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बस्तर का अनोखा राम भक्त, 1 करोड़ बार राम नाम लिखने का लिया संकल्प

Bastar unique Ram devotee प्रभु श्रीराम ने अपनी पिता की आज्ञा से 14 वर्षों तक वनवास में बिताया.श्रीराम ने जीवन काल के 14 वर्ष वन को समर्पित किए.अपने इसी स्वभाव के कारण श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए. त्रेता युग से लेकर कलयुग तक राम के ना जाने कितने अनुयायी और भक्त हैं.ऐसा ही एक भक्त छत्तीसगढ़ के बस्तर में है.जिसने अयोध्या जाने का संकल्प लिया है,लेकिन इसके लिए वो ऐसा काम कर रहा है,जो सभी के लिए आसान नहीं है.Narayan Pandey

Bastar unique Ram devotee
राम भक्त नारायण पाण्डेय
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 17, 2024, 8:44 PM IST

Updated : Jan 17, 2024, 11:34 PM IST

बस्तर का अनोखा राम भक्त

जगदलपुर : भगवान श्रीराम ने छत्तीसगढ़ में वनवास काल बिताया है.इस दौरान श्रीराम ने वन-वन भटककर कंदमूल खाए और जीवन व्यतीत किया.वहीं दूसरी ओर बस्तर में भी रामभक्त ने अपने जीवन के 14 साल भगवान श्रीराम को दिए हैं. लेकिन साल का आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है. क्योंकि रामभक्त नारायण का लक्ष्य अभी पूरा नहीं हुआ है.

1 करोड़ बार राम का नाम लिखने का संकल्प : बस्तर के नारायण की आस्था भगवान राम से कुछ इस कदर जुड़ी है कि उन्होंने राम का नाम 1 करोड़ बार हाथों से लिखकर जाप करने का संकल्प किया है. अभी तक नारायण ने 67 लाख से अधिक बार श्रीराम का नाम कॉपी में लिखा है. इनकी लिखावट काफी सुंदर और संयोजित तरीके से है. कोई भी उनकी लिखावट का मुरीद बन जाएगा. क्योंकि अलग-अलग तरीके से कॉपी में डिजाइन करके राम का नाम लिखा गया है.

कहां रहते हैं राम के अनोखे भक्त ? : जगदलपुर शहर से करीब 10 किलोमीटर करीतगांव में रहने वाला नारायण पर रामधुन सवार है.इनकी दिनचर्या राम से शुरु होकर राम पर ही खत्म होती है. नारायण पांडेय के मुताबिक घर की सुख, शांति और समृद्धि के लिए उन्होंने 1 करोड़ बार राम का नाम लिखकर जाप करने का लक्ष्य रखा है. अभी तक 67 लाख 75 हजार राम का नाम लिख चुके हैं.

दोस्त ने दी राम नाम लिखने की प्रेरणा : नारायण के मुताबिक उनके परम मित्र ने उन्हें श्रीराम के नाम को लिखने के लिए प्रोत्साहित किया. जिसके बाद वे जगदलपुर शहर पहुंचे और कॉपी पेन लिए. फिर नारायण ने 07 जनवरी 2011 सुबह 9.30 बजे से राम नाम लिखना शुरु किया. नारायण के मित्र नेत्रकान्त पांडेय के मुताबिक अपनी मनोकामना के लिए कई लोगों को राम के नाम का जाप करते हुए उन्होंने देखा था. जिसके बाद उनके भी मन में लिखने का जिज्ञासा उठी. लेकिन वे इसमें सफल नहीं हुए. इसी कारण उन्होंने मित्र को सलाह दी. फिर मित्र नारायण ने बात मानकर लिखना शुरू किया.

''नाम लिखने से अंदर काफी शांति महसूस होती है. राम नाम लिखने के दौरान एक पुत्र की भी प्राप्ति हुई है. जो श्रीराम का आशीर्वाद हैं.जैसे ही 1 करोड़ राम नाम का लक्ष्य पूरा हो जाएगा. उसके बाद अयोध्या जाने के लिए तैयारी करेंगे.'' नारायण पाण्डेय,राम भक्त

क्यों लिख रहे हैं राम का नाम ? : नारायण की बेटी गायत्री पांडेय के मुताबिक उनके पिता की लगन से वे प्रेरित है. उन्हें ऐसा लग रहा है कि वे भी अब राम नाम लिखना शुरू करें. धीरे धीरे लिखने से वे भी 1 करोड़ तक जरूर पहुंचेंगी. फिलहाल घर बनाने का काम जारी है. जैसे ही यह सम्पन्न होगा. उसी दिन से लिखना प्रारंभ करेंगी. वहीं नारायण पाण्डेय के मुताबिक जन्म से लेकर मृत्यु तक राम नाम का जाप किया जाता है. मरने के बाद भी राम का नाम ही साथ जाता है. इसीलिए वे लिखने का काम कर रहे हैं.

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बस्तर का अनोखा राम भक्त

जगदलपुर : भगवान श्रीराम ने छत्तीसगढ़ में वनवास काल बिताया है.इस दौरान श्रीराम ने वन-वन भटककर कंदमूल खाए और जीवन व्यतीत किया.वहीं दूसरी ओर बस्तर में भी रामभक्त ने अपने जीवन के 14 साल भगवान श्रीराम को दिए हैं. लेकिन साल का आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है. क्योंकि रामभक्त नारायण का लक्ष्य अभी पूरा नहीं हुआ है.

1 करोड़ बार राम का नाम लिखने का संकल्प : बस्तर के नारायण की आस्था भगवान राम से कुछ इस कदर जुड़ी है कि उन्होंने राम का नाम 1 करोड़ बार हाथों से लिखकर जाप करने का संकल्प किया है. अभी तक नारायण ने 67 लाख से अधिक बार श्रीराम का नाम कॉपी में लिखा है. इनकी लिखावट काफी सुंदर और संयोजित तरीके से है. कोई भी उनकी लिखावट का मुरीद बन जाएगा. क्योंकि अलग-अलग तरीके से कॉपी में डिजाइन करके राम का नाम लिखा गया है.

कहां रहते हैं राम के अनोखे भक्त ? : जगदलपुर शहर से करीब 10 किलोमीटर करीतगांव में रहने वाला नारायण पर रामधुन सवार है.इनकी दिनचर्या राम से शुरु होकर राम पर ही खत्म होती है. नारायण पांडेय के मुताबिक घर की सुख, शांति और समृद्धि के लिए उन्होंने 1 करोड़ बार राम का नाम लिखकर जाप करने का लक्ष्य रखा है. अभी तक 67 लाख 75 हजार राम का नाम लिख चुके हैं.

दोस्त ने दी राम नाम लिखने की प्रेरणा : नारायण के मुताबिक उनके परम मित्र ने उन्हें श्रीराम के नाम को लिखने के लिए प्रोत्साहित किया. जिसके बाद वे जगदलपुर शहर पहुंचे और कॉपी पेन लिए. फिर नारायण ने 07 जनवरी 2011 सुबह 9.30 बजे से राम नाम लिखना शुरु किया. नारायण के मित्र नेत्रकान्त पांडेय के मुताबिक अपनी मनोकामना के लिए कई लोगों को राम के नाम का जाप करते हुए उन्होंने देखा था. जिसके बाद उनके भी मन में लिखने का जिज्ञासा उठी. लेकिन वे इसमें सफल नहीं हुए. इसी कारण उन्होंने मित्र को सलाह दी. फिर मित्र नारायण ने बात मानकर लिखना शुरू किया.

''नाम लिखने से अंदर काफी शांति महसूस होती है. राम नाम लिखने के दौरान एक पुत्र की भी प्राप्ति हुई है. जो श्रीराम का आशीर्वाद हैं.जैसे ही 1 करोड़ राम नाम का लक्ष्य पूरा हो जाएगा. उसके बाद अयोध्या जाने के लिए तैयारी करेंगे.'' नारायण पाण्डेय,राम भक्त

क्यों लिख रहे हैं राम का नाम ? : नारायण की बेटी गायत्री पांडेय के मुताबिक उनके पिता की लगन से वे प्रेरित है. उन्हें ऐसा लग रहा है कि वे भी अब राम नाम लिखना शुरू करें. धीरे धीरे लिखने से वे भी 1 करोड़ तक जरूर पहुंचेंगी. फिलहाल घर बनाने का काम जारी है. जैसे ही यह सम्पन्न होगा. उसी दिन से लिखना प्रारंभ करेंगी. वहीं नारायण पाण्डेय के मुताबिक जन्म से लेकर मृत्यु तक राम नाम का जाप किया जाता है. मरने के बाद भी राम का नाम ही साथ जाता है. इसीलिए वे लिखने का काम कर रहे हैं.

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Last Updated : Jan 17, 2024, 11:34 PM IST
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