविर का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि बस्तर की जनता जान चुकी है कि जो विकास कांग्रेस सरकार ने ढाई साल में करके दिखाया है, वह विकास भाजपा अपने 15 साल के कार्यकाल में नहीं कर पाई. यही वजह है कि भाजपा बस्तर में अपनी साख खोती जा रही है. आगामी चुनाव में भी कांग्रेस संभाग की 12 सीटों पर चुनाव जीतने के साथ ही एक बार फिर से बहुमत लाकर अपनी सरकार बनाएगी.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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